10 साल से चला रहे थे धर्म परिवर्तन का नेटवर्क:200 से ज्यादा धर्मांतरण; कहते थे- भगवान ने नाइंसाफी की, यीशु दयालु हैं, पैसा-धेला सब देंगे
मध्यप्रदेश के सिंगरौली में एक फैमिली पिछले 10 साल से धर्म परिवर्तन का नेटवर्क चला रही थी। संयुक्त मानव अधिकार संगठन और भाजपा नेताओं की शिकायत के बाद 9 सितंबर की रात नवानगर क्षेत्र में स्थित घर पर छापा मारा। मौके से आपत्तिजनक ग्रंथ और अन्य सामग्री मिली। पुलिस ने नाथन नायक, मीणा नायक, अर्पित नायक, पिंकी सोनवानी और नंदन शाह को गिरफ्तार किया। बुधवार को पांचों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। पता चला है कि ये लोग 200 से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके हैं। आशंका यह भी है कि इन लोगों ने कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच भी नेटवर्क फैलाया हुआ हो। मामले का खुलासा होने के बाद दैनिक भास्कर की टीम बस्ती में पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… कोई बात करने को तैयार नहीं, महिला छड़ी लेकर दौड़ी
सिंगरौली जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है नवानगर। यहां ज्यादातर कोयला खदान (नॉर्दर्न कोल फील्ड) के मजदूर रहते हैं। आज बसौर के बाजार समेत पूरी बस्ती में सन्नाटा है। कोई कुछ बोलने तैयार नहीं। वजह भी है, मंगलवार को यहां ईसाई मिशनरी के धर्मांतरण कराने वाले रैकेट के पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस को पता चला है कि दो आरोपी कॉलेज के स्टूडेंट हैं। दैनिक भास्कर की टीम जब यहां पहुंची। धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों और जगह के बारे में पूछा, तो कोई कुछ बताने तैयार नहीं हुआ। जिससे पूछो, वो बिना कुछ बोले चला जाता। जैसे-तैसे हम बसौर बस्ती पहुंचे। एक महिला दिखी। उससे पूछा दीदी, यहां कोई दिख नहीं रहा, सब लोग कहां गए, उसने मुझे लकड़ी की छड़ी दिखाते हुए वापस जाने को कहा। वो रास्ता रोक कर खड़ी हो गई। बिना कुछ कहे वहां से वापस हो लिया। दूसरे रास्ते में हाथ ठेले के पास 14-15 साल की बच्ची नजर आई। उससे भी वही सवाल किया। सवाल पूरा होने से पहले वो पलटकर अपने घर में चली गई। करीब एक-डेढ़ घंटे बस्ती में घूमने के बाद एक घर के सामने पहुंचा। घर से भगवान की आरती गाने की आवाज आ रही थी। समझ गया कि घर में पूजा हो रही है। कोई न कोई तो कुछ देर में घर से निकलेगा ही। दो-तीन मिनट ही हुए होंगे कि एक महिला बाहर आईं। उनसे प्रणाम करने के बाद बस्ती में जो हुआ, उसके बारे में पूछा। लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा
रेणु देवी कहती हैं कि पुलिस और बाहर के लोगों को तो यहां जो चल रहा है, वो अब मालूम चला। हम लोग तो करीब 10 साल से ये सब देख रहे हैं। रविवार, बुधवार और शुक्रवार को तो यहां बहुत लोग आते थे। पूरी बस्ती में भीड़ रहती थी। जब लोग उस मकान में अंदर चले जाते, तो गेट पर ताला लग जाता था। अब अंदर क्या हो रहा है, कौन जाने। लेकिन, जानते सब थे कि अंदर लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। कई बड़े-बड़े लोग भी आते थे। बच्चों को पढ़ाई-लिखाई और पैसों का लालच देते थे। मेरे घर के आस-पास के बहुत लोग वहां जाते हैं। ये पंडित का घर, स्वीपर और वो जो मकान दिख रहे हैं, यहां के सब लोग वहां जाते हैं। मेरे परिवार को भी इन लोगों ने लालच दिया था। कुछ साल पहले बड़े बेटे की मौत हो गई। परिवार में सब लोग बहुत परेशान थे। मैं तो अपना होश-हवास तक खो चुकी थी। दिनभर घर के दरवाजे पर बैठी रहती। ऐसा लगता था कि बेटा अभी आने वाला है। मुझसे कहते थे– पैसा–धेला सब से मदद करेंगे
ये लोग मेरे ऊपर निगाह रख रहे थे। पहले आते-जाते मुझसे हाल पूछकर चले जाते। कुछ दिन बाद मेरे पास बैठकर मेरा मन बहलाने की कोशिश करने लगे। हफ्ताभर ही हुआ होगा कि धर्म-कर्म की बातें करते। वो कहते- भगवान ने बहुत बड़ी नाइंसाफी कर दी। इशू मेरी मदद करेंगे, वे बहुत दयालु हैं कहते। मुझसे इन लोगों ने प्रार्थना में आने के लिए कहा। ये लोग मुझसे बोलते थे कि हम पैसा-धेला सब से मदद करेंगे। मैं समझ गई कि ये लोग मुझे ईसाई बनाना चाहते हैं। मैंने साफ मना कर दिया। मैं ऐसा कैसे कर सकती थी। मेरे घर में तो न जाने कितने देवी-देवताओं का वास है। रोज उनकी पूजा करती हूं। अभी भी सबकी पूजा और आरती करके ही बाहर आई हूं। कोयला कंपनी के बड़े–बड़े अधिकारी भी आते थे
बसौर बस्ती में ही घूमते-घूमते यहां रहने वाले शैलेंद्र बहादुर सिंह मिले। शैलेंद्र कहते हैं कि रविवार की प्रार्थना में तो इतनी भीड़ होती थी कि गली में पैर रखने जगह नहीं होती थी। यहां होने वाली प्रार्थना में सिर्फ बस्ती के लोग ही नहीं आते थे, बल्कि कोयला कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारी आते थे। बस्ती के 20-25 परिवार हिंदू से ईसाई बन चुके हैं। पूरी बस्ती नॉर्दर्न कोल फील्ड की जमीन पर बसी है। कुछ साल पहले एक बहुत बड़े प्लाॅट पर उन लोगों ने कब्जा कर लिया। इसे ये लोग चर्च बताते हैं। ऊंची बाउंड्री है। बड़ा सा गेट लगा है। अंदर क्या हो रहा है, किसी को कुछ पता नहीं चलता। यह कंस्ट्रक्शन पूरी तरह से अवैध है। सिर्फ यह नहीं, बल्कि यहां जितनी भी बस्ती है, पूरी बस्ती नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड की जमीन पर है। चर्च नुमा यह घर 40 वर्ग फीट चौड़ा और लगभग 80 वर्ग फीट लंबा है। अब पढ़िए, ओडिशा से आकर कैसे फैलाया नेटवर्क
करीब 15 साल पहले की बात है। नाथन शाह अपनी पत्नी और बेटे के साथ ओडिशा से सिंगरौली आया। नवानगर इलाके में किराए रहने लगा। करीब 10 साल पहले बसौर बस्ती में लगभग ढाई हजार वर्ग फीट जमीन पर कब्जा किया। एक स्वीपर फैमिली ने इसे यह जमीन 10 हजार रुपए में दिलाई थी। यहां पहले मकान बनाया। परिवार के साथ रहने लगा। नाथन पहले से ही ईसाई धर्म अपना चुका था। इलाके में छोटी सी दुकान खोली, जिसमें वह सिलाई करने लगा। यहां आने वाले लोगों को ईसाई धर्म के बारे में समझाता है। धीरे-धीरे आसपास रहने वाले मोहल्लेवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने लगा। लोग बातों में आते गए। वह ईसाई धर्म में शामिल करता रहा। करीब 5 साल पहले दो कमरे के मकान को बढ़ाया। उसे चर्चनुमा भवन तैयार कर लिया, जहां ईसाई धर्म से संबंधित किताबें और साहित्य रखकर मोटिवेट करने लगा। धीरे-धीरे उसकी पत्नी और बेटा भी सहयोग करने लगे। हर शुक्रवार–रविवार होती है भीड़
हर रविवा
मध्यप्रदेश के सिंगरौली में एक फैमिली पिछले 10 साल से धर्म परिवर्तन का नेटवर्क चला रही थी। संयुक्त मानव अधिकार संगठन और भाजपा नेताओं की शिकायत के बाद 9 सितंबर की रात नवानगर क्षेत्र में स्थित घर पर छापा मारा। मौके से आपत्तिजनक ग्रंथ और अन्य सामग्री मिली। पुलिस ने नाथन नायक, मीणा नायक, अर्पित नायक, पिंकी सोनवानी और नंदन शाह को गिरफ्तार किया। बुधवार को पांचों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया। पता चला है कि ये लोग 200 से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके हैं। आशंका यह भी है कि इन लोगों ने कॉलेज में छात्र-छात्राओं के बीच भी नेटवर्क फैलाया हुआ हो। मामले का खुलासा होने के बाद दैनिक भास्कर की टीम बस्ती में पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… कोई बात करने को तैयार नहीं, महिला छड़ी लेकर दौड़ी
