बाढ़ में फंसे श्रद्धालु नेपाल से भारत के लिए रवाना:पीड़ित बोले-भारतीय दूतावास ने नहीं की मदद,भूखे-प्यासे रहे; मौत के मुंह से बाहर आए है

भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने मध्यप्रदेश के जबलपुर,रीवा और डिंडोरी और मंडला के परिवार बीते चार दिनों से बाढ़ के चलते नेपाल में फंसे हुए है। जिन्हें कि आज बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार की मदद से काठमांडू से सोनौली बार्डर सड़क मार्ग से लाया जा रहा है। एमपी के 23 लोग शुक्रवार की शाम से नेपाल के कावरे जिले में फंसे हुए है। जबलपुर वेटरनरी विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक डाक्टर राजेश बरहैया ने बुधवार सुबह के फोटो दैनिक भास्कर को पोस्ट किए है, जिसमें सभी 23 लोगों को एक ट्रैवलर गाड़ी में काठमांडू से सोनौली बॉर्डर लाया जा रहा है। डाक्टर राकेश ने बताया कि शुक्रवार से लेकर मंगलवार तक का सफर बहुत बुरा सपना जैसा रहा है, पर अब नेपाल और भारत सरकार की मदद से जल्द ही हम सभी लोग अपने-अपने घर पहुंच जाएंगे। एमपी के 23 लोग चार दिन फंसे रहे दरअसल नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए जबलपुर, रीवा, डिंडोरी और मंडला में रहने वाले 23 लोग 24 सितंबर को सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश, बिहार होते हुए नेपाल पहुंचे थे। दर्शन के दौरान अचानक ही नेपाल में तेज बारिश के बीच आई बाढ़ में सभी लोग फंसकर रह गए। इसके बाद मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं ने भारत आने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई, साथ ही वहां के वीडियो भी सोशल मीडिया में शेयर किए। केन्द्र और राज्य सरकार सहित नेपाल सरकार की मदद से भारतीयों को सोनौली बार्डर तक बस से पहुंचाया जा रहा है। यहां से सभी लोगों को दूसरे वाहनों से उनके जिलों तक पहुंचाया जाएगा। 23 श्रद्धालुओं में डिंडौरी के 7, मंडला का एक, जबलपुर के 6 से 7 और रीवा के 8 श्रद्धालु शामिल हैं। डिंडौरी कलेक्टर ने श्रद्धालुओं को लाने के लिए अफसरों की एक टीम भी यूपी भेजी है, जबकि जबलपुर कलेक्टर भी लगातार पीड़ितों से संपर्क कर रहे है। चार दिन बिस्कुट खाकर गुजारे बाढ़ में फंसे जबलपुर के डॉक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि शुक्रवार की शाम को हम लोग बाढ़ में इस कदर फंस गए कि किसी भी कीमत में निकल नहीं पा रहे थे। शनिवार को और रविवार को नेपाल आर्मी सेना और स्थानीय लोगों ने बिस्कुट,पानी की बोतल की व्यवास्था की थी। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार के अलावा और भी कई लोग बाढ़ में बुरी तरह से फंसे हुए थे। जनकपुर से 27 तारीख को काठमांडू के लिए रवाना हुए थे। रास्ते में सिंधौली जगह है जहां पर कि अति वृष्टि हुई जिसके चलते बहुत सारे पुल टूट गए, चार दिनों तक बिना पानी-खाना के फंसे रहे। हालात बहुत बुरे हो गए थे। बच्चे, बुजुर्ग सभी लोग बीमार हो रहे थे। मगर इसी बीच नेपाल की आर्मी ने खाने की अन्य व्यवस्था करवाई, जिसके कारण हम अपनी जान बचा सके। नेपाल आर्मी ने हेलीकॉप्टर से किया रेस्क्यू डाक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि नेपाल में आर्मी ने खाने-पीने की मदद तो की ही, स्थानीय लोगों के मोबाइल फोन से हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और पूरे हालात बताए, क्योकि हमारे मोबाइल बंद हो चुके थे, हमारे पास कुछ भी संसाधन नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार हम अपनी परेशानी दूतावास को बता रहे थे, पर हमारी उन्होंने मदद नहीं की। दूतावास का कहना था कि केन्द्र सरकार की तरफ से निर्देश नहीं मिल रहे है रेस्क्यू करने का। डाक्टर राकेश ने बताया कि हमारे बच्चों की हालत को देखने के बाद नेपाल आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से सभी लोगों को खुलीखील अस्पताल ले जाया गया और जो भी बीमार थे, उनका इलाज करवाया गया। सभी को भोजन की व्यवस्था करवाई गई। नेपाल सरकार की मदद से हम भारतीय दूतावास तो पहुंच गए, पर हमारे साथ वहां पर अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। वहां बोला गया कि आप अपनी व्यवस्था स्वयं देख ले। डाक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि बुरे हालात में मदद करने की वजह भारतीय दूतावास ने एक एजेंट के माध्यम से धर्मशाला में रुकने कहा गया, और बोला गया कि भारत जाने के लिए अपना साधन कर ले। भारतीय दूतावास पर गंभीर आरोप भारतीय दूतावास में पदस्थ काउंसलर आशीष नाम के व्यक्ति पर गंभीर आरोप भी बाढ़ में फंसे मध्यप्रदेश के लोगों ने लगाए। राकेश बरहैया ने बताया कि मदद के लिए जब हम उनके चैंबर में पहुंचे तो हमारी बात सुनने की वजह 10 मिनट तक अपने काम में व्यस्त रहे। हमारी संवेदनाओं को वो नहीं समझ रहे थे, जबकि हम उन्हें बता रहे थे कि हम मौत के मुंह से बाहर आए है। बाढ़ में फंसे लोगों ने बताया कि जब दूतावास के अधिकारियों से बस और मेडिकल की मदद मांगी गई और उन्हें बताया कि ये देश हमारे लिए अंजान है तो इसके बाद यह कहा गया कि हम दूतावास के लोग है ना कि बस,टैक्सी वाले। डॉक्टर राकेश का कहना था कि जो भी पैसे हमारे पास बचे थे, उसी से धर्मशाला का किराया दिया और खाने-पीने की व्यवस्था की गई।

बाढ़ में फंसे श्रद्धालु नेपाल से भारत के लिए रवाना:पीड़ित बोले-भारतीय दूतावास ने नहीं की मदद,भूखे-प्यासे रहे; मौत के मुंह से बाहर आए है
भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने मध्यप्रदेश के जबलपुर,रीवा और डिंडोरी और मंडला के परिवार बीते चार दिनों से बाढ़ के चलते नेपाल में फंसे हुए है। जिन्हें कि आज बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार की मदद से काठमांडू से सोनौली बार्डर सड़क मार्ग से लाया जा रहा है। एमपी के 23 लोग शुक्रवार की शाम से नेपाल के कावरे जिले में फंसे हुए है। जबलपुर वेटरनरी विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक डाक्टर राजेश बरहैया ने बुधवार सुबह के फोटो दैनिक भास्कर को पोस्ट किए है, जिसमें सभी 23 लोगों को एक ट्रैवलर गाड़ी में काठमांडू से सोनौली बॉर्डर लाया जा रहा है। डाक्टर राकेश ने बताया कि शुक्रवार से लेकर मंगलवार तक का सफर बहुत बुरा सपना जैसा रहा है, पर अब नेपाल और भारत सरकार की मदद से जल्द ही हम सभी लोग अपने-अपने घर पहुंच जाएंगे। एमपी के 23 लोग चार दिन फंसे रहे दरअसल नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए जबलपुर, रीवा, डिंडोरी और मंडला में रहने वाले 23 लोग 24 सितंबर को सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश, बिहार होते हुए नेपाल पहुंचे थे। दर्शन के दौरान अचानक ही नेपाल में तेज बारिश के बीच आई बाढ़ में सभी लोग फंसकर रह गए। इसके बाद मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं ने भारत आने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई, साथ ही वहां के वीडियो भी सोशल मीडिया में शेयर किए। केन्द्र और राज्य सरकार सहित नेपाल सरकार की मदद से भारतीयों को सोनौली बार्डर तक बस से पहुंचाया जा रहा है। यहां से सभी लोगों को दूसरे वाहनों से उनके जिलों तक पहुंचाया जाएगा। 