गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व..मानव-बाघ संघर्ष होगी चुनौती:कोर एरिया में 43 गांव, सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं; 2 टाइगर की मौत

छत्तीसगढ़ सरकार से नोटिफिकेशन जारी होते ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व बन जाएगा। यह राज्य के लिए बड़ी उपलिब्ध होगी। मगर, यहीं से सबसे बड़ी चुनौती भी शुरू होगी। वो है बाघों की सुरक्षा और संरक्षण की। दैनिक भास्कर के पास मौजूद केंद्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल पार्क में 35 राजस्व गांव और कोर एरिया के 5 किमी के दायरे में 43 गांव हैं। इन 78 गांवों में 10 हजार के करीब लोग हैं। 15 हजार मवेशी भी हैं। आज तक ग्रामीणों को यह नहीं बताया गया कि, बाघ समेत अन्य वन्य जीवों से कैसे बचना है या कैसे तालमेल बैठाना है ? दो साल में दो बाघों की संदिग्ध मौतों से यह तो पता चल गया कि मानव-बाघ में संघर्ष यहां सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा मॉनिटरिंग, पेट्रोलिंग, ट्रेसिंग के स्टाफ की कमी, अनट्रेंड कर्मचारी, निगरानी के हाईटेक सिस्टम व एक्सपर्ट ट्रेनर-ट्रेकर के अभाव जैसी चुनौतियां टाइगर रिजर्व बनने की राह में बाधा हैं। रिजर्व बनने पर इन गांवों की शिफ्टिंग होगी या नहीं, इस पर फैसला बाकी है। बाघों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं पड़ताल में दैनिक भास्कर टीम नेशनल पार्क के 50 किमी अंदर तक कई गांवों में पहुंची। ग्रामीणों से बात की। पता चला कि बाघ की मौजूदगी, सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं है। 2 मौतें इसका प्रमाण हैं। वन विभाग के अफसर कह रहे हैं कि, नोटिफिकेशन का इंतजार है। उसके बाद बाद योजना बनाएंगे। आज अकेले नेशनल पार्क क्षेत्र में इस समय 5 से 7 बाघ हैं। ये संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि ये बाघों के क्षेत्र विस्तार के अनुकूल है। खास बात ये है कि मध्यप्रदेश के बांधवगढ़, संजय डुमरी व झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व से घासीदास नेशनल पार्क बड़ा कॉरिडोर है। केंद्र ने गिनाई कमियां; टाइगर रिजर्व नोटिफिकेशन का इंतजार राज्य सरकार के नोटिफिकेशन में देरी हमें नोटिफिकेशन का इंतजार- निदेशक गुरु घासीदास नेशनल पार्क बैकुंठपुर के निदेशक सौरभ सिंह ठाकुर का कहना है कि, टाइगर रिजर्व की तैयारियां चल रही हैं। हम नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहे हैं। अभी मॉनिटरिंग हो रही है। पर, टाइगर रिजर्व बनने से रिसोर्स बढ़ेंगे। पर्यटन को लेकर भी प्ला​निंग जारी है। भास्कर एक्सपर्ट, संकेत भाले, निदेशक सेंट्रल इंडिया लैंडस्कैप, WWI का कहना है कि देखिए, सबसे पहली बात की जब टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा, तो गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व पर सीधे एनटीसीए के प्रोटोकॉल लागू आ जाएंगे। यानी एनटीसीए फंड जारी करेगा। कंजर्वेशन, मॉनिटरिंग, वॉटर बॉडी डेवलपमेंट, रेगुलर पेट्रोलिंग, वेरियर और स्टॉफ की नियुक्तियां। हर बीट में 2 बीट गार्ड होंगे। इन चीजों को बढ़ावा मिलेगा। हर साल एनटीसीए कैमरा ट्रेपिंग होगी। इन सभी गतिवि​धियों के लिए केंद्र-राज्य सरकारों से अतिरिक्त बजट मिलेगा। केंद्रीय प्रोटोकॉल के हिसाब से 400 से अधिक स्टाफ मिलेगा। मौत बनी पहेली- बरेली रिपोर्ट में बाघ के सैंपल में जहर नहीं मिला बैकुंठपुर से लगे कोरिया डिवीजन में बाघ की मौत पहेली बन गई है। वजह है इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली की रिपोर्ट, जिसमें जहर की संभावनाओं को खारिज कर दिया गया है। अब मौत को लेकर अधिकारी और विशेषज्ञ 4 अलग थ्योरी बता रहे हैं... ये भी सवाल: बाघ का रिकॉर्ड नहीं, ये कैसे? मृत बाघ का एनटीसीए, वन विभाग के पास रिकॉर्ड नहीं है। सवाल है कि ऐसा कैसे हो सकता है? विशेषज्ञों का कहना है कि गणना ठीक से न होने की स्थिति में ऐसा हो सकता है। इसमें केंद्रीय, राज्य की संस्था की नाकामी है। ऐसे में कई बाघ गिनती में छूट जाते हैं। 11 नवंबर को बाघ की मौत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। इस पर 21 नवंबर को राज्य सरकार कोर्ट में जवाब देगी।

गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व..मानव-बाघ संघर्ष होगी चुनौती:कोर एरिया में 43 गांव, सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं; 2 टाइगर की मौत
छत्तीसगढ़ सरकार से नोटिफिकेशन जारी होते ही गुरु घासीदास नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व बन जाएगा। यह राज्य के लिए बड़ी उपलिब्ध होगी। मगर, यहीं से सबसे बड़ी चुनौती भी शुरू होगी। वो है बाघों की सुरक्षा और संरक्षण की। दैनिक भास्कर के पास मौजूद केंद्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल पार्क में 35 राजस्व गांव और कोर एरिया के 5 किमी के दायरे में 43 गांव हैं। इन 78 गांवों में 10 हजार के करीब लोग हैं। 15 हजार मवेशी भी हैं। आज तक ग्रामीणों को यह नहीं बताया गया कि, बाघ समेत अन्य वन्य जीवों से कैसे बचना है या कैसे तालमेल बैठाना है ? दो साल में दो बाघों की संदिग्ध मौतों से यह तो पता चल गया कि मानव-बाघ में संघर्ष यहां सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा मॉनिटरिंग, पेट्रोलिंग, ट्रेसिंग के स्टाफ की कमी, अनट्रेंड कर्मचारी, निगरानी के हाईटेक सिस्टम व एक्सपर्ट ट्रेनर-ट्रेकर के अभाव जैसी चुनौतियां टाइगर रिजर्व बनने की राह में बाधा हैं। रिजर्व बनने पर इन गांवों की शिफ्टिंग होगी या नहीं, इस पर फैसला बाकी है। बाघों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं पड़ताल में दैनिक भास्कर टीम नेशनल पार्क के 50 किमी अंदर तक कई गांवों में पहुंची। ग्रामीणों से बात की। पता चला कि बाघ की मौजूदगी, सुरक्षा को लेकर वन विभाग गंभीर नहीं है। 2 मौतें इसका प्रमाण हैं। वन विभाग के अफसर कह रहे हैं कि, नोटिफिकेशन का इंतजार है। उसके बाद बाद योजना बनाएंगे। आज अकेले नेशनल पार्क क्षेत्र में इस समय 5 से 7 बाघ हैं। ये संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि ये बाघों के क्षेत्र विस्तार के अनुकूल है। खास बात ये है कि मध्यप्रदेश के बांधवगढ़, संजय डुमरी व झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व से घासीदास नेशनल पार्क बड़ा कॉरिडोर है। केंद्र ने गिनाई कमियां; टाइगर रिजर्व नोटिफिकेशन का इंतजार राज्य सरकार के नोटिफिकेशन में देरी हमें नोटिफिकेशन का इंतजार- निदेशक गुरु घासीदास नेशनल पार्क बैकुंठपुर के निदेशक सौरभ सिंह ठाकुर का कहना है कि, टाइगर रिजर्व की तैयारियां चल रही हैं। हम नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहे हैं। अभी मॉनिटरिंग हो रही है। पर, टाइगर रिजर्व बनने से रिसोर्स बढ़ेंगे। पर्यटन को लेकर भी प्ला​निंग जारी है। भास्कर एक्सपर्ट, संकेत भाले, निदेशक सेंट्रल इंडिया लैंडस्कैप, WWI का कहना है कि देखिए, सबसे पहली बात की जब टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा, तो गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व पर सीधे एनटीसीए के प्रोटोकॉल लागू आ जाएंगे। यानी एनटीसीए फंड जारी करेगा। कंजर्वेशन, मॉनिटरिंग, वॉटर बॉडी डेवलपमेंट, रेगुलर पेट्रोलिंग, वेरियर और स्टॉफ की नियुक्तियां। हर बीट में 2 बीट गार्ड होंगे। इन चीजों को बढ़ावा मिलेगा। हर साल एनटीसीए कैमरा ट्रेपिंग होगी। इन सभी गतिवि​धियों के लिए केंद्र-राज्य सरकारों से अतिरिक्त बजट मिलेगा। केंद्रीय प्रोटोकॉल के हिसाब से 400 से अधिक स्टाफ मिलेगा। मौत बनी पहेली- बरेली रिपोर्ट में बाघ के सैंपल में जहर नहीं मिला बैकुंठपुर से लगे कोरिया डिवीजन में बाघ की मौत पहेली बन गई है। वजह है इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली की रिपोर्ट, जिसमें जहर की संभावनाओं को खारिज कर दिया गया है। अब मौत को लेकर अधिकारी और विशेषज्ञ 4 अलग थ्योरी बता रहे हैं... ये भी सवाल: बाघ का रिकॉर्ड नहीं, ये कैसे? मृत बाघ का एनटीसीए, वन विभाग के पास रिकॉर्ड नहीं है। सवाल है कि ऐसा कैसे हो सकता है? विशेषज्ञों का कहना है कि गणना ठीक से न होने की स्थिति में ऐसा हो सकता है। इसमें केंद्रीय, राज्य की संस्था की नाकामी है। ऐसे में कई बाघ गिनती में छूट जाते हैं। 11 नवंबर को बाघ की मौत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। इस पर 21 नवंबर को राज्य सरकार कोर्ट में जवाब देगी।