सिंगरौली जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है नवानगर। यहां ज्यादातर कोयला खदान (नॉर्दर्न कोल फील्ड) के मजदूर रहते हैं। आज बसौर के बाजार समेत पूरी बस्ती में सन्नाटा है। कोई कुछ बोलने तैयार नहीं। वजह भी है, मंगलवार को यहां ईसाई मिशनरी के धर्मांतरण कराने वाले रैकेट के पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस को पता चला है कि दो आरोपी कॉलेज के स्टूडेंट हैं। दैनिक भास्कर की टीम जब यहां पहुंची। धर्म परिवर्तन कराने वाले लोगों और जगह के बारे में पूछा, तो कोई कुछ बताने तैयार नहीं हुआ। जिससे पूछो, वो बिना कुछ बोले चला जाता। जैसे-तैसे हम बसौर बस्ती पहुंचे। एक महिला दिखी। उससे पूछा दीदी, यहां कोई दिख नहीं रहा, सब लोग कहां गए, उसने मुझे लकड़ी की छड़ी दिखाते हुए वापस जाने को कहा। वो रास्ता रोक कर खड़ी हो गई। बिना कुछ कहे वहां से वापस हो लिया। दूसरे रास्ते में हाथ ठेले के पास 14-15 साल की बच्ची नजर आई। उससे भी वही सवाल किया। सवाल पूरा होने से पहले वो पलटकर अपने घर में चली गई। करीब एक-डेढ़ घंटे बस्ती में घूमने के बाद एक घर के सामने पहुंचा। घर से भगवान की आरती गाने की आवाज आ रही थी। समझ गया कि घर में पूजा हो रही है। कोई न कोई तो कुछ देर में घर से निकलेगा ही। दो-तीन मिनट ही हुए होंगे कि एक महिला बाहर आईं। उनसे प्रणाम करने के बाद बस्ती में जो हुआ, उसके बारे में पूछा। लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा
रेणु देवी कहती हैं कि पुलिस और बाहर के लोगों को तो यहां जो चल रहा है, वो अब मालूम चला। हम लोग तो करीब 10 साल से ये सब देख रहे हैं। रविवार, बुधवार और शुक्रवार को तो यहां बहुत लोग आते थे। पूरी बस्ती में भीड़ रहती थी। जब लोग उस मकान में अंदर चले जाते, तो गेट पर ताला लग जाता था। अब अंदर क्या हो रहा है, कौन जाने। लेकिन, जानते सब थे कि अंदर लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। कई बड़े-बड़े लोग भी आते थे। बच्चों को पढ़ाई-लिखाई और पैसों का लालच देते थे। मेरे घर के आस-पास के बहुत लोग वहां जाते हैं। ये पंडित का घर, स्वीपर और वो जो मकान दिख रहे हैं, यहां के सब लोग वहां जाते हैं। मेरे परिवार को भी इन लोगों ने लालच दिया था। कुछ साल पहले बड़े बेटे की मौत हो गई। परिवार में सब लोग बहुत परेशान थे। मैं तो अपना होश-हवास तक खो चुकी थी। दिनभर घर के दरवाजे पर बैठी रहती। ऐसा लगता था कि बेटा अभी आने वाला है। मुझसे कहते थे– पैसा–धेला सब से मदद करेंगे
ये लोग मेरे ऊपर निगाह रख रहे थे। पहले आते-जाते मुझसे हाल पूछकर चले जाते। कुछ दिन बाद मेरे पास बैठकर मेरा मन बहलाने की कोशिश करने लगे। हफ्ताभर ही हुआ होगा कि धर्म-कर्म की बातें करते। वो कहते- भगवान ने बहुत बड़ी नाइंसाफी कर दी। इशू मेरी मदद करेंगे, वे बहुत दयालु हैं कहते। मुझसे इन लोगों ने प्रार्थना में आने के लिए कहा। ये लोग मुझसे बोलते थे कि हम पैसा-धेला सब से मदद करेंगे। मैं समझ गई कि ये लोग मुझे ईसाई बनाना चाहते हैं। मैंने साफ मना कर दिया। मैं ऐसा कैसे कर सकती थी। मेरे घर में तो न जाने कितने देवी-देवताओं का वास है। रोज उनकी पूजा करती हूं। अभी भी सबकी पूजा और आरती करके ही बाहर आई हूं। कोयला कंपनी के बड़े–बड़े अधिकारी भी आते थे
