सीहोर में 6 डिग्री पहुंचा न्यूनतम तापमान:घने कोहरे से विजिबिलिटी घटकर हुई 20 मीटर; जिले में कड़ाके की सर्दी
सीहोर में 6 डिग्री पहुंचा न्यूनतम तापमान:घने कोहरे से विजिबिलिटी घटकर हुई 20 मीटर; जिले में कड़ाके की सर्दी
सीहोर जिले में नववर्ष का पहला दिन कड़ाके की ठंड के साथ शुरू हुआ है। आज सीजन का सबसे घना कोहरा छाया रहा, विजिबिलिटी 20 मीटर के लगभग दर्ज की गई है और न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस रहा। जानकारी के अनुसार सीहोर जिले में सीजन का सबसे घना कोहरा आज छाया रहा। जिसके कारण नव वर्ष का सूर्य उदय भी अपनी किरणों का स्पर्श धरती से नहीं कर सका। विजिबिलिटी काफी कम होने के कारण लोगों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने को मजबूर होना पड़ा। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर दिशा से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज हुई है और आगामी कुछ दिनों में ऐसा ही मौसम रहेगा। शीतलहर के लिए एडवाइजरी जारी स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर के दृष्टिगत आमजन के एडवाइजरी जारी की है। सीएमएचओ डॉ सुधीर कुमार डेहरिया ने जिले की शहरी एवं विकासखण्ड स्तरीय स्वास्थ्य संस्था प्रभारियों निर्देश दिए हैं कि शीतलहर से बचाव के लिए समुदाय के लोगों को प्रचार-प्रसार के माध्यमों जागरूक किया जाए। सभी अस्पतालों द्वारा शीत से प्रभावित मरीजों के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। शीत से संबंधित बीमारी की प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए सभी चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण किया जाए। इमरजेंसी कॉल के लिए रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाए। स्वास्थ्य संस्था में पर्याप्त मात्रा में संबंधित दवाइयों व एंटीबायोटिक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अस्पताल की क्षमता के अनुसार शीतघात के मरीजों के लिए पृथक से व्यवस्था की जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा अपने आस-पास के समुदाय के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। जिसमें शीत से बचाव की विधि के बारे में जानकारी दी जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संबधित बीमारी के मरीज का पर्याप्त प्राथमिक उपचार करने के बाद ही जिला अस्पताल को रेफर करें। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पास के जिला अस्पताल से समन्वय स्थापित करें तथा अधिक संख्या में रोगियों को रेफर करने पर उसकी अग्रिम सूचना जिला अस्पताल को दें। कोल्ड अटैक से पहले बचाव के उपाय शीतलहर की आशंका होने पर स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियों, टेलीविजन, समाचार पत्र एवं मीडिया से शीतलहर के बारे में जानकारी रखें। फ्लू, बुखार, नाक बहना जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। इसलिए आवश्यक न होने घर से बाहर न निकलें। आपातकालीन स्थिति के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, पानी, ईंधन, बैटरी, चार्जर, आपातकालीन प्रकाश, और संबंधित दवाएं तैयार रखी जाए। सर्दी में मौसम के परिवर्तन होने से वातावरण का तापमान कम हो जाता है, जिससे विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना रहती हैं। ऐसे वस्त्र जिनमें कपडों की कई परतें होती है, उनका उपयोग करें। कोल्ड अटैक के दौरान बचाव के लिए उपाय
कोल्ड अटैक के दौरान व्यक्तिगत तथा घरेलू स्तर पर मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का आवश्यक रूप से पालन करें। शीत से बचाव के लिए शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करें। ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहें और ठंडी हवा, बारिश के संपर्क में न आएं। शरीर को सूखा रखें। शरीर की गरमाहाट बनाए रखने के लिए अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढकें। एक परत वाले कपडे की जगह ढीली फिटिंग वाले परतदार हल्के कपडे, गर्म ऊनी कपड़े पहने। तंग कपड़े शरीर में रक्त के बहाव को रोकते हैं इन कपड़ों का प्रयोग न करें। शरीर की गर्मी बचाए रखने के लिए टोपी, हैट, मफलर एवं जल रोधी जूतों का प्रयोग करें। सिर को ढकें क्योंकि सिर के ऊपरी सतह से शरीर की गर्मी की हानि होती हैं। फेफड़ों में संक्रमण से बचाव के लिए मुंह तथा नाक ढक कर रखें। स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन का सेवन करें एवं शीत प्रकृति के भोजन से दूर रहें। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए विटामिन सी से भरपूर ताजे फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीएं, इससे ठंड से लड़ने के लिए शरीर की गर्मी बनी रहती है। बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का अधिक ध्यान रखें क्योंकि उन्हें शीत ऋतु का प्रभाव होने की आशंका अधिक रहती हैं। कमरों को गर्म करने के लिए कोयले का प्रयोग न करें। अगर कोयले तथा लकड़ी को जलाना आवश्यक है तो उचित चिमनी का प्रयोग करें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करता है। अधिक समय तक ठंड के संपर्क में न रहें। शराब का सेवन न करें। शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य हो सकती है, तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। शीत लहर के पहले लक्षण पर ही तत्काल चिकित्सक की सलाह लें। अत्याधिक कम तापमान वाले स्थानों पर न जाएं।
