नवरात्र की अराधना के बाद मां दुर्गा को विदाई:शहर के मुख्यमार्गों से निकली शोभायात्रा, देर रात तक प्रतिमाओं का किया गया विसर्जन
नवरात्र की अराधना के बाद मां दुर्गा को विदाई:शहर के मुख्यमार्गों से निकली शोभायात्रा, देर रात तक प्रतिमाओं का किया गया विसर्जन
शारदीय नवरात्र पर 9 दिनों तक मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद रविवार देर शाम मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। अलग-अलग दुर्गा पूजन समितियों ने शोभायात्रा निकाली। शहर के मुख्यमार्गों से होते हुए विसर्जन के लिए ले जाई गईं। देर रात तक विसर्जन शंकरघाट, शिवधारी तालाब और अन्य तालाबों में किया गया। सरगुजा में दुर्गा पूजन समितियां दशमीं तिथि लगने के बाद पूर्णा हुति की रस्म अदा करती हैं। समितियों ने दशहरा के अवसर पर बाहर से आने वाले लोगों के दर्शनार्थ प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाता है। दशहरा के दूसरे दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन की परंपरा है। शनिवार को समितियों ने गाजे-बाजे और आतिशबाजी के साथ निकाली। शोभा यात्राएं शहर के मुख्यमार्गों से होकर विसर्जन स्थलों तक पहुंची। रात तक विसर्जन, सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था देर रात तक शोभायात्रा शहर के मुख्यमार्गों से होकर विसर्जन स्थलों तक पहुंची। शहर से लगे शिवधारी तालाब और शंकरघाट सहित रिंगरोड स्थित तालाबों में दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित की गईं। पुलिस द्वारा विसर्जन स्थलों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। विसर्जन स्थलों पर लाइटनिंग भी की गई थी। बंगाली समाज ने सिंदूर खेला के साथ दी विदाई बंगाली समाज द्वारा स्थापित दुर्गा बाड़ी भंडार एवं दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा को विदाई दी गई। बंगाली समाज द्वारा दुर्गा बाड़ी भंडार में 76 वर्षों से दुर्गा पूजन का आयोजन किया जा रहा है। बांग्ला परंपरा के अनुरूप दोनों पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और मां दुर्गा को विदाई दी गई। सिंदूर खेला की परंपरा बंगाली समाज ने आज भी कायम रखा है। विसर्जन में दिखी सादगी
दुर्गा बाड़ी से मां दुर्गा के प्रतिमा को सादगी और परंपरागत बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन तय स्थलों पर किया गया। कुछ समितियों द्वारा सोमवार को भी मां दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।
शारदीय नवरात्र पर 9 दिनों तक मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद रविवार देर शाम मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। अलग-अलग दुर्गा पूजन समितियों ने शोभायात्रा निकाली। शहर के मुख्यमार्गों से होते हुए विसर्जन के लिए ले जाई गईं। देर रात तक विसर्जन शंकरघाट, शिवधारी तालाब और अन्य तालाबों में किया गया। सरगुजा में दुर्गा पूजन समितियां दशमीं तिथि लगने के बाद पूर्णा हुति की रस्म अदा करती हैं। समितियों ने दशहरा के अवसर पर बाहर से आने वाले लोगों के दर्शनार्थ प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाता है। दशहरा के दूसरे दिन दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन की परंपरा है। शनिवार को समितियों ने गाजे-बाजे और आतिशबाजी के साथ निकाली। शोभा यात्राएं शहर के मुख्यमार्गों से होकर विसर्जन स्थलों तक पहुंची। रात तक विसर्जन, सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था देर रात तक शोभायात्रा शहर के मुख्यमार्गों से होकर विसर्जन स्थलों तक पहुंची। शहर से लगे शिवधारी तालाब और शंकरघाट सहित रिंगरोड स्थित तालाबों में दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित की गईं। पुलिस द्वारा विसर्जन स्थलों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। विसर्जन स्थलों पर लाइटनिंग भी की गई थी। बंगाली समाज ने सिंदूर खेला के साथ दी विदाई बंगाली समाज द्वारा स्थापित दुर्गा बाड़ी भंडार एवं दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा को विदाई दी गई। बंगाली समाज द्वारा दुर्गा बाड़ी भंडार में 76 वर्षों से दुर्गा पूजन का आयोजन किया जा रहा है। बांग्ला परंपरा के अनुरूप दोनों पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और मां दुर्गा को विदाई दी गई। सिंदूर खेला की परंपरा बंगाली समाज ने आज भी कायम रखा है। विसर्जन में दिखी सादगी
दुर्गा बाड़ी से मां दुर्गा के प्रतिमा को सादगी और परंपरागत बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन तय स्थलों पर किया गया। कुछ समितियों द्वारा सोमवार को भी मां दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।