दीपकों से जगमगाया सिंगवासा तालाब:वैकुंठ चतुर्दशी पर भक्तों ने किया दीपदान, विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना
दीपकों से जगमगाया सिंगवासा तालाब:वैकुंठ चतुर्दशी पर भक्तों ने किया दीपदान, विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना
गुना में मंगलवार को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों और घरों में भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना की। भगवान विष्णु को कमल और शिव को बेलपत्र अर्पित किया गया। शाम के समय बड़ी संख्या में महिलाओं ने सिंगवासा तालाब पहुंचकर दीपदान किया और पूजा-अर्चना के साथ कार्तिक स्नान व्रत का समापन किया। विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना का दिन
धार्मिक कथाओं के अनुसार, वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त उपासना का दिन माना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को लाभकारी फल मिलते हैं। इस दिन शिव मंदिर और विष्णु मंदिर में जाने से व्यक्ति को कई गुना अधिक पुण्य फल मिलते हैं। इस दिन निशिताकाल (मध्यरात्रि) में भगवान विष्णु की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। नारद ऋषि को विष्णु ने बताया था मोक्ष का उपाय
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार नारद ऋषि ने स्वयं भगवान हरि से पूछा था कि साधु-संतों को तो मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति हो जाती है, लेकिन क्या सामान्य मनुष्य को मरणोपरांत मोक्ष मिल सकता है? तब भगवान विष्णु ने वैकुंठ चतुर्दशी की पूरी महिमा का वर्णन नारद ऋषि से किया था। कार्तिक स्नान व्रत का हुआ समापन
कार्तिक मास का व्रत रखने वाली महिलाओं ने आज विशेष पूजा अर्चना की। व्रत रखने वाली महिलाएं एक महीने पहले से नदी पर कार्तिक स्नान करने जाती हैं। आज चतुर्दशी के अवसर पर कार्तिक स्नान का समापन होता है। आज शाम बड़ी संख्या में महिलाएं सिंगवासा तालाब पहुंचीं, जहां पूजा-अर्चना की और दीपदान किया।
गुना में मंगलवार को वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों और घरों में भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना की। भगवान विष्णु को कमल और शिव को बेलपत्र अर्पित किया गया। शाम के समय बड़ी संख्या में महिलाओं ने सिंगवासा तालाब पहुंचकर दीपदान किया और पूजा-अर्चना के साथ कार्तिक स्नान व्रत का समापन किया। विष्णु और शिव की संयुक्त उपासना का दिन
धार्मिक कथाओं के अनुसार, वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त उपासना का दिन माना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को लाभकारी फल मिलते हैं। इस दिन शिव मंदिर और विष्णु मंदिर में जाने से व्यक्ति को कई गुना अधिक पुण्य फल मिलते हैं। इस दिन निशिताकाल (मध्यरात्रि) में भगवान विष्णु की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। नारद ऋषि को विष्णु ने बताया था मोक्ष का उपाय
धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार नारद ऋषि ने स्वयं भगवान हरि से पूछा था कि साधु-संतों को तो मृत्यु के बाद वैकुण्ठ की प्राप्ति हो जाती है, लेकिन क्या सामान्य मनुष्य को मरणोपरांत मोक्ष मिल सकता है? तब भगवान विष्णु ने वैकुंठ चतुर्दशी की पूरी महिमा का वर्णन नारद ऋषि से किया था। कार्तिक स्नान व्रत का हुआ समापन
कार्तिक मास का व्रत रखने वाली महिलाओं ने आज विशेष पूजा अर्चना की। व्रत रखने वाली महिलाएं एक महीने पहले से नदी पर कार्तिक स्नान करने जाती हैं। आज चतुर्दशी के अवसर पर कार्तिक स्नान का समापन होता है। आज शाम बड़ी संख्या में महिलाएं सिंगवासा तालाब पहुंचीं, जहां पूजा-अर्चना की और दीपदान किया।