अभ्युदय मौत मामले में पुलिस से कोर्ट के 13 सवाल:खारिजी रिपोर्ट रद्द कर पूछा- बच्चा अपने पैर बांधकर फांसी कैसे लगा सकता है
अभ्युदय मौत मामले में पुलिस से कोर्ट के 13 सवाल:खारिजी रिपोर्ट रद्द कर पूछा- बच्चा अपने पैर बांधकर फांसी कैसे लगा सकता है
गुना में 14 साल के अभ्युदय जैन की मौत के मामले में कोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं। अभ्युदय की मां अल्का जैन पर हत्या का आरोप है। अल्का करीब 3 महीनों से जेल में है। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस की खारिजी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और 13 गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि जांच अधूरी लग रही है, जिसमें कई अहम बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया। अब कोर्ट के आदेश के बाद ये मामला फिर से हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं के तहत चलेगा। दैनिक भास्कर को इस केस से जुड़ी वो तस्वीरें भी मिली हैं, जो पुलिस ने केस डायरी के साथ कोर्ट में पेश की थीं। पढ़िए वो 13 सवाल, जो कोर्ट ने जांच पर उठाए हैं। कोर्ट के सवालों से पहले जानिए क्या है पूरा मामला...
मामला 14 फरवरी का है, अभ्युदय अपने घर के बाथरूम में मृत अवस्था में मिला। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की राय और मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर मां अल्का जैन को हत्या का आरोपी माना। 22 फरवरी को कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई और 8 मार्च को अल्का को गिरफ्तार कर लिया गया। तभी से वह जेल में है। अभ्युदय के पिता अनुपम पुलिस की इस जांच से असंतुष्ट थे। उन्होंने जांच गुना से बाहर के किसी अधिकारी से कराए जाने की मांग की। इस पर आईजी ग्वालियर रेंज ने मामले की जांच डीआईजी अमित सांघी के निर्देशन में कराने का निर्णय लिया। शिवपुरी के अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा को नई SIT का हेड बनाया गया। यह टीम करीब डेढ़ महीने से दोबारा जांच कर रही थी। नई SIT ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के डॉक्टरों से मेडिको-लीगल राय मांगी। GMC की रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे की मौत फांसी लगने से हुई है। इस आधार पर SIT ने अल्का जैन को निर्दोष मानते हुए 5 मई को सीजेएम कोर्ट में खारिजी रिपोर्ट पेश की, लेकिन शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने SIT द्वारा पेश की गई खारिजी रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सीजेएम मधुलिका मुले ने रिपोर्ट को अधूरी मानते हुए हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में संज्ञान लिया है। साथ ही, पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए 13 अहम बिंदुओं पर जवाब न देने को गंभीर चूक माना। अब सिलसिलेवार पढ़िए कोर्ट के वो 13 सवाल पहला सवाल: केस डायरी में मृतक की मां का अंतिम बार मृतक के साथ देखा जाना बताया गया है। इस संबंध में साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 (धारा यह प्रावधान करती है कि जब कोई तथ्य किसी व्यक्ति के विशेष ज्ञान में हो, तो उस तथ्य को साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होता है) के प्रावधानों पर विचार किया जाना चाहिए। यानि मामले में कोई ऐसी बात है, जो अल्का जैन को मालूम है। दूसरा सवाल: केस डायरी में अभ्युदय की मौत 1:30 बजे उसके खाना खाने के एक घंटे के अंतराल में और 2:30 बजे के लगभग होना बताया गया है। उस समय अभ्युदय की मां का घर में ही होना बताया गया है। तीसरा सवाल: केस डायरी में यह तथ्य है कि अभ्युदय ने टॉवेल हैंगर पर दुपट्टे से फांसी लगाई है, लेकिन हैंगर की उंचाई, बालक की लंबाई का जो विवरण बताया है, उस स्थिति में बालक का स्वयं के पैर बांधकर फांसी लगाकर आत्महत्या