सीहोर जिले में नववर्ष का पहला दिन कड़ाके की ठंड के साथ शुरू हुआ है। आज सीजन का सबसे घना कोहरा छाया रहा, विजिबिलिटी 20 मीटर के लगभग दर्ज की गई है और न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस रहा। जानकारी के अनुसार सीहोर जिले में सीजन का सबसे घना कोहरा आज छाया रहा। जिसके कारण नव वर्ष का सूर्य उदय भी अपनी किरणों का स्पर्श धरती से नहीं कर सका। विजिबिलिटी काफी कम होने के कारण लोगों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने को मजबूर होना पड़ा। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर दिशा से आ रही बर्फीली हवाओं के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज हुई है और आगामी कुछ दिनों में ऐसा ही मौसम रहेगा। शीतलहर के लिए एडवाइजरी जारी स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर के दृष्टिगत आमजन के एडवाइजरी जारी की है। सीएमएचओ डॉ सुधीर कुमार डेहरिया ने जिले की शहरी एवं विकासखण्ड स्तरीय स्वास्थ्य संस्था प्रभारियों निर्देश दिए हैं कि शीतलहर से बचाव के लिए समुदाय के लोगों को प्रचार-प्रसार के माध्यमों जागरूक किया जाए। सभी अस्पतालों द्वारा शीत से प्रभावित मरीजों के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। शीत से संबंधित बीमारी की प्रभावी रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए सभी चिकित्सक, पैरा मेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण किया जाए। इमरजेंसी कॉल के लिए रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाए। स्वास्थ्य संस्था में पर्याप्त मात्रा में संबंधित दवाइयों व एंटीबायोटिक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अस्पताल की क्षमता के अनुसार शीतघात के मरीजों के लिए पृथक से व्यवस्था की जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा अपने आस-पास के समुदाय के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। जिसमें शीत से बचाव की विधि के बारे में जानकारी दी जाए। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संबधित बीमारी के मरीज का पर्याप्त प्राथमिक उपचार करने के बाद ही जिला अस्पताल को रेफर करें। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पास के जिला अस्पताल से समन्वय स्थापित करें तथा अधिक संख्या में रोगियों को रेफर करने पर उसकी अग्रिम सूचना जिला अस्पताल को दें। कोल्ड अटैक से पहले बचाव के उपाय शीतलहर की आशंका होने पर स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियों, टेलीविजन, समाचार पत्र एवं मीडिया से शीतलहर के बारे में जानकारी रखें। फ्लू, बुखार, नाक बहना जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। इसलिए आवश्यक न होने घर से बाहर न निकलें। आपातकालीन स्थिति के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, पानी, ईंधन, बैटरी, चार्जर, आपातकालीन प्रकाश, और संबंधित दवाएं तैयार रखी जाए। सर्दी में मौसम के परिवर्तन होने से वातावरण का तापमान कम हो जाता है, जिससे विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना रहती हैं। ऐसे वस्त्र जिनमें कपडों की कई परतें होती है, उनका उपयोग करें। कोल्ड अटैक के दौरान बचाव के लिए उपाय
कोल्ड अटैक के दौरान व्यक्तिगत तथा घरेलू स्तर पर मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का आवश्यक रूप से पालन करें। शीत से बचाव के लिए शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करें। ज्यादा से ज्यादा घर के अंदर रहें और ठंडी हवा, बारिश के संपर्क में न आएं। शरीर को सूखा रखें। शरीर की गरमाहाट बनाए रखने के लिए अपने सिर, गर्दन, कान, नाक, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढकें। एक परत वाले कपडे की जगह ढीली फिटिंग वाले परतदार हल्के कपडे, गर्म ऊनी कपड़े पहने। तंग कपड़े शरीर में रक्त के बहाव को रोकते हैं इन कपड़ों का प्रयोग न करें। शरीर की गर्मी बचाए रखने के लिए टोपी, हैट, मफलर एवं जल रोधी जूतों का प्रयोग करें। सिर को ढकें क्योंकि सिर के ऊपरी सतह से शरीर की गर्मी की हानि होती हैं। फेफड़ों में संक्रमण से बचाव के लिए मुंह तथा नाक ढक कर रखें। स्वास्थ्य वर्धक गर्म भोजन का सेवन करें एवं शीत प्रकृति के भोजन से दूर रहें। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए विटामिन सी से भरपूर ताजे फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीएं, इससे ठंड से लड़ने के लिए शरीर की गर्मी बनी रहती है। बुजुर्ग, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का अधिक ध्यान रखें क्योंकि उन्हें शीत ऋतु का प्रभाव होने की आशंका अधिक रहती हैं। कमरों को गर्म करने के लिए कोयले का प्रयोग न करें। अगर कोयले तथा लकड़ी को जलाना आवश्यक है तो उचित चिमनी का प्रयोग करें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करता है। अधिक समय तक ठंड के संपर्क में न रहें। शराब का सेवन न करें। शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य हो सकती है, तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। शीत लहर के पहले लक्षण पर ही तत्काल चिकित्सक की सलाह लें। अत्याधिक कम तापमान वाले स्थानों पर न जाएं।