यौन हिंसा की रोकथाम को लेकर हुआ प्रशिक्षण:पुलिस अधिकारियों ने समितियों को दी जानकारी, नए कानून के बारे में बताया

धार में नगर और ग्राम रक्षा समिति के सक्रिय सदस्यों की क्षमता बढ़ाने के लिए सामुदायिक पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बालिका हिंसा, विशेष रूप से यौन हिंसा के अपराधों की रोकथाम करना है। कार्यक्रम का विषय 'जिम्मेदार मर्दानगी - यौन हिंसा की रोकथाम' रखा गया। इस पहल का मकसद महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना, जेंडर आधारित हिंसा को समाप्त करना और यौन हिंसा के खिलाफ जन जागरूकता उत्पन्न करना है। इसके तहत, मोहल्ला और वार्ड स्तर पर 'गुड टच बैड टच' जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों को सचेत किया जाएगा। साथ ही, यह प्रयास किया जाएगा कि नागरिकों को यौन हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया जा सके, ताकि समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल बन सके। एसपी ने रक्षा समितियों के कर्तव्यों के बारे में बताया प्रशिक्षण कार्यक्रम में एसपी मनोज कुमार सिंह ने ग्राम और नगर रक्षा समितियों के गठन और उनके कर्तव्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन समितियों का उद्देश्य शांति और व्यवस्था बनाए रखना है और इन समितियों के सदस्य समाज में सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि जब आवश्यकता हो, तो रक्षा समिति के सदस्य को सामान्य पुलिस की सहायता करनी होगी और पुलिस बल की मदद से व्यक्तियों और संपत्ति की सुरक्षा में तत्पर रहना होगा। इस प्रशिक्षण के माध्यम से, पुलिस विभाग ने सुरक्षा और शांति बनाए रखने में नागरिकों की भूमिका को सशक्त करने की दिशा में यह पहल की है। नए कानून की दी जानकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. इंद्रजीत बाकलवार ने रक्षा समितियों के सदस्यों और अधिकारियों को उनके कार्यों के प्रति जागरूक करते हुए सुरक्षा, प्रशिक्षण, और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पुलिस की मदद करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने रक्षा समिति के सदस्यों को संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी देने, आपदा राहत कार्यों में पुलिस सहायता और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया। नगर पुलिस अधीक्षक रविन्द्र वास्कले ने बताया कि पुलिस के कार्यों में समुदाय की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा समितियों का गठन किया गया है। यह समितियां न केवल अपराधों के समाधान और उनका पता लगाने में मदद करेंगी, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने रक्षा समिति के सदस्यों को उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही, नवीनतम आपराधिक अधिनियम 2023 के बारे में भी विस्तार से बताया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नए कानूनों के तहत फरियादी को क्या-क्या सुविधाएं मिल सकती हैं और कैसे वह घर बैठे एफआईआर दर्ज करवा सकता है। इस अवसर पर जन जागरुकता फैलाने के लिए पेम्पलेट भी बांटे गए। ध्‍यान लगाने पर जोर दिया प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुरूआत में गायत्री परिहार ने वुमन सेफ्टी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल मे जीने और काम करने का अधिकार होना चाहिए। यह समाज मे महिलाओं के आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और समानत का बढ़ावा देने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब महिलाएं सुरक्षित महसूस करती है, तो वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकती है। एनजीओ जनसाहस की काउंसलर गायत्री निगवाल ने मेडिटेशन करावाया और बताया कि ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है, जो हजारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में रक्षित निरीक्षक पुरूषोत्तम बिश्नोई, सूबेदार रविन्द्र कुशवाह सहित समस्त अनुभागो के ग्राम एवं नगर रक्षा समिति के सक्रिय सदस्य, ग्राम कोटवार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा जनसामान्य सहित कुल 250 लोग उपस्थित रहे।

यौन हिंसा की रोकथाम को लेकर हुआ प्रशिक्षण:पुलिस अधिकारियों ने समितियों को दी जानकारी, नए कानून के बारे में बताया
