एमपी के 2 लाख यात्रियों को बसों का इंतजार:4 हजार अस्थायी परमिट खत्म; जारी करने वाले अधिकारी ही नहीं, सरकार भी चुप
मध्यप्रदेश में 31 दिसंबर के बाद 4 हजार बसों के पहिए थम गए हैं। बसें स्टैंड पर खड़ी हैं और यात्री सड़कों पर उनका इंतजार कर रहे हैं। वजह ये है कि हाईकोर्ट के आदेश पर अब अस्थाई परमिट की व्यवस्था बंद हो गई है। कोर्ट ने कहा था कि अस्थाई परमिट भ्रष्टाचार बढ़ा रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद हालात ये हैं कि स्थायी परमिट जारी करने वाले अधिकारी संभाग स्तर पर पोस्ट ही नहीं हुए हैं। परिवहन विभाग के अफसर भी समाधान पर चुप्पी साधे हुए हैं। बस संचालकों की मुश्किल ये है कि बिना परमिट बस चलाने पर चार गुना पेनाल्टी का प्रावधान है। बिना परमिट की गाड़ियों का एक्सीडेंट होने पर यात्रियों को भी बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा। पढ़िए, क्या है पूरा मामला... हाईकोर्ट ने कहा–अस्थायी परमिट में भ्रष्टाचार की बू
सितंबर 2024 में ग्वालियर हाईकोर्ट ने बस परमिट से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की मनमानी पर गंभीर टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था- अस्थायी परमिट देना नियम बन गया है। इससे पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की बू आ रही है। ये परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव की जिम्मेदारी है कि वे सिस्टम में फैली मनमानी और विसंगतियों को देखें और भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करें। 2 दिसंबर को अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
अस्थायी परमिट के संबंध में परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने 2 दिसंबर 2024 को एक लेटर सभी जिला परिवहन अधिकारी सहित अन्य अफसरों को भेजा। इसमें लिखा- मोटरयान अधिनियम की धारा 87(1)(सी) के प्रावधानों के तहत केवल विशिष्ट आवश्यकता के लिए ही अस्थायी परमिट जारी किए जा सकते हैं। लेकिन परिवहन विभाग द्वारा बिना परीक्षण किए अनावश्यक रूप से अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं। धारा 87 के तहत जिन मार्गों पर पर्याप्त वाहन नहीं हैं, वहां विशेष परिस्थितियों में ही अस्थायी परमिट जारी करने के प्रावधान हैं लेकिन विभाग द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। परिवहन विभाग द्वारा जो अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं, वो धारा 87 के अनुरूप जारी नहीं हो रहे हैं। निर्देशित किया जाता है कि नियमों का पालन करते हुए ही अस्थायी परमिट जारी किए जाए। एक भी डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर नहीं, जिन्हें परमिट देने का अधिकार
कोर्ट और अपर मुख्य सचिव की तरफ से डायरेक्शन मिलने के बाद जिला परिवहन अधिकारियों ने अस्थायी परमिट जारी करने से हाथ खड़े कर दिए। अब नियम के तहत डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ही परमिट जारी कर सकते हैं। वे ही सक्षम अधिकारी हैं लेकिन स्थिति ये है कि प्रदेश के 10 संभागों में से एक में भी डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पदस्थ नहीं है। ऐसे में पूरा मामला अटक गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि जिला परिवहन अधिकारियों के प्रमोशन ही नहीं हुए। समय पर प्रमोशन होते तो वे डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बन पाते। संभागीय कमिश्नर को ये पावर दे दिए गए थे लेकिन बाद में ये व्यवस्था भी खत्म हो गई। सालों से स्थायी परमिट के लिए नहीं हुई बैठक