बसौर बस्ती में ही घूमते-घूमते यहां रहने वाले शैलेंद्र बहादुर सिंह मिले। शैलेंद्र कहते हैं कि रविवार की प्रार्थना में तो इतनी भीड़ होती थी कि गली में पैर रखने जगह नहीं होती थी। यहां होने वाली प्रार्थना में सिर्फ बस्ती के लोग ही नहीं आते थे, बल्कि कोयला कंपनी के बड़े-बड़े अधिकारी आते थे। बस्ती के 20-25 परिवार हिंदू से ईसाई बन चुके हैं। पूरी बस्ती नॉर्दर्न कोल फील्ड की जमीन पर बसी है। कुछ साल पहले एक बहुत बड़े प्लाॅट पर उन लोगों ने कब्जा कर लिया। इसे ये लोग चर्च बताते हैं। ऊंची बाउंड्री है। बड़ा सा गेट लगा है। अंदर क्या हो रहा है, किसी को कुछ पता नहीं चलता। यह कंस्ट्रक्शन पूरी तरह से अवैध है। सिर्फ यह नहीं, बल्कि यहां जितनी भी बस्ती है, पूरी बस्ती नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड की जमीन पर है। चर्च नुमा यह घर 40 वर्ग फीट चौड़ा और लगभग 80 वर्ग फीट लंबा है। अब पढ़िए, ओडिशा से आकर कैसे फैलाया नेटवर्क
करीब 15 साल पहले की बात है। नाथन शाह अपनी पत्नी और बेटे के साथ ओडिशा से सिंगरौली आया। नवानगर इलाके में किराए रहने लगा। करीब 10 साल पहले बसौर बस्ती में लगभग ढाई हजार वर्ग फीट जमीन पर कब्जा किया। एक स्वीपर फैमिली ने इसे यह जमीन 10 हजार रुपए में दिलाई थी। यहां पहले मकान बनाया। परिवार के साथ रहने लगा। नाथन पहले से ही ईसाई धर्म अपना चुका था। इलाके में छोटी सी दुकान खोली, जिसमें वह सिलाई करने लगा। यहां आने वाले लोगों को ईसाई धर्म के बारे में समझाता है। धीरे-धीरे आसपास रहने वाले मोहल्लेवासियों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने लगा। लोग बातों में आते गए। वह ईसाई धर्म में शामिल करता रहा। करीब 5 साल पहले दो कमरे के मकान को बढ़ाया। उसे चर्चनुमा भवन तैयार कर लिया, जहां ईसाई धर्म से संबंधित किताबें और साहित्य रखकर मोटिवेट करने लगा। धीरे-धीरे उसकी पत्नी और बेटा भी सहयोग करने लगे। हर शुक्रवार–रविवार होती है भीड़
हर रविवार और शुक्रवार यहां कई लोग पहुंचने लगे, जिन्हें वह ईसाई धर्म और यीशु की कथाएं सुन कर प्रभावित करता। नाथन और उसका परिवार लोगों को हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बनने के लिए प्रेरित करता। इसमें न सिर्फ आसपास की बस्ती के 200 से ज्यादा लोग, बल्कि नॉर्दर्न कोल्ड फील्ड कोयला खदान के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल होने लगे। पत्नी लोगों को ईसाई धर्म की कहानियां सुनाती
बताया जाता है कि मीणा दिन भर महिलाओं के बीच रहती। महिलाओं को ईसाई धर्म से संबंधित कहानियां सुनाती। उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करती। इसी तरह बेटा भी युवाओं में ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार कर रहा था। पुलिस को शक है कि यह जिस कॉलेज में पढ़ रहा था, वहां भी युवाओं में ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया होगा। हालांकि फिलहाल इसका लिंक सामने नहीं आया है। नवानगर थाना प्रभारी कपूर त्रिपाठी का कहना है पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। दुकान और घर को सील कर दिया है। अगर धर्म परिवर्तन के लिए पैसों का लालच दिया जाता था, तो हम उनके खातों की भी जांच कर रहे हैं। दो आरोपी कॉलेज के स्टूडेंट हैं। ये भी जांच कर रहे हैं कि क्या इन लोगों ने कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी प्रभावित किया है।