सरकार तक पहुंचे मरीजों से अवैध वसूली के 311 केस:नर्सिंग होम के खिलाफ भी शिकायतें, 654 को कारण बताओ नोटिस,156 के रजिस्ट्रेशन रद्द
सरकार तक पहुंचे मरीजों से अवैध वसूली के 311 केस:नर्सिंग होम के खिलाफ भी शिकायतें, 654 को कारण बताओ नोटिस,156 के रजिस्ट्रेशन रद्द
प्रदेश में निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के परिजनों से उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। इस तरह की गड़बड़ी और अन्य अनियमितताओं की स्वास्थ्य विभाग के पास एक साल में कुल 311 शिकायतें पहुंची हैं। इन शिकायतों पर मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से कार्यवाही की गई है। अलग-अलग गड़बड़ी के मामले में प्रदेश के 654 नर्सिंग होम संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही 156 नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। विधानसभा में दी गई जानकारी सरकार ने यह जानकारी विधानसभा में बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय के सवाल के जवाब में दी है। लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि निजी अस्पतालों की निगरानी की जा रही है। प्रदेश के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व सुपरविजन अफसर, म.प्र. उपचर्यागृह और रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम के अंतर्गत ऐसे मामलों में जांच और कार्रवाई कर रहे हैं। साल 2024-25 में अप्रैल से अब तक प्रदेश में रजिस्टर्ड 2354 नर्सिंग होम का इंस्पेक्शन किया गया है। इसके बाद 654 नर्सिंग होम संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही 156 नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। इसके अतिरिक्त आयुष्मान भारत निरामयम योजनांतर्गत निजी चिकित्सालयों की एनएचए, एसएचए द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेस्क ऑडिट और थर्डपार्टी ऑडिट एजेंसी द्वारा फील्ड ऑडिट के माध्यम से निगरानी की जा रही है। मंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश के निजी अस्पतालों के लिए विनियामक म.प्र. उपचर्यागृह और रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा नियम 1997 (यथासंशोधित) 2021 में के अंतर्गत मरीजों के उपचार की शुल्क सूची सार्वजनिक करने का प्रावधान है और इसके निर्देश भी जारी किए गए हैं। जागरूक करने के निर्देश भी दिए डिप्टी सीएम शुक्ल ने बताया कि विभाग द्वारा मरीज के अधिकारों एवं अधिक शुल्क वसूलने के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने को कहा गया है। सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (पर्यवेक्षी प्राधिकारियों) को 2 दिसम्बर को जारी निर्देश मेंजन-जागरुकता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से संदेश पहुंचाने के लिए कहा गया है। साथ ही आयुष्मान भारत कार्यालय द्वारा संबद्ध निजी चिकित्सालयों में आईईसी एवं सिटीजन चार्टर प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है।
प्रदेश में निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के परिजनों से उपचार के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। इस तरह की गड़बड़ी और अन्य अनियमितताओं की स्वास्थ्य विभाग के पास एक साल में कुल 311 शिकायतें पहुंची हैं। इन शिकायतों पर मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से कार्यवाही की गई है। अलग-अलग गड़बड़ी के मामले में प्रदेश के 654 नर्सिंग होम संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही 156 नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। विधानसभा में दी गई जानकारी सरकार ने यह जानकारी विधानसभा में बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय के सवाल के जवाब में दी है। लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि निजी अस्पतालों की निगरानी की जा रही है। प्रदेश के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व सुपरविजन अफसर, म.प्र. उपचर्यागृह और रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम के अंतर्गत ऐसे मामलों में जांच और कार्रवाई कर रहे हैं। साल 2024-25 में अप्रैल से अब तक प्रदेश में रजिस्टर्ड 2354 नर्सिंग होम का इंस्पेक्शन किया गया है। इसके बाद 654 नर्सिंग होम संचालकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। साथ ही 156 नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। इसके अतिरिक्त आयुष्मान भारत निरामयम योजनांतर्गत निजी चिकित्सालयों की एनएचए, एसएचए द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेस्क ऑडिट और थर्डपार्टी ऑडिट एजेंसी द्वारा फील्ड ऑडिट के माध्यम से निगरानी की जा रही है। मंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश के निजी अस्पतालों के लिए विनियामक म.प्र. उपचर्यागृह और रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा नियम 1997 (यथासंशोधित) 2021 में के अंतर्गत मरीजों के उपचार की शुल्क सूची सार्वजनिक करने का प्रावधान है और इसके निर्देश भी जारी किए गए हैं। जागरूक करने के निर्देश भी दिए डिप्टी सीएम शुक्ल ने बताया कि विभाग द्वारा मरीज के अधिकारों एवं अधिक शुल्क वसूलने के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने को कहा गया है। सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (पर्यवेक्षी प्राधिकारियों) को 2 दिसम्बर को जारी निर्देश मेंजन-जागरुकता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से संदेश पहुंचाने के लिए कहा गया है। साथ ही आयुष्मान भारत कार्यालय द्वारा संबद्ध निजी चिकित्सालयों में आईईसी एवं सिटीजन चार्टर प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है।