23 श्रद्धालुओं में डिंडौरी के 7, मंडला का एक, जबलपुर के 6 से 7 और रीवा के 8 श्रद्धालु शामिल हैं। डिंडौरी कलेक्टर ने श्रद्धालुओं को लाने के लिए अफसरों की एक टीम भी यूपी भेजी है, जबकि जबलपुर कलेक्टर भी लगातार पीड़ितों से संपर्क कर रहे है। चार दिन बिस्कुट खाकर गुजारे बाढ़ में फंसे जबलपुर के डॉक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि शुक्रवार की शाम को हम लोग बाढ़ में इस कदर फंस गए कि किसी भी कीमत में निकल नहीं पा रहे थे। शनिवार को और रविवार को नेपाल आर्मी सेना और स्थानीय लोगों ने बिस्कुट,पानी की बोतल की व्यवास्था की थी। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार के अलावा और भी कई लोग बाढ़ में बुरी तरह से फंसे हुए थे। जनकपुर से 27 तारीख को काठमांडू के लिए रवाना हुए थे। रास्ते में सिंधौली जगह है जहां पर कि अति वृष्टि हुई जिसके चलते बहुत सारे पुल टूट गए, चार दिनों तक बिना पानी-खाना के फंसे रहे। हालात बहुत बुरे हो गए थे। बच्चे, बुजुर्ग सभी लोग बीमार हो रहे थे। मगर इसी बीच नेपाल की आर्मी ने खाने की अन्य व्यवस्था करवाई, जिसके कारण हम अपनी जान बचा सके। नेपाल आर्मी ने हेलीकॉप्टर से किया रेस्क्यू डाक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि नेपाल में आर्मी ने खाने-पीने की मदद तो की ही, स्थानीय लोगों के मोबाइल फोन से हमने भारतीय दूतावास से संपर्क किया और पूरे हालात बताए, क्योकि हमारे मोबाइल बंद हो चुके थे, हमारे पास कुछ भी संसाधन नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार हम अपनी परेशानी दूतावास को बता रहे थे, पर हमारी उन्होंने मदद नहीं की। दूतावास का कहना था कि केन्द्र सरकार की तरफ से निर्देश नहीं मिल रहे है रेस्क्यू करने का। डाक्टर राकेश ने बताया कि हमारे बच्चों की हालत को देखने के बाद नेपाल आर्मी ने हेलीकॉप्टर की मदद से सभी लोगों को खुलीखील अस्पताल ले जाया गया और जो भी बीमार थे, उनका इलाज करवाया गया। सभी को भोजन की व्यवस्था करवाई गई। नेपाल सरकार की मदद से हम भारतीय दूतावास तो पहुंच गए, पर हमारे साथ वहां पर अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। वहां बोला गया कि आप अपनी व्यवस्था स्वयं देख ले। डाक्टर राकेश बरहैया ने बताया कि बुरे हालात में मदद करने की वजह भारतीय दूतावास ने एक एजेंट के माध्यम से धर्मशाला में रुकने कहा गया, और बोला गया कि भारत जाने के लिए अपना साधन कर ले। भारतीय दूतावास पर गंभीर आरोप भारतीय दूतावास में पदस्थ काउंसलर आशीष नाम के व्यक्ति पर गंभीर आरोप भी बाढ़ में फंसे मध्यप्रदेश के लोगों ने लगाए। राकेश बरहैया ने बताया कि मदद के लिए जब हम उनके चैंबर में पहुंचे तो हमारी बात सुनने की वजह 10 मिनट तक अपने काम में व्यस्त रहे। हमारी संवेदनाओं को वो नहीं समझ रहे थे, जबकि हम उन्हें बता रहे थे कि हम मौत के मुंह से बाहर आए है। बाढ़ में फंसे लोगों ने बताया कि जब दूतावास के अधिकारियों से बस और मेडिकल की मदद मांगी गई और उन्हें बताया कि ये देश हमारे लिए अंजान है तो इसके बाद यह कहा गया कि हम दूतावास के लोग है ना कि बस,टैक्सी वाले। डॉक्टर राकेश का कहना था कि जो भी पैसे हमारे पास बचे थे, उसी से धर्मशाला का किराया दिया और खाने-पीने की व्यवस्था की गई।