महालक्ष्मीधाम पहुंचे 2 लाख भक्त:धनतेरस से पहुंच रहे लोग, आतिशबाजी कर मनाई दीपावली; आज भी लगी श्रद्धालुओं की भीड़

खरगोन जिले के ऊन स्थित प्राचीन ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली पर श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। धनतेरस व अमावस्या के दो दिनों में 2 लाख से ज्यादा भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। अमावस्या की दो तिथि होने से शुक्रवार को भी सुबह से कतारों में दर्शन किए। कमल के पुष्प चढ़कर मनोकामना की। गुरुवार रात आतिशबाजी हुई। श्रद्धालु बताते है यहां महालक्ष्मी की मूर्ति दिन में तीन रूप बदलती है। सुबह बाल, दोपहर में युवा और शाम को वृद्ध अवस्था के दर्शन होते है। यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां आतिशबाजी के साथ दीपावली मनाई गई। प्रदेश सहित सीमावर्ती महाराष्ट्र व गुजरात से भी श्रद्धालु पहुचे। परमारकालीन है ऊन की धरोहरें खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ऊन में 11वीं व 12वीं शताब्दी की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार खजुराहो शैली के मंदिर है। परमारकालीन धर्मस्थल होने से भी पहुंचते हैं। ऊन में 99 मंदिर है। यहां की ज्यादातर धार्मिक ऐतिहासिक धरोहरें है। यहां साल भर पर्यटक पहुंचते रहते हैं। देखें तस्वीरें...

महालक्ष्मीधाम पहुंचे 2 लाख भक्त:धनतेरस से पहुंच रहे लोग, आतिशबाजी कर मनाई दीपावली; आज भी लगी श्रद्धालुओं की भीड़
खरगोन जिले के ऊन स्थित प्राचीन ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली पर श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। धनतेरस व अमावस्या के दो दिनों में 2 लाख से ज्यादा भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। अमावस्या की दो तिथि होने से शुक्रवार को भी सुबह से कतारों में दर्शन किए। कमल के पुष्प चढ़कर मनोकामना की। गुरुवार रात आतिशबाजी हुई। श्रद्धालु बताते है यहां महालक्ष्मी की मूर्ति दिन में तीन रूप बदलती है। सुबह बाल, दोपहर में युवा और शाम को वृद्ध अवस्था के दर्शन होते है। यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां आतिशबाजी के साथ दीपावली मनाई गई। प्रदेश सहित सीमावर्ती महाराष्ट्र व गुजरात से भी श्रद्धालु पहुचे। परमारकालीन है ऊन की धरोहरें खरगोन जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ऊन में 11वीं व 12वीं शताब्दी की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार खजुराहो शैली के मंदिर है। परमारकालीन धर्मस्थल होने से भी पहुंचते हैं। ऊन में 99 मंदिर है। यहां की ज्यादातर धार्मिक ऐतिहासिक धरोहरें है। यहां साल भर पर्यटक पहुंचते रहते हैं। देखें तस्वीरें...