'वक्त बदलने' वाले मंदिर में मन्नत की घड़ियों का अंबार:रोजाना सैकड़ों लोग चढ़ा रहे घड़ी, 10 हजार से अधिक खेत में पड़ीं

अपना वक्त बदलने की उम्मीद लिए पहुंच रहे भक्तों ने घड़ी वाले बाबा के दरबार में इतनी घड़ियां चढ़ाईं कि वहां घड़ियों का अंबार लग गया। 10 हजार से ज्यादा घड़ियां तो खेत में पड़ी हैं और मंदिर परिसर में लगा पेड़ भी घड़ियों से अटा पड़ा है। यह महज दो साल में हुआ है। जिसे देखने अब लोग आ रहे हैं। यह दरबार उज्जैन से 45 किमी दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच है। 4 बाय 6 फीट के इस मंदिर में लोग मन्नत मांगने आते हैं और जब मन्नत पूरी हो जाती है, तो घड़ी चढ़ाने आते हैं। पिछले दो साल में भक्तों ने 5 हजार से अधिक घड़ियां मंदिर में लटका दीं। जब मंदिर में जगह नहीं बची, तो लोगों ने पेड़ की डालियों पर घड़ियां बांधना शुरू कर दिया। जब पेड़ की डालियां भी घड़ियों से लद गईं, तो लोगों ने मंदिर से सटे खेत में घड़ियां रखना शुरू कर दिया। अब हालात ऐसे हैं कि मंदिर के पास घड़ी का पहाड़ जैसा बन गया है। बताया जा रहा है कि रोज 70 से 100 घड़ियां मंदिर में चढ़ाई जा रही हैं। जिससे अन्य प्रदेशों से भी आ रहे भक्त उन्हेल से करीब 10 किमी दूर गुराड़िया सांगा गांव से थोड़ा आगे चलते ही शिप्रा नदी के पास सड़क किनारे यह मंदिर दिखाई देता है। इस मंदिर का नाम है घड़ी वाले बाबा का सगस महाराज मंदिर। ग्रामीणों का दावा है कि 10 साल पहले ही यह मंदिर अस्तित्व में आया है। कोई नहीं जानता कि इस पेड़ के नीचे किसने मूर्ति को स्थापित किया और मन्नत पूरी होने के बाद घड़ी दान की। यह सिलसिला बीते दो साल में इतना प्रचारित हुआ कि देखते ही देखते मंदिर में भक्तों ने इतनी घड़ियां भेंट कर दीं कि मंदिर में घड़ी लगाने की जगह नहीं बची। सिगरेट और चिलम भी चढ़ाते हैं भक्त इस मंदिर में सिर्फ घड़ियां ही नहीं चढ़ाई जातीं। कुछ भक्त बाबा को सिगरेट और चिलम भी चढ़ा जाते हैं। हालांकि ऐसे भक्तों की संख्या घड़ी चढ़ाने वाले भक्तों की तुलना में नगण्य है। रील ने बढ़ाया क्रेज मंदिर में घड़ियां चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ, तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील बनाने वाले आकर्षित हुए। उनकी रील देखकर दूसरे लोग आकर्षित हो रहे हैं। इंदौर से बाबा के दरबार में पहुंची महिला ने बताया कि इस मंदिर को रील में देखा था। इसके बाद सगस महाराज के दर्शन करने घड़ी लेकर आई हूं। जब मन्नत पूरी होगी तो फिर एक बार आकर घड़ी अर्पित करुंगी।

May 10, 2025 - 11:28
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'वक्त बदलने' वाले मंदिर में मन्नत की घड़ियों का अंबार:रोजाना सैकड़ों लोग चढ़ा रहे घड़ी, 10 हजार से अधिक खेत में पड़ीं
अपना वक्त बदलने की उम्मीद लिए पहुंच रहे भक्तों ने घड़ी वाले बाबा के दरबार में इतनी घड़ियां चढ़ाईं कि वहां घड़ियों का अंबार लग गया। 10 हजार से ज्यादा घड़ियां तो खेत में पड़ी हैं और मंदिर परिसर में लगा पेड़ भी घड़ियों से अटा पड़ा है। यह महज दो साल में हुआ है। जिसे देखने अब लोग आ रहे हैं। यह दरबार उज्जैन से 45 किमी दूर महिदपुर और उन्हेल के बीच है। 4 बाय 6 फीट के इस मंदिर में लोग मन्नत मांगने आते हैं और जब मन्नत पूरी हो जाती है, तो घड़ी चढ़ाने आते हैं। पिछले दो साल में भक्तों ने 5 हजार से अधिक घड़ियां मंदिर में लटका दीं। जब मंदिर में जगह नहीं बची, तो लोगों ने पेड़ की डालियों पर घड़ियां बांधना शुरू कर दिया। जब पेड़ की डालियां भी घड़ियों से लद गईं, तो लोगों ने मंदिर से सटे खेत में घड़ियां रखना शुरू कर दिया। अब हालात ऐसे हैं कि मंदिर के पास घड़ी का पहाड़ जैसा बन गया है। बताया जा रहा है कि रोज 70 से 100 घड़ियां मंदिर में चढ़ाई जा रही हैं। जिससे अन्य प्रदेशों से भी आ रहे भक्त उन्हेल से करीब 10 किमी दूर गुराड़िया सांगा गांव से थोड़ा आगे चलते ही शिप्रा नदी के पास सड़क किनारे यह मंदिर दिखाई देता है। इस मंदिर का नाम है घड़ी वाले बाबा का सगस महाराज मंदिर। ग्रामीणों का दावा है कि 10 साल पहले ही यह मंदिर अस्तित्व में आया है। कोई नहीं जानता कि इस पेड़ के नीचे किसने मूर्ति को स्थापित किया और मन्नत पूरी होने के बाद घड़ी दान की। यह सिलसिला बीते दो साल में इतना प्रचारित हुआ कि देखते ही देखते मंदिर में भक्तों ने इतनी घड़ियां भेंट कर दीं कि मंदिर में घड़ी लगाने की जगह नहीं बची। सिगरेट और चिलम भी चढ़ाते हैं भक्त इस मंदिर में सिर्फ घड़ियां ही नहीं चढ़ाई जातीं। कुछ भक्त बाबा को सिगरेट और चिलम भी चढ़ा जाते हैं। हालांकि ऐसे भक्तों की संख्या घड़ी चढ़ाने वाले भक्तों की तुलना में नगण्य है। रील ने बढ़ाया क्रेज मंदिर में घड़ियां चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ, तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील बनाने वाले आकर्षित हुए। उनकी रील देखकर दूसरे लोग आकर्षित हो रहे हैं। इंदौर से बाबा के दरबार में पहुंची महिला ने बताया कि इस मंदिर को रील में देखा था। इसके बाद सगस महाराज के दर्शन करने घड़ी लेकर आई हूं। जब मन्नत पूरी होगी तो फिर एक बार आकर घड़ी अर्पित करुंगी।