करना संदेहास्पद प्रतीत होता है। चौथा सवाल: केस डायरी में लिखा है कि अभ्युदय की मां ने उसके पैरों में बंधी हुई लैगी और गले में फंसे दुपट्टे को चाकू से काटा था। लेकिन डायरी में जो तस्वीरें हैं, उनमें लैगी तीन बराबर टुकड़ों में कटी हुई दिख रही है। अब सवाल यह उठता है कि अगर लैगी वास्तव में पैरों में बंधी थी, तो उसे चाकू से काटने पर वह इतनी सफाई से तीन बराबर हिस्सों में कैसे कट गई? यह स्थिति संदेह पैदा करती है और इसकी गहराई से जांच जरूरी है। पांचवां सवाल: केस डायरी में लिखा है कि अभ्युदय की मां ने फ्लैट का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश किया और बाथरूम में अपने बेटे को दुपट्टे से लटका हुआ देखा। इसके बाद वह जोर से चीखी और मकान मालकिन उसकी आवाज सुनकर 2-3 मिनट में ऊपर पहुंच गई। मकान मालकिन जब पहुंचीं, तब अभ्युदय नीचे लेटा था और उसकी मां सिराहने के पास बैठी थी। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सिर्फ 2-3 मिनट में एक मां, बेटे के गले में फंसे दुपट्टे और पैरों में बंधी लैगी को चाकू से काट सकती है? जब बच्चा मां की गोद में था, तब हैंगर पर बंधे दुपट्टे के दूसरे सिरे की गांठ खोलना और उसे पूरी तरह हटाना कैसे संभव हुआ? जबकि केस डायरी में जो फोटो हैं, उनमें टॉवेल हैंगर खाली दिख रहा है, उस पर कोई दुपट्टा नहीं दिखाई दे रहा। छठा सवाल: केस डायरी में यह बताया गया है कि अल्का जैन के फ्लैट की चाबी खो गई थी। उसने मकान मालकिन से फ्लैट की दूसरी चाबी मांगी। मकान मालकिन ने अपने घर की चाबियों का पर्स अल्का को दे दिया। उसमें से अपने एक फ्लैट की चाबी अलका जैन द्वारा ढूंढ लेना अपने कथनों में बताया है। यहां यह विचार योग्य है कि कई सारी चाबियों में से इतने कम समय में ही लॉक में लगाकर देखे बिना केवल देखकर एकमात्र डुप्लीकेट चाबी अल्का ने ढूंढ ली। उसी चाबी से लॉक खुल भी गया। सामान्य स्थिति में यह संभव नहीं है। इस संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता कि अलका जैन के पास पहले से ही फ्लैट की एक चाबी उपलब्ध हो सकती है। सातवां सवाल: केस डायरी में अभ्युदय की नोटबुक जब्त की गई है। इसमें पीछे के तीन पन्नों पर मृतक के परिजनों के संबंधों को लेकर कुछ तथ्य लिखे गए हैं। उसी नोटबुक में एक पेज फटा हुआ है, जो संदेह का आधार पैदा करता है। आठवां सवाल: केस डायरी में बताया गया है कि घटना के अगले ही दिन, अभ्युदय की मामी और मकान मालकिन उसके स्कूल पहुंचीं और उसके हिंदी के पेपर की उत्तर पुस्तिका की जांच की गई। अब सवाल यह उठता है कि जिस घर में एक बच्चे की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई हो, वहां परिजनों का इतनी जल्दी शोक की अवस्था में खुद ही जांच जैसी प्रक्रिया में शामिल होना सामान्य नहीं लगता। यह व्यवहार स्वाभाविक नहीं है और इससे संदेह उत्पन्न होता है, इसलिए इस पहलू की गहराई से जांच की जानी चाहिए। नौवां सवाल: प्रकरण
गुना में 14 साल के अभ्युदय जैन की मौत के मामले में कोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं। अभ्युदय की मां अल्का जैन पर हत्या का आरोप है। अल्का करीब 3 महीनों से जेल में है। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस की खारिजी रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और 13 गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि जांच अधूरी लग रही है, जिसमें कई अहम बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया। अब कोर्ट के आदेश के बाद ये मामला फिर से हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं के तहत चलेगा। दैनिक भास्कर को इस केस से जुड़ी वो तस्वीरें भी मिली हैं, जो पुलिस ने केस डायरी के साथ कोर्ट में पेश की थीं। पढ़िए वो 13 सवाल, जो कोर्ट ने जांच पर उठाए हैं। कोर्ट के सवालों से पहले जानिए क्या है पूरा मामला...
