घूस लेने वाले पीडब्ल्यूडी सीनियर क्लर्क पर मेहरबानी:अधीक्षण यंत्री ने दूसरे क्लर्क के बजाय पुराने को कमी, अधिक काम का हवाला देकर बुलाया

नर्मदापुरम में लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीक्षण यंत्री कार्यालय के सीनियर क्लर्क पवन सक्सेना की दोबारा उसी दफ्तर में वापसी हो गई है, जहां से उन्हें दो महीने पहले लोकायुक्त भोपाल टीम ने ₹7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। भ्रष्टाचार के आरोपी पवन सक्सेना (सहायक ग्रेड 2) को उसी जगह वापस भेजने पर विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। अधीक्षण यंत्री ने खुद स्टाफ की कमी और कार्य के लोड का हवाला देकर सक्सेना को वापस बुलाने की अनुशंसा की थी, जिसके चलते उनका आदेश हो गया। आदेश होने के अगले दिन मंगलवार को सक्सेना ने PWD कार्यालय में जॉइन कर लिया। ठेकेदार से मांगी थी 12 हजार की घूस सीनियर क्लर्क पवन सक्सेना ने ठेकेदार अवधेश कुमार पटेल (पटेल कंस्ट्रक्शन) की विभाग में जमा 3.46 लाख रुपए की एफडी (सिक्योरिटी डिपॉजिट) लौटाने के एवज में ₹12 हजार की घूस मांगी थी। लिपिक करीब 8 माह से ठेकेदार को परेशान कर रहा था। ठेकेदार अवधेश ने लोकायुक्त में शिकायत की, जिसके चलते लोकायुक्त टीम ने डीएसपी डॉ. आरके सिंह के नेतृत्व में 28 अगस्त को लिपिक पवन सक्सेना को ₹7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद पवन सक्सेना को नर्मदापुरम से हटाकर भोपाल राजधानी कार्यालय में भेज दिया गया था। PWD ने खुद क्लर्क की कमी बताकर वापस बुलाया अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग मण्डल नर्मदापुरम ने खुद सहायक ग्रेड 2 पवन सक्सेना को बुलाने की अनुशंसा की। बुलाने की वजह में आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि अधीक्षण यंत्री कार्यालय में सहायक ग्रेड-2 की कमी एवं कार्य की अधिकता है। जिसके चलते पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता संजय मस्के ने पवन सक्सेना को नर्मदापुरम अधीक्षण यंत्री कार्यालय में कार्य के लिए निर्देशित कर दिया है। अफसरों पर उठे सवाल: क्या कोई दूसरा विकल्प नहीं? भ्रष्टाचार के आरोपी को उसी जगह वापस भेजने से विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। सवाल खड़े हो रहे हैं कि पवन सक्सेना के अलावा विभागीय अफसरों के पास सहायक ग्रेड 2 क्लर्क नहीं था, जो उन्हें ही वापस बुलाया गया है। विभाग का कहना है कि आदेश शासकीय कार्यों को सुचारू रूप से संपादित करने को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है। शासन अथवा वरिष्ठ कार्यालय द्वारा किसी अन्य सहायक ग्रेड-2 को पदस्थ किया जाता है तो यह आदेश स्वतः समाप्त माना जाएगा।

घूस लेने वाले पीडब्ल्यूडी सीनियर क्लर्क पर मेहरबानी:अधीक्षण यंत्री ने दूसरे क्लर्क के बजाय पुराने को कमी, अधिक काम का हवाला देकर बुलाया
नर्मदापुरम में लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीक्षण यंत्री कार्यालय के सीनियर क्लर्क पवन सक्सेना की दोबारा उसी दफ्तर में वापसी हो गई है, जहां से उन्हें दो महीने पहले लोकायुक्त भोपाल टीम ने ₹7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। भ्रष्टाचार के आरोपी पवन सक्सेना (सहायक ग्रेड 2) को उसी जगह वापस भेजने पर विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। अधीक्षण यंत्री ने खुद स्टाफ की कमी और कार्य के लोड का हवाला देकर सक्सेना को वापस बुलाने की अनुशंसा की थी, जिसके चलते उनका आदेश हो गया। आदेश होने के अगले दिन मंगलवार को सक्सेना ने PWD कार्यालय में जॉइन कर लिया। ठेकेदार से मांगी थी 12 हजार की घूस सीनियर क्लर्क पवन सक्सेना ने ठेकेदार अवधेश कुमार पटेल (पटेल कंस्ट्रक्शन) की विभाग में जमा 3.46 लाख रुपए की एफडी (सिक्योरिटी डिपॉजिट) लौटाने के एवज में ₹12 हजार की घूस मांगी थी। लिपिक करीब 8 माह से ठेकेदार को परेशान कर रहा था। ठेकेदार अवधेश ने लोकायुक्त में शिकायत की, जिसके चलते लोकायुक्त टीम ने डीएसपी डॉ. आरके सिंह के नेतृत्व में 28 अगस्त को लिपिक पवन सक्सेना को ₹7 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद पवन सक्सेना को नर्मदापुरम से हटाकर भोपाल राजधानी कार्यालय में भेज दिया गया था। PWD ने खुद क्लर्क की कमी बताकर वापस बुलाया अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग मण्डल नर्मदापुरम ने खुद सहायक ग्रेड 2 पवन सक्सेना को बुलाने की अनुशंसा की। बुलाने की वजह में आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि अधीक्षण यंत्री कार्यालय में सहायक ग्रेड-2 की कमी एवं कार्य की अधिकता है। जिसके चलते पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता संजय मस्के ने पवन सक्सेना को नर्मदापुरम अधीक्षण यंत्री कार्यालय में कार्य के लिए निर्देशित कर दिया है। अफसरों पर उठे सवाल: क्या कोई दूसरा विकल्प नहीं? भ्रष्टाचार के आरोपी को उसी जगह वापस भेजने से विभागीय अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। सवाल खड़े हो रहे हैं कि पवन सक्सेना के अलावा विभागीय अफसरों के पास सहायक ग्रेड 2 क्लर्क नहीं था, जो उन्हें ही वापस बुलाया गया है। विभाग का कहना है कि आदेश शासकीय कार्यों को सुचारू रूप से संपादित करने को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है। शासन अथवा वरिष्ठ कार्यालय द्वारा किसी अन्य सहायक ग्रेड-2 को पदस्थ किया जाता है तो यह आदेश स्वतः समाप्त माना जाएगा।