शहीद जवान मदन सिंह को नम आंखों से दी विदाई:औरंगाबाद में अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हजारों लोग, पुत्र शिवम कुमार ने दी मुखाग्नि

छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों से हुए मठभेड़ में शहीद जवान मदन सिंह को नम आंखों से हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी गई। ‘भारत माता की जय' और 'मदन कुमार अमर रहे’ के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा। बटानी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के बेटे शिवम कुमार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इससे पहले शनिवार देर शाम झारखंड होते हुए शहीद जवान का पार्थिव शरीर औरंगाबाद के पैतृक गांव के‎‎सड़सा गांव पहुंचा। पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरा गांव रो पड़ा। परिजनों का रो-रो‎कर बुरा हाल है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, लोजपा नेता सोनू सिंह, जिला परिषद प्रतिनिधि सुबोध कुमार, मुखिया प्रतिनिधि टूटू यादव, भरौंधा मुखिया विजय कुमार सहित अन्य लोगों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। 2001 में हुई थी शादी शहीद मदन सिंह की शादी वर्ष ‎2001 में संजू देवी से हुई थी, जो गृहिणी हैं‎ और गांव में ही रहती हैं। पिता मानदेव सिंह‎ किशोरी सिन्हा महिला कॉलेज औरंगाबाद‎ में लाइब्रेरियन के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सबसे बड़े भाई अमरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह एवं ‎सबसे छोटा भाई मुकेश सिंह प्राइवेट जॉब ‎में हैं। शहीद मदन सिंह का एक बेटा और ‎एक बेटी हैं। बेटी सिया नंदिनी 20 वर्ष ‎बीए फाइनल ईयर की छात्रा है जबकि बेटा ‎शिवम कुमार 18 वर्ष रांची के केंद्रीय ‎विद्यालय में पढ़ाई कर रहा है। आखिरी बार होली में आए थे घर भाई मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि अंतिम बार वे होली में घर आए थे। उन्होंने‎ सड़क किनारे जमीन रजिस्ट्री करवाया था तथा पेट्रोल पंप खोलने का सपना था। लेकिन नियति को‎ कुछ और ही मंजूर था। गांव में भी नए घर का निर्माण करवा रहे थे। निर्माण कार्य अभी पूरा भी‎ नहीं हुआ था कि वे गोली के शिकार हो गए। गांव वाले भी उनके कुशल व्यवहार के कायल हैं।‎

शहीद जवान मदन सिंह को नम आंखों से दी विदाई:औरंगाबाद में अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हजारों लोग, पुत्र शिवम कुमार ने दी मुखाग्नि
छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों से हुए मठभेड़ में शहीद जवान मदन सिंह को नम आंखों से हजारों लोगों ने अंतिम विदाई दी गई। ‘भारत माता की जय' और 'मदन कुमार अमर रहे’ के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा। बटानी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के बेटे शिवम कुमार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इससे पहले शनिवार देर शाम झारखंड होते हुए शहीद जवान का पार्थिव शरीर औरंगाबाद के पैतृक गांव के‎‎सड़सा गांव पहुंचा। पार्थिव शरीर पहुंचते ही पूरा गांव रो पड़ा। परिजनों का रो-रो‎कर बुरा हाल है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, लोजपा नेता सोनू सिंह, जिला परिषद प्रतिनिधि सुबोध कुमार, मुखिया प्रतिनिधि टूटू यादव, भरौंधा मुखिया विजय कुमार सहित अन्य लोगों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। 2001 में हुई थी शादी शहीद मदन सिंह की शादी वर्ष ‎2001 में संजू देवी से हुई थी, जो गृहिणी हैं‎ और गांव में ही रहती हैं। पिता मानदेव सिंह‎ किशोरी सिन्हा महिला कॉलेज औरंगाबाद‎ में लाइब्रेरियन के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सबसे बड़े भाई अमरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह एवं ‎सबसे छोटा भाई मुकेश सिंह प्राइवेट जॉब ‎में हैं। शहीद मदन सिंह का एक बेटा और ‎एक बेटी हैं। बेटी सिया नंदिनी 20 वर्ष ‎बीए फाइनल ईयर की छात्रा है जबकि बेटा ‎शिवम कुमार 18 वर्ष रांची के केंद्रीय ‎विद्यालय में पढ़ाई कर रहा है। आखिरी बार होली में आए थे घर भाई मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि अंतिम बार वे होली में घर आए थे। उन्होंने‎ सड़क किनारे जमीन रजिस्ट्री करवाया था तथा पेट्रोल पंप खोलने का सपना था। लेकिन नियति को‎ कुछ और ही मंजूर था। गांव में भी नए घर का निर्माण करवा रहे थे। निर्माण कार्य अभी पूरा भी‎ नहीं हुआ था कि वे गोली के शिकार हो गए। गांव वाले भी उनके कुशल व्यवहार के कायल हैं।‎