उज्जैन में अष्टमी पर महालया-महामाया को लगा मदिरा का भोग:40 मंदिरों में पूजन के साथ रात 8 बजे पूरी होगी 27 किमी लंबी नगर पूजा

उज्जैन में चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर नगर पूजा में शनिवार को माता महालया और महामाया को मदिरा का भोग लगाया गया। नगरवासियों की सुख समृद्धि की कामना को लेकर नवरात्रि के अंतिम दिन महाअष्टमी पर श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी द्वारा प्रतिवर्ष अनुसार आयोजित होने वाली नगर पूजा में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पूरी महाराज और उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने माता को भोग लगाकर अष्टमी पर्व की शुरुआत की। 1 अप्रेल से उज्जैन सहित प्रदेश के 19 शहरों में शराबबंदी की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में इस बार नगर पूजा के लिए आबकारी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही एक पेटी देसी शराब और दो बोतल अंग्रेजी शराब लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचे थे। खास बात यह कि इस बार देवी महालया और महामाया को सीधे बोतल से मदिरा अर्पित करने की जगह चांदी के पात्र में मदिरा भरकर चढ़ाई गई। सुबह 8 बजे चौबीस खंबा माता मंदिर से नगर पूजा प्रारंभ हुई। रविंद्र पूरी महाराज ने बताया कि प्राचीन समय से नगर पूजा होती आ रही है। उज्जैन वासियों की सुख समृद्धि के लिये 28 किलोमीटर मार्ग पर मदिरा की धार लगाई जाती है। एक हांडी में कोटवार मदिरा चलते हैं और रास्ते में आने वाले प्रमुख देवी मंदिर और भैरव मंदिरों में नया ध्वज और चोला चढ़ाया जाता है। माता रानी को पूजन सामग्री के साथ सभी मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाएगा। रात 8 बजे अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर नगर पूजा का समापन होगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता डॉ. गोविंद सोलंकी ने बताया कि यात्रा के पश्चात 6 अप्रेल को बड़नगर रोड स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में भव्य कन्या पूजन के साथ भंडारे का आयोजन होगा। नगर पूजा में निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर चारधाम मंदिर पीठाधीश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी जी महाराज शामिल रहे। 27 किलोमीटर की यात्रा 40 मंदिरों में पूजन रविंद्र पूरी महाराज द्वारा चौबीस खंबा मंदिर में माता महालाया और महामाया का पूजन सम्पन्न होने के बाद शासकीय दल नगर पूजा के लिए निकला। दल में आगे कोटवार परंपरा के अनुसार मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर चलते है। मिट्टी की हांडी से मदिरा की धार पूरे नगर के रास्तों में बहती है। शासकीय दल के सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजन करेंगे। माताजी और भैरवजी को जहां मदिरा का भोग लगाया जाता है। वहीं हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है। राजा विक्रमादित्य करते थे देवी और भैरव पूजन नगर पूजा का इतिहास हजार साल पुराना है। कहा जाता है कि उज्जयिनी के राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजन किया जाता है। सम्राट विक्रमादित्य माता महालाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन कर नगर पूजा करते थे। जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे। किसी बिमारी या प्राकृतिक प्रकोप का भय नही रहे। इसी लिए नवरात्रि पर्व के महाअष्टमी पर पूजन कर माता और भैरव को भोग लगाया जाता है। जिससे माता और भैरव प्रसन्न होकर नगर की रक्षा करें।

उज्जैन में अष्टमी पर महालया-महामाया को लगा मदिरा का भोग:40 मंदिरों में पूजन के साथ रात 8 बजे पूरी होगी 27 किमी लंबी नगर पूजा
उज्जैन में चैत्र नवरात्र की अष्टमी पर नगर पूजा में शनिवार को माता महालया और महामाया को मदिरा का भोग लगाया गया। नगरवासियों की सुख समृद्धि की कामना को लेकर नवरात्रि के अंतिम दिन महाअष्टमी पर श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी द्वारा प्रतिवर्ष अनुसार आयोजित होने वाली नगर पूजा में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पूरी महाराज और उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने माता को भोग लगाकर अष्टमी पर्व की शुरुआत की। 1 अप्रेल से उज्जैन सहित प्रदेश के 19 शहरों में शराबबंदी की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में इस बार नगर पूजा के लिए आबकारी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही एक पेटी देसी शराब और दो बोतल अंग्रेजी शराब लेकर चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचे थे। खास बात यह कि इस बार देवी महालया और महामाया को सीधे बोतल से मदिरा अर्पित करने की जगह चांदी के पात्र में मदिरा भरकर चढ़ाई गई। सुबह 8 बजे चौबीस खंबा माता मंदिर से नगर पूजा प्रारंभ हुई। रविंद्र पूरी महाराज ने बताया कि प्राचीन समय से नगर पूजा होती आ रही है। उज्जैन वासियों की सुख समृद्धि के लिये 28 किलोमीटर मार्ग पर मदिरा की धार लगाई जाती है। एक हांडी में कोटवार मदिरा चलते हैं और रास्ते में आने वाले प्रमुख देवी मंदिर और भैरव मंदिरों में नया ध्वज और चोला चढ़ाया जाता है। माता रानी को पूजन सामग्री के साथ सभी मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाएगा। रात 8 बजे अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर नगर पूजा का समापन होगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता डॉ. गोविंद सोलंकी ने बताया कि यात्रा के पश्चात 6 अप्रेल को बड़नगर रोड स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में भव्य कन्या पूजन के साथ भंडारे का आयोजन होगा। नगर पूजा में निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर चारधाम मंदिर पीठाधीश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी जी महाराज शामिल रहे। 27 किलोमीटर की यात्रा 40 मंदिरों में पूजन रविंद्र पूरी महाराज द्वारा चौबीस खंबा मंदिर में माता महालाया और महामाया का पूजन सम्पन्न होने के बाद शासकीय दल नगर पूजा के लिए निकला। दल में आगे कोटवार परंपरा के अनुसार मदिरा से भरी मिट्टी की हांडी लेकर चलते है। मिट्टी की हांडी से मदिरा की धार पूरे नगर के रास्तों में बहती है। शासकीय दल के सदस्य 12 घंटे तक 27 किलोमीटर के दायरे में आने वाले चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव व हनुमान मंदिरों में पूजन करेंगे। माताजी और भैरवजी को जहां मदिरा का भोग लगाया जाता है। वहीं हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाती है। राजा विक्रमादित्य करते थे देवी और भैरव पूजन नगर पूजा का इतिहास हजार साल पुराना है। कहा जाता है कि उज्जयिनी के राजा सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल से ही चौबीस खंबा माता मंदिर में नगर पूजन किया जाता है। सम्राट विक्रमादित्य माता महालाया और महामाया के साथ ही भैरव का पूजन कर नगर पूजा करते थे। जिससे नगर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे। किसी बिमारी या प्राकृतिक प्रकोप का भय नही रहे। इसी लिए नवरात्रि पर्व के महाअष्टमी पर पूजन कर माता और भैरव को भोग लगाया जाता है। जिससे माता और भैरव प्रसन्न होकर नगर की रक्षा करें।