भोपाल गैस त्रासदी पर अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पेश:यूनियन कार्बाइड-डाउ मुआवजा दें,3 दिसंबर ‘राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस’ घोषित करें
भोपाल गैस त्रासदी पर अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पेश:यूनियन कार्बाइड-डाउ मुआवजा दें,3 दिसंबर ‘राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस’ घोषित करें
भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी पर अमेरिकी संसद में 3 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है। यह प्रस्ताव सीनेटर जेफ मर्कले और प्रतिनिधि सभा की सदस्य प्रमिला जयपाल और रशीदा तलैब ने पेश किया है। जयपाल ने कहा ‘भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदाओं में से एक थी। साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। त्रासदी में 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। पांच लाख से अधिक लोग आज भी इसके दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। ’सीनेटर जेफ मर्कले बोले- ‘रासायनिक आपदाएं अक्सर कंपनियों की ओर से सुरक्षा को नजरअंदाज कर मुनाफे को प्राथमिकता देने का नतीजा होती हैं। भोपाल गैस त्रासदी ने लाखों जिंदगियां तबाह कर दीं और आज भी इसका असर बना हुआ है। ’प्रस्ताव में यूनियन कार्बाइड के खिलाफ भारतीय अदालत में चल रही कार्यवाही का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने यूनियन कार्बाइड और उसके सीईओ वॉरेन एंडरसन पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया, पर कंपनी और उसके प्रतिनिधि अदालत में पेश नहीं हुए। यहां तक कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधियों के तहत किए गए प्रयास भी विफल रहे। प्रस्ताव में यह भी बताया गया कि 2001 से यूनियन कार्बाइड की मालिक डाउ केमिकल ने अपनी सहायक कंपनी को किसी भी कानूनी कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया। भोपाल के लोग आज भी झेल रहे पीड़ा : भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी हजारों परिवार न्याय की उम्मीद में संघर्ष कर रहे हैं। प्रदूषण से प्रभावित इलाके में आज भी कई बीमारियां फैल रही हैं। इस प्रस्ताव के जरिए अमेरिका में भोपाल त्रासदी और रासायनिक आपदाओं पर सख्त कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 40 साल बाद भी न्याय की आस प्रस्ताव में त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल को जिम्मेदार ठहराया गया है। जयपाल ने कहा- ‘यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए, पर उन्होंने पल्ला झाड़ रखा है।’ तलैब ने कहा, ‘डाउ ने यूनियन कार्बाइड का अधिग्रहण करते वक्त इस त्रासदी की जिम्मेदारी ली थी। 40 साल बाद भी पीड़ित न्याय की उम्मीद में हैं। नुकसान की भरपाई डाउ को करनी ही होगी।’
भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी पर अमेरिकी संसद में 3 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय रासायनिक आपदा जागरूकता दिवस’ के रूप में मनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है। यह प्रस्ताव सीनेटर जेफ मर्कले और प्रतिनिधि सभा की सदस्य प्रमिला जयपाल और रशीदा तलैब ने पेश किया है। जयपाल ने कहा ‘भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक आपदाओं में से एक थी। साल 1984 में 2 और 3 दिसंबर की रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। त्रासदी में 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। पांच लाख से अधिक लोग आज भी इसके दुष्प्रभाव झेल रहे हैं। ’सीनेटर जेफ मर्कले बोले- ‘रासायनिक आपदाएं अक्सर कंपनियों की ओर से सुरक्षा को नजरअंदाज कर मुनाफे को प्राथमिकता देने का नतीजा होती हैं। भोपाल गैस त्रासदी ने लाखों जिंदगियां तबाह कर दीं और आज भी इसका असर बना हुआ है। ’प्रस्ताव में यूनियन कार्बाइड के खिलाफ भारतीय अदालत में चल रही कार्यवाही का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत सरकार ने यूनियन कार्बाइड और उसके सीईओ वॉरेन एंडरसन पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया, पर कंपनी और उसके प्रतिनिधि अदालत में पेश नहीं हुए। यहां तक कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधियों के तहत किए गए प्रयास भी विफल रहे। प्रस्ताव में यह भी बताया गया कि 2001 से यूनियन कार्बाइड की मालिक डाउ केमिकल ने अपनी सहायक कंपनी को किसी भी कानूनी कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया। भोपाल के लोग आज भी झेल रहे पीड़ा : भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी हजारों परिवार न्याय की उम्मीद में संघर्ष कर रहे हैं। प्रदूषण से प्रभावित इलाके में आज भी कई बीमारियां फैल रही हैं। इस प्रस्ताव के जरिए अमेरिका में भोपाल त्रासदी और रासायनिक आपदाओं पर सख्त कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। 40 साल बाद भी न्याय की आस प्रस्ताव में त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल को जिम्मेदार ठहराया गया है। जयपाल ने कहा- ‘यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए, पर उन्होंने पल्ला झाड़ रखा है।’ तलैब ने कहा, ‘डाउ ने यूनियन कार्बाइड का अधिग्रहण करते वक्त इस त्रासदी की जिम्मेदारी ली थी। 40 साल बाद भी पीड़ित न्याय की उम्मीद में हैं। नुकसान की भरपाई डाउ को करनी ही होगी।’