मामला 14 फरवरी का है, अभ्युदय अपने घर के बाथरूम में मृत अवस्था में मिला। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों की राय और मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर मां अल्का जैन को हत्या का आरोपी माना। 22 फरवरी को कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई और 8 मार्च को अल्का को गिरफ्तार कर लिया गया। तभी से वह जेल में है। अभ्युदय के पिता अनुपम पुलिस की इस जांच से असंतुष्ट थे। उन्होंने जांच गुना से बाहर के किसी अधिकारी से कराए जाने की मांग की। इस पर आईजी ग्वालियर रेंज ने मामले की जांच डीआईजी अमित सांघी के निर्देशन में कराने का निर्णय लिया। शिवपुरी के अजाक डीएसपी अवनीत शर्मा को नई SIT का हेड बनाया गया। यह टीम करीब डेढ़ महीने से दोबारा जांच कर रही थी। नई SIT ने भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के डॉक्टरों से मेडिको-लीगल राय मांगी। GMC की रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चे की मौत फांसी लगने से हुई है। इस आधार पर SIT ने अल्का जैन को निर्दोष मानते हुए 5 मई को सीजेएम कोर्ट में खारिजी रिपोर्ट पेश की, लेकिन शुक्रवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने SIT द्वारा पेश की गई खारिजी रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सीजेएम मधुलिका मुले ने रिपोर्ट को अधूरी मानते हुए हत्या और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में संज्ञान लिया है। साथ ही, पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए 13 अहम बिंदुओं पर जवाब न देने को गंभीर चूक माना। अब सिलसिलेवार पढ़िए कोर्ट के वो 13 सवाल पहला सवाल: केस डायरी में मृतक की मां का अंतिम बार मृतक के साथ देखा जाना बताया गया है। इस संबंध में साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 (धारा यह प्रावधान करती है कि जब कोई तथ्य किसी व्यक्ति के विशेष ज्ञान में हो, तो उस तथ्य को साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होता है) के प्रावधानों पर विचार किया जाना चाहिए। यानि मामले में कोई ऐसी बात है, जो अल्का जैन को मालूम है। दूसरा सवाल: केस डायरी में अभ्युदय की मौत 1:30 बजे उसके खाना खाने के एक घंटे के अंतराल में और 2:30 बजे के लगभग होना बताया गया है। उस समय अभ्युदय की मां का घर में ही होना बताया गया है। तीसरा सवाल: केस डायरी में यह तथ्य है कि अभ्युदय ने टॉवेल हैंगर पर दुपट्टे से फांसी लगाई है, लेकिन हैंगर की उंचाई, बालक की लंबाई का जो विवरण बताया है, उस स्थिति में बालक का स्वयं के पैर बांधकर फांसी लगाकर आत्महत्या करना संदेहास्पद प्रतीत होता है। चौथा सवाल: केस डायरी में लिखा है कि अभ्युदय की मां ने उसके पैरों में बंधी हुई लैगी और गले में फंसे दुपट्टे को चाकू से काटा था। लेकिन डायरी में जो तस्वीरें हैं, उनमें लैगी तीन बराबर टुकड़ों में कटी हुई दिख रही है। अब सवाल यह उठता है कि अगर लैगी वास्तव में पैरों में बंधी थी, तो उसे चाकू से काटने पर वह इतनी सफाई से तीन बराबर हिस्सों में कैसे कट गई? यह स्थिति संदेह पैदा करती है और इसकी गहराई से जांच जरूरी है। पांचवां सवाल: केस डायरी में लिखा है कि अभ्युदय की मां ने फ्लैट का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश किया और बाथरूम में अपने बेटे को दुपट्टे से लटका हुआ देखा। इसके बाद वह जोर से चीखी और मकान मालकिन उसकी आवाज सुनकर 2-3 मिनट में ऊपर पहुंच गई। मकान मालकिन जब पहुंचीं, तब अभ्युदय नीचे लेटा था और उसकी मां सिराहने के पास बैठी थी। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सिर्फ 2-3 मिनट में एक मां, बेटे के गले में फंसे दुपट्टे और पैरों में बंधी लैगी को चाकू से काट सकती है? जब बच्चा मां की गोद में था, तब हैंगर पर बंधे दुपट्टे के दूसरे सिरे की गांठ खोलना और उसे पूरी तरह हटाना कैसे संभव हुआ? जबकि केस डायरी में जो फोटो हैं, उनमें टॉवेल हैंगर खाली दिख रहा है, उस पर कोई दुपट्टा नहीं दिखाई दे रहा। छठा सवाल: केस डायरी में यह बताया गया है कि अल्का जैन के फ्लैट की चाबी खो गई थी। उसने मकान मालकिन से फ्लैट की दूसरी चाबी मांगी। मकान मालकिन ने अपने घर की चाबियों का पर्स अल्का को दे दिया। उसमें से अपने एक फ्लैट की चाबी अलका जैन द्वारा ढूंढ लेना अपने कथनों में बताया है। यहां यह विचार योग्य है कि कई सारी चाबियों में से इतने कम समय में ही लॉक में लगाकर देखे बिना केवल देखकर एकमात्र डुप्लीकेट चाबी अल्का ने ढूंढ ली। उसी चाबी से लॉक खुल भी गया। सामान्य स्थिति में यह संभव नहीं है। इस संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता कि अलका जैन के पास पहले से ही फ्लैट की एक चाबी उपलब्ध हो सकती है। सातवां सवाल: केस डायरी में अभ्युदय की नोटबुक जब्त की गई है। इसमें पीछे के तीन पन्नों पर मृतक के परिजनों के संबंधों को लेकर कुछ तथ्य लिखे गए हैं। उसी नोटबुक में एक पेज फटा हुआ है, जो संदेह का आधार पैदा करता है। आठवां सवाल: केस डायरी में बताया गया है कि घटना के अगले ही दिन, अभ्युदय की मामी और मकान मालकिन उसके स्कूल पहुंचीं और उसके हिंदी के पेपर की उत्तर पुस्तिका की जांच की गई। अब सवाल यह उठता है कि जिस घर में एक बच्चे की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई हो, वहां परिजनों का इतनी जल्दी शोक की अवस्था में खुद ही जांच जैसी प्रक्रिया में शामिल होना सामान्य नहीं लगता। यह व्यवