कटनी में उर्दू अकादमी का 'सिलसिला' कार्यक्रम:साहित्यकारों ने व्याख्यान और रचना पाठ में लिया हिस्सा; श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
कटनी में उर्दू अकादमी का 'सिलसिला' कार्यक्रम:साहित्यकारों ने व्याख्यान और रचना पाठ में लिया हिस्सा; श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के देखरेख में कटनी में 'सिलसिला' और 'तलाशे जौहर' कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला अदब गोशा, कटनी की ओर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सभागार में शनिवार को हुए इस आयोजन में व्याख्यान और रचना पाठ शामिल थे। जिला समन्वयक मकसूद नियाजी ने इसमें सहयोग किया। उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने 'सिलसिला' कार्यक्रम के लिए अपने संदेश में कहा कि अकादमी पूरे प्रदेश में साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कटनी में आयोजित इस संगोष्ठी को इसी प्रयास का हिस्सा बताया। डॉ. मेहदी ने स्थानीय साहित्यकारों, शायरों और श्रोताओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सहभागिता अदब की समृद्ध परंपरा को जीवंत बनाए हुए है। उर्दू अकादमी ऐसे संवाद और रचनात्मक मंच निरंतर जारी रखेगी। कार्यक्रम में रचना पाठ का आयोजन किया गया कटनी जिले के समन्वयक मकसूद नियाजी ने बताया कि कार्यक्रम में रचना पाठ का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता कटनी की वरिष्ठ साहित्यकार सुधा गुप्ता ने की। वरिष्ठ शायर रामनरेश विद्यार्थी विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने शायरी की बारीकियों पर चर्चा की। रचना पाठ में कई शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। सुधा गुप्ता ने 'कुछ दुआए वतन के नाम भेज दें, सुख चैन सदा हो ये पैगाम भेज दें' पंक्तियां सुनाईं। शबीना फतेह ने 'लम्हा लम्हा ये मुझपे भारी है, अब तुम्हारी दुआ की बारी है' पेश किया। कवि सम्मेलन में रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया डॉ. राजेश प्रखर ने 'नफरतों के पृष्ठ पर कुछ प्रीत लिखा हूं, हार की उम्मीद को भी जीत लिखा हूं' प्रस्तुत किया। श्रद्धांजली शुक्ला ने 'न जाओ सिया आज द्रोही बनो तुम' और ऋचा यगेश ने 'लाभ हानि से परे जो तुमको ही चाहता हो' अपनी रचनाओं में शामिल किया। विष्णु वाजपेयी ने 'दर्द को गर जुबान दे देते, हम भी अपना लगान दे देते' सुनाया। डॉ. संतोष राजपाल ने 'रहेगा कब तक कोई किराये के मकान में' और रामनरेश मिश्र ने 'दर्द से बेहतर नहीं हमारा कोई' प्रस्तुत किया। डॉ. उषा पाण्डेय ने 'एक छोटा सा गाँव जिसमें अमुआ की छांव' और शरद जायसवाल ने 'होती शाम जब भी दिल बैठने लगता है' से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के देखरेख में कटनी में 'सिलसिला' और 'तलाशे जौहर' कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला अदब गोशा, कटनी की ओर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सभागार में शनिवार को हुए इस आयोजन में व्याख्यान और रचना पाठ शामिल थे। जिला समन्वयक मकसूद नियाजी ने इसमें सहयोग किया। उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने 'सिलसिला' कार्यक्रम के लिए अपने संदेश में कहा कि अकादमी पूरे प्रदेश में साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कटनी में आयोजित इस संगोष्ठी को इसी प्रयास का हिस्सा बताया। डॉ. मेहदी ने स्थानीय साहित्यकारों, शायरों और श्रोताओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सहभागिता अदब की समृद्ध परंपरा को जीवंत बनाए हुए है। उर्दू अकादमी ऐसे संवाद और रचनात्मक मंच निरंतर जारी रखेगी। कार्यक्रम में रचना पाठ का आयोजन किया गया कटनी जिले के समन्वयक मकसूद नियाजी ने बताया कि कार्यक्रम में रचना पाठ का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता कटनी की वरिष्ठ साहित्यकार सुधा गुप्ता ने की। वरिष्ठ शायर रामनरेश विद्यार्थी विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने शायरी की बारीकियों पर चर्चा की। रचना पाठ में कई शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। सुधा गुप्ता ने 'कुछ दुआए वतन के नाम भेज दें, सुख चैन सदा हो ये पैगाम भेज दें' पंक्तियां सुनाईं। शबीना फतेह ने 'लम्हा लम्हा ये मुझपे भारी है, अब तुम्हारी दुआ की बारी है' पेश किया। कवि सम्मेलन में रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया डॉ. राजेश प्रखर ने 'नफरतों के पृष्ठ पर कुछ प्रीत लिखा हूं, हार की उम्मीद को भी जीत लिखा हूं' प्रस्तुत किया। श्रद्धांजली शुक्ला ने 'न जाओ सिया आज द्रोही बनो तुम' और ऋचा यगेश ने 'लाभ हानि से परे जो तुमको ही चाहता हो' अपनी रचनाओं में शामिल किया। विष्णु वाजपेयी ने 'दर्द को गर जुबान दे देते, हम भी अपना लगान दे देते' सुनाया। डॉ. संतोष राजपाल ने 'रहेगा कब तक कोई किराये के मकान में' और रामनरेश मिश्र ने 'दर्द से बेहतर नहीं हमारा कोई' प्रस्तुत किया। डॉ. उषा पाण्डेय ने 'एक छोटा सा गाँव जिसमें अमुआ की छांव' और शरद जायसवाल ने 'होती शाम जब भी दिल बैठने लगता है' से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।