जोर दिया जा रहा है कि स्थायी परमिट बस ऑपरेटरों को जारी किए जाएं लेकिन स्थायी परमिट के लिए सालों से बैठक ही नहीं हुई है। सब कुछ अस्थायी परमिट पर ही हो रहा था। आरटीओ द्वारा दो से चार महीने तक के अस्थायी परमिट जारी कर दिए जाते। जब जरूरत पड़ती, तब बस ऑपरेट अस्थायी परमिट लेकर रूट पर बस चला लेते। बाद में खड़ी कर देते। इससे स्थायी परमिट लेने वाले बस ऑपरेटरों के लिए कॉम्पीटिशन बढ़ जाता है। बारात–टूरिस्ट परमिट महंगे, यात्रियों से ज्यादा वसूली
एक महीने के लिए मिलने वाले अस्थायी परमिट पर रोक के बीच अब बस ऑपरेटर बारात परमिट ले रहे हैं। ये ऑनलाइन मिल जाता है। ऑनलाइन ही फीस जमा करनी होती है। घर बैठे परमिट आ जाता है लेकिन इसके लिए फीस अधिक चुकानी पड़ रही है, जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। उनसे ज्यादा किराया वसूला जा रहा है। बता दें कि बारात, टूरिस्ट और तीर्थ यात्रा के लिए अस्थायी परमिट दिया जाता है। लेकिन इसमें यात्रियों की संख्या तय रहती है। उनके नाम की जानकारी परिवहन विभाग को दी जाती है लेकिन बारात परमिट के नाम पर रोजाना यात्रियों को बैठाकर सफर करवाया जाता है। दूसरी तरफ अगर बिना परमिट बस का संचालन होता है तो चार गुना पेनाल्टी लगती है। 31 दिसंबर से खड़ी कर रखी हैं बस
दुर्गेश यादव ने बताया कि मैं चौहान ट्रैवल्स की भोपाल-हरदा रूट पर चलने वाली बस का ड्राइवर हूं। अभी बस नहीं चला रहे हैं। 31 दिसंबर की शाम से स्टैंड पर ही बस खड़ी कर रखी है। टीपी परमिट का कुछ विवाद चल रहा है। बस नहीं चलने से यात्री परेशान हैं। फोन कर रहे हैं। उन्हें क्या जवाब दें? बोल रहे हैं कि दो-तीन दिन में बस चलेगी। इस रूट पर मेरी जानकारी के अनुसार करीब 15 बसें बंद हो गई हैं। बेरोजगार हो गए, घर वाले टेंशन में
ड्राइवर अजहर अली का कहना है कि मैं रेहटी-सलकनपुर रूट पर बस चलाता हूं। दो दिन से गाड़ी बंद है। यात्री सुबह-शाम फोन कर पूछ रहे हैं कि बस कब चलेगी? उन्हें बोल रहे हैं कि बस में काम करवा रहे हैं। हमें रोज का पेमेंट मिलता है। बस बंद है तो बेरोजगार हो गए हैं। घर वाले भी टेंशन में हैं। उन्हें उम्मीद रहती है कि लड़का शाम को घर आएगा तो कमाकर लाएगा। बिना परमिट बस नहीं चला सकते
प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया- अस्थायी परमिट पर रोक से मध्यप्रदेश में करीब 4 हजार यात्री बसें प्रभावित हुई हैं। बिना परमिट बस चलाने पर पेनाल्टी लगेगी। ऐसे में मोटर मालिकों ने बस खड़ी कर दी हैं। यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में फिलहाल कोई हल नहीं निकला है। सड़क परिवहन निगम होता तो ये स्थिति नहीं बनती
सड़क परिवहन कर्मचारी-अधिकारी उत्थान समिति के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि 1 जनवरी 2025 से सार्वजनिक परिवहन सेवा को लेकर बवाल मचा है। अस्थायी परमिट जारी नहीं किए जाने के निर्देश परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिए है
मध्यप्रदेश में 31 दिसंबर के बाद 4 हजार बसों के पहिए थम गए हैं। बसें स्टैंड पर खड़ी हैं और यात्री सड़कों पर उनका इंतजार कर रहे हैं। वजह ये है कि हाईकोर्ट के आदेश पर अब अस्थाई परमिट की व्यवस्था बंद हो गई है। कोर्ट ने कहा था कि अस्थाई परमिट भ्रष्टाचार बढ़ा रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद हालात ये हैं कि स्थायी परमिट जारी करने वाले अधिकारी संभाग स्तर पर पोस्ट ही नहीं हुए हैं। परिवहन विभाग के अफसर भी समाधान पर चुप्पी साधे हुए हैं। बस संचालकों की मुश्किल ये है कि बिना परमिट बस चलाने पर चार गुना पेनाल्टी का प्रावधान है। बिना परमिट की गाड़ियों का एक्सीडेंट होने पर यात्रियों को भी बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा। पढ़िए, क्या है पूरा मामला... हाईकोर्ट ने कहा–अस्थायी परमिट में भ्रष्टाचार की बू
सितंबर 2024 में ग्वालियर हाईकोर्ट ने बस परमिट से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की मनमानी पर गंभीर टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था- अस्थायी परमिट देना नियम बन गया है। इससे पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की बू आ रही है। ये परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव और मुख्य सचिव की जिम्मेदारी है कि वे सिस्टम में फैली मनमानी और विसंगतियों को देखें और भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करें। 2 दिसंबर को अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
अस्थायी परमिट के संबंध में परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने 2 दिसंबर 2024 को एक लेटर सभी जिला परिवहन अधिकारी सहित अन्य अफसरों को भेजा। इसमें लिखा- मोटरयान अधिनियम की धारा 87(1)(सी) के प्रावधानों के तहत केवल विशिष्ट आवश्यकता के लिए ही अस्थायी परमिट जारी किए जा सकते हैं। लेकिन परिवहन विभाग द्वारा बिना परीक्षण किए अनावश्यक रूप से अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं। धारा 87 के तहत जिन मार्गों पर पर्याप्त वाहन नहीं हैं, वहां विशेष परिस्थितियों में ही अस्थायी परमिट जारी करने के प्रावधान हैं लेकिन विभाग द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है। परिवहन विभाग द्वारा जो अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं, वो धारा 87 के अनुरूप जारी नहीं हो रहे हैं। निर्देशित किया जाता है कि नियमों का पालन करते हुए ही अस्थायी परमिट जारी किए जाए। एक भी डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर नहीं, जिन्हें परमिट देने का अधिकार
कोर्ट और अपर मुख्य सचिव की तरफ से डायरेक्शन मिलने के बाद जिला परिवहन अधिकारियों ने अस्थायी परमिट जारी करने से हाथ खड़े कर दिए। अब नियम के तहत डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ही परमिट जारी कर सकते हैं। वे ही सक्षम अधिकारी हैं लेकिन स्थिति ये है कि प्रदेश के 10 संभागों में से एक में भी डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पदस्थ नहीं है। ऐसे में पूरा मामला अटक गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि जिला परिवहन अधिकारियों के प्रमोशन ही नहीं हुए। समय पर प्रमोशन होते तो वे डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बन पाते। संभागीय कमिश्नर को ये पावर दे दिए गए थे लेकिन बाद में ये व्यवस्था भी खत्म हो गई। सालों से स्थायी परमिट के लिए नहीं हुई बैठक
जोर दिया जा रहा है कि स्थायी परमिट बस ऑपरेटरों को जारी किए जाएं लेकिन स्थायी परमिट के लिए सालों से बैठक ही नहीं हुई है। सब कुछ अस्थायी परमिट पर ही हो रहा था। आरटीओ द्वारा दो से चार महीने तक के अस्थायी परमिट जारी कर दिए जाते। जब जरूरत पड़ती, तब बस ऑपरेट अस्थायी परमिट लेकर रूट पर बस चला लेते। बाद में खड़ी कर देते। इससे स्थायी परमिट लेने वाले बस ऑपरेटरों के लिए कॉम्पीटिशन बढ़ जाता है। बारात–टूरिस्ट परमिट महंगे, यात्रियों से ज्यादा वसूली
एक महीने के लिए मिलने वाले अस्थायी परमिट पर रोक के बीच अब बस ऑपरेटर बारात परमिट ले रहे हैं। ये ऑनलाइन मिल जाता है। ऑनलाइन ही फीस जमा करनी होती है। घर बैठे परमिट आ जाता है लेकिन इसके लिए फीस अधिक चुकानी पड़ रही है, जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। उनसे ज्यादा किराया वसूला जा रहा है। बता दें कि बारात, टूरिस्ट और तीर्थ यात्रा के लिए अस्थायी परमिट दिया जाता है। लेकिन इसमें यात्रियों की संख्या तय रहती है। उनके नाम की जानकारी परिवहन विभाग को दी जाती है लेकिन बारात परमिट के नाम पर रोजाना यात्रियों को बैठाकर सफर करवाया जाता है। दूसरी तरफ अगर बिना परमिट बस का संचालन होता है तो चार गुना पेनाल्टी लगती है। 31 दिसंबर से खड़ी कर रखी हैं बस
दुर्गेश यादव ने बताया कि मैं चौहान ट्रैवल्स की भोपाल-हरदा रूट पर चलने वाली बस का ड्राइवर हूं। अभी बस नहीं चला रहे हैं। 31 दिसंबर की शाम से स्टैंड पर ही बस खड़ी कर रखी है। टीपी परमिट का कुछ विवाद चल रहा है। बस नहीं चलने से यात्री परेशान हैं। फोन कर रहे हैं। उन्हें क्या जवाब दें? बोल रहे हैं कि दो-तीन दिन में बस चलेगी। इस रूट पर मेरी जानकारी के अनुसार करीब 15 बसें बंद हो गई हैं। बेरोजगार हो गए, घर वाले टेंशन में
ड्राइवर अजहर अली का कहना है कि मैं रेहटी-सलकनपुर रूट पर बस चलाता हूं। दो दिन से गाड़ी बंद है। यात्री सुबह-शाम फोन कर पूछ रहे हैं कि बस कब चलेगी? उन्हें बोल रहे हैं कि बस में काम करवा रहे हैं। हमें रोज का पेमेंट मिलता है। बस बंद है तो बेरोजगार हो गए हैं। घर वाले भी टेंशन में हैं। उन्हें उम्मीद रहती है कि लड़का शाम को घर आएगा तो कमाकर लाएगा। बिना परमिट बस नहीं चला सकते
प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया- अस्थायी परमिट पर रोक से मध्यप्रदेश में करीब 4 हजार यात्री बसें प्रभावित हुई हैं। बिना परमिट बस चलाने पर पेनाल्टी लगेगी। ऐसे में मोटर मालिकों ने बस खड़ी कर दी हैं। यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में फिलहाल कोई हल नहीं निकला है। सड़क परिवहन निगम होता तो ये स्थिति नहीं बनती
सड़क परिवहन कर्मचारी-अधिकारी उत्थान समिति के अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि 1 जनवरी 2025 से सार्वजनिक परिवहन सेवा को लेकर बवाल मचा है। अस्थायी परमिट जारी नहीं किए जाने के निर्देश परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिए हैं। साथ ही कहा है कि अगर अस्थायी परमिट दिया जाता है तो 4 बिंदुओं का विशेष ध्यान रखा जाए। इस वजह से प्रदेश की हजारों बसों के पहिए थम गए हैं। बस ऑपरेटर चाहते हैं कि निरंतर अस्थायी परमिट जारी होते रहें। परिवहन विभाग के जिम्मेदार चाहते हैं कि अस्थायी परमिट के अधिकार क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को मिले। इस पूरे विवाद के कारण यात्रियों को परेशानी उठाना पड़ रही है। सड़क परिवहन निगम अस्तित्व में होता तो ऐसी स्थिति नहीं बनती। यात्रियों के लिए होगी उचित व्यवस्था
बस नहीं चलने पर यात्रियों को हो रही परेशानी को लेकर परिवहन विभाग के एसीएस एसएन मिश्रा ने कहा- यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। शासन यात्रियों के आवागमन की उचित व्यवस्था करेगा। ये खबर भी पढ़ें... एमपी में नहीं शुरू होगा सड़क परिवहन निगम मध्यप्रदेश सरकार सड़क परिवहन निगम को दोबारा शुरू करने के बजाय नई व्यवस्था बनाने जा रही है। सरकार ने तय किया है कि एक ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बनाई जाएगी, जिसके तहत 20 सरकारी कंपनियां प्रदेश की परिवहन व्यवस्था का जिम्मा संभालेंगी। ये कंपनियां फिलहाल शहरों में लोकल बसों का संचालन कर रही हैं। पढ़ें पूरी खबर...