सीहोर में बारह खंभा मेला- हजारों श्रद्धालु पहुंचे:कामना के साथ देवशिला पर चढ़ाया दूध; दूर दूर से पहुंचते हैं लोग
सीहोर में बारह खंभा मेला- हजारों श्रद्धालु पहुंचे:कामना के साथ देवशिला पर चढ़ाया दूध; दूर दूर से पहुंचते हैं लोग
सीहोर जिले के इछावर तहसील के ग्राम देवपुरा में आज बारह खंभा मेला लगा। इस मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पशुधन के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए विशेष पूजा-अर्चना की। यह मेला पशुओं के कल्याण के लिए पूजा की अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। श्रद्धालु अपने ईष्ट देव की देवरूपी शिला का दूध से अभिषेक करते हैं। सुबह से शाम तक हजारों लीटर दूध से इस देवशिला का अभिषेक किया गया। यह देवशिला इछावर से 15 किलोमीटर दूर देवपुरा गांव में स्थित है, जिसे 'बारह खंबा वाले देव महाराज' के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां देवशिला पर अपने दुधारू पशु का दूध चढ़ाने से वे साल भर रोगमुक्त रहते हैं। सभी वर्गों के श्रद्धालु इस परंपरा में भाग लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह मेला मध्यक्षेत्र के सबसे बड़े मेलों में से एक है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। अनुमान है कि यहां दो लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं। बारह खंभा मेला प्राचीन काल से ही इछावर में लगता आ रहा है।
सीहोर जिले के इछावर तहसील के ग्राम देवपुरा में आज बारह खंभा मेला लगा। इस मेले में हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पशुधन के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए विशेष पूजा-अर्चना की। यह मेला पशुओं के कल्याण के लिए पूजा की अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। श्रद्धालु अपने ईष्ट देव की देवरूपी शिला का दूध से अभिषेक करते हैं। सुबह से शाम तक हजारों लीटर दूध से इस देवशिला का अभिषेक किया गया। यह देवशिला इछावर से 15 किलोमीटर दूर देवपुरा गांव में स्थित है, जिसे 'बारह खंबा वाले देव महाराज' के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां देवशिला पर अपने दुधारू पशु का दूध चढ़ाने से वे साल भर रोगमुक्त रहते हैं। सभी वर्गों के श्रद्धालु इस परंपरा में भाग लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह मेला मध्यक्षेत्र के सबसे बड़े मेलों में से एक है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। अनुमान है कि यहां दो लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं। बारह खंभा मेला प्राचीन काल से ही इछावर में लगता आ रहा है।