धार में नगर और ग्राम रक्षा समिति के सक्रिय सदस्यों की क्षमता बढ़ाने के लिए सामुदायिक पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बालिका हिंसा, विशेष रूप से यौन हिंसा के अपराधों की रोकथाम करना है। कार्यक्रम का विषय 'जिम्मेदार मर्दानगी - यौन हिंसा की रोकथाम' रखा गया। इस पहल का मकसद महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना, जेंडर आधारित हिंसा को समाप्त करना और यौन हिंसा के खिलाफ जन जागरूकता उत्पन्न करना है। इसके तहत, मोहल्ला और वार्ड स्तर पर 'गुड टच बैड टच' जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लोगों को सचेत किया जाएगा। साथ ही, यह प्रयास किया जाएगा कि नागरिकों को यौन हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया जा सके, ताकि समाज में शांति और सुरक्षा का माहौल बन सके। एसपी ने रक्षा समितियों के कर्तव्यों के बारे में बताया प्रशिक्षण कार्यक्रम में एसपी मनोज कुमार सिंह ने ग्राम और नगर रक्षा समितियों के गठन और उनके कर्तव्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन समितियों का उद्देश्य शांति और व्यवस्था बनाए रखना है और इन समितियों के सदस्य समाज में सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि जब आवश्यकता हो, तो रक्षा समिति के सदस्य को सामान्य पुलिस की सहायता करनी होगी और पुलिस बल की मदद से व्यक्तियों और संपत्ति की सुरक्षा में तत्पर रहना होगा। इस प्रशिक्षण के माध्यम से, पुलिस विभाग ने सुरक्षा और शांति बनाए रखने में नागरिकों की भूमिका को सशक्त करने की दिशा में यह पहल की है। नए कानून की दी जानकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. इंद्रजीत बाकलवार ने रक्षा समितियों के सदस्यों और अधिकारियों को उनके कार्यों के प्रति जागरूक करते हुए सुरक्षा, प्रशिक्षण, और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पुलिस की मदद करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने रक्षा समिति के सदस्यों को संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी देने, आपदा राहत कार्यों में पुलिस सहायता और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित किया। नगर पुलिस अधीक्षक रविन्द्र वास्कले ने बताया कि पुलिस के कार्यों में समुदाय की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा समितियों का गठन किया गया है। यह समितियां न केवल अपराधों के समाधान और उनका पता लगाने में मदद करेंगी, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने रक्षा समिति के सदस्यों को उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही, नवीनतम आपराधिक अधिनियम 2023 के बारे में भी विस्तार से बताया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नए कानूनों के तहत फरियादी को क्या-क्या सुविधाएं मिल सकती हैं और कैसे वह घर बैठे एफआईआर दर्ज करवा सकता है। इस अवसर पर जन जागरुकता फैलाने के लिए पेम्पलेट भी बांटे गए। ध्‍यान लगाने पर जोर दिया प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुरूआत में गायत्री परिहार ने वुमन सेफ्टी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल मे जीने और काम करने का अधिकार होना चाहिए। यह समाज मे महिलाओं के आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और समानत का बढ़ावा देने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब महिलाएं सुरक्षित महसूस करती है, तो वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकती है। एनजीओ जनसाहस की काउंसलर गायत्री निगवाल ने मेडिटेशन करावाया और बताया कि ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है, जो हजारों साल पुराना है। अपनी उम्र के बावजूद, यह अभ्यास दुनिया भर में आम है क्योंकि यह मस्तिष्क स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए लाभकारी है। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में रक्षित निरीक्षक पुरूषोत्तम बिश्नोई, सूबेदार रविन्द्र कुशवाह सहित समस्त अनुभागो के ग्राम एवं नगर रक्षा समिति के सक्रिय सदस्य, ग्राम कोटवार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा जनसामान्य सहित कुल 250 लोग उपस्थित रहे।