बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए बड़ा कदम:नीति आयोग और एवीए ने मिलाया हाथ, 15 हजार गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य

देश में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। नीति आयोग और एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) ने एक साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत 12 राज्यों के 73 आकांक्षी जिलों में बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस पहल का मुख्य लक्ष्य अगले एक वर्ष में देश के 104 प्रखंडों के 15,000 गांवों को बाल विवाह मुक्त घोषित करना है। नई दिल्ली में इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए गए। एवीए और आस, जो जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के 250 से अधिक गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क का हिस्सा हैं, इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस साझेदारी के तहत स्कूल न जाने वाले बच्चों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएंगे। साथ ही, हाशिए के परिवारों को विभिन्न जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इंदौर में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्था आस ने इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बाल मजदूरी, बाल विवाह, बच्चों की तस्करी और बाल यौन शोषण जैसी समस्याओं से निपटने में मददगार साबित होगा। 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क से जुड़े एवीए और आस दोनों ही बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी हैं। दो-वर्षीय एसओआई के तहत अगले दो सालों में देश के 73 जिलों के आकांक्षी प्रखंडों के इन गांवों के आर्थिक रूप से बेहद कमजोर उन परिवारों के बच्चे जो शोषण, उत्पीड़न, बाल मजदूरी या बाल विवाह दृष्टि से संवेदनशील हैं, के लिए "सुरक्षित बाल ग्राम" के रूप में एक सुरक्षा घेरा विकसित किया जाएगा। यह पहल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के साथ एकरूपता और तालमेल में है, जिसका लक्ष्य देश भर के 112 सबसे अविकसित जिलों में रूपांतरकारी बदलाव लाना है। सतत और अनथक प्रयास इस पहल के साथ एकजुटता जताते हुए आस के निदेशक वसीम इक़बाल ने कहा, “हम भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान पर अमल करते हुए अपने जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए सतत और अनथक प्रयास कर रहे हैं। एवीए और नीति आयोग की इस साझेदारी से हमारे प्रयासों को और बल मिलेगा। एवीए के साथ मिलकर हम जिले को बाल विवाह मुक्त बने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही हम जिले में बाल सुरक्षा के व्यवस्थागत तंत्र को मजबूत बनाने के लिए भी काम करेंगे। साथ मिलकर हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण में पुष्पित-पल्लवित होने के अवसर मिलें।इस साझेदारी के तहत देश के सबसे अविकसित व संवेदनशील इलाकों में बच्चियों के सशक्तीकरण और शिक्षा की पारिस्थितिकी को मजबूत करने के लिए एक समग्र और व्यापक रणनीति पर अमल किया जाएगा। बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग की निगरानी और रोकथाम के लिए सभी लक्षित गांवों में पंचायत स्तर पर लोगों की आवाजाही और विवाहों के ब्योरे दर्ज करने के लिए रजिस्टर रखे जाएंगे। स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जबकि हाशिये के व्यक्तियों और परिवारों को सरकारी जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा।इस अवसर पर एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, “आज समाज के सबसे कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हम गर्व और कृतज्ञता महसूस कर रहे हैं। दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करेंगे टिंगल ने कहा साझा प्रयासों से हमारा लक्ष्य 2025 के अंत तक इन प्रखंडों को बाल विवाह मुक्त बनाना और दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करना है। यह साझेदारी प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान के अधिकार की रक्षा करने और बाल विवाह जैसे अपराधों के खात्मे की हमारी साझा प्रतिबद्धता का सबूत है। सरकारी निकायों, समुदायों और नागरिक समाज संगठनों राज्य, जिला और प्रखंड जैसे हर स्तरों पर एकजुट होकर काम करने और साझा प्रयासों से सही मायनों में बच्चों की सुरक्षा का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।''नीति आयोग जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग करेगा, जबकि एवीए संवेदनशील परिवारों की पहचान करने, समय पर हस्तक्षेप के लिए जिला प्रशासन, राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सहयोग से वास्तविक समय में कठिनाई का सामना कर रहे प्रत्येक बच्चे और परिवार को राहत की दिशा में प्रगति पर नजर रखने के लिए मजबूत डेटाबेस तैयार करने, चयनित जिलों/ब्लॉकों में बाल मजदूरी, बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल विवाह सहित बच्चों की शिक्षा और संरक्षण से जुड़े प्रमुख संकेतकों पर जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगा।

बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए बड़ा कदम:नीति आयोग और एवीए ने मिलाया हाथ, 15 हजार गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य
देश में बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। नीति आयोग और एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) ने एक साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत 12 राज्यों के 73 आकांक्षी जिलों में बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस पहल का मुख्य लक्ष्य अगले एक वर्ष में देश के 104 प्रखंडों के 15,000 गांवों को बाल विवाह मुक्त घोषित करना है। नई दिल्ली में इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए गए। एवीए और आस, जो जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के 250 से अधिक गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क का हिस्सा हैं, इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस साझेदारी के तहत स्कूल न जाने वाले बच्चों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएंगे। साथ ही, हाशिए के परिवारों को विभिन्न जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इंदौर में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए काम करने वाली संस्था आस ने इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बाल मजदूरी, बाल विवाह, बच्चों की तस्करी और बाल यौन शोषण जैसी समस्याओं से निपटने में मददगार साबित होगा। 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क से जुड़े एवीए और आस दोनों ही बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी हैं। दो-वर्षीय एसओआई के तहत अगले दो सालों में देश के 73 जिलों के आकांक्षी प्रखंडों के इन गांवों के आर्थिक रूप से बेहद कमजोर उन परिवारों के बच्चे जो शोषण, उत्पीड़न, बाल मजदूरी या बाल विवाह दृष्टि से संवेदनशील हैं, के लिए "सुरक्षित बाल ग्राम" के रूप में एक सुरक्षा घेरा विकसित किया जाएगा। यह पहल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के साथ एकरूपता और तालमेल में है, जिसका लक्ष्य देश भर के 112 सबसे अविकसित जिलों में रूपांतरकारी बदलाव लाना है। सतत और अनथक प्रयास इस पहल के साथ एकजुटता जताते हुए आस के निदेशक वसीम इक़बाल ने कहा, “हम भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान पर अमल करते हुए अपने जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए सतत और अनथक प्रयास कर रहे हैं। एवीए और नीति आयोग की इस साझेदारी से हमारे प्रयासों को और बल मिलेगा। एवीए के साथ मिलकर हम जिले को बाल विवाह मुक्त बने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही हम जिले में बाल सुरक्षा के व्यवस्थागत तंत्र को मजबूत बनाने के लिए भी काम करेंगे। साथ मिलकर हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण में पुष्पित-पल्लवित होने के अवसर मिलें।इस साझेदारी के तहत देश के सबसे अविकसित व संवेदनशील इलाकों में बच्चियों के सशक्तीकरण और शिक्षा की पारिस्थितिकी को मजबूत करने के लिए एक समग्र और व्यापक रणनीति पर अमल किया जाएगा। बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग की निगरानी और रोकथाम के लिए सभी लक्षित गांवों में पंचायत स्तर पर लोगों की आवाजाही और विवाहों के ब्योरे दर्ज करने के लिए रजिस्टर रखे जाएंगे। स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों से जोड़ा जाएगा, जबकि हाशिये के व्यक्तियों और परिवारों को सरकारी जनकल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा।इस अवसर पर एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, “आज समाज के सबसे कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हम गर्व और कृतज्ञता महसूस कर रहे हैं। दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करेंगे टिंगल ने कहा साझा प्रयासों से हमारा लक्ष्य 2025 के अंत तक इन प्रखंडों को बाल विवाह मुक्त बनाना और दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करना है। यह साझेदारी प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान के अधिकार की रक्षा करने और बाल विवाह जैसे अपराधों के खात्मे की हमारी साझा प्रतिबद्धता का सबूत है। सरकारी निकायों, समुदायों और नागरिक समाज संगठनों राज्य, जिला और प्रखंड जैसे हर स्तरों पर एकजुट होकर काम करने और साझा प्रयासों से सही मायनों में बच्चों की सुरक्षा का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।''नीति आयोग जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग करेगा, जबकि एवीए संवेदनशील परिवारों की पहचान करने, समय पर हस्तक्षेप के लिए जिला प्रशासन, राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सहयोग से वास्तविक समय में कठिनाई का सामना कर रहे प्रत्येक बच्चे और परिवार को राहत की दिशा में प्रगति पर नजर रखने के लिए मजबूत डेटाबेस तैयार करने, चयनित जिलों/ब्लॉकों में बाल मजदूरी, बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल विवाह सहित बच्चों की शिक्षा और संरक्षण से जुड़े प्रमुख संकेतकों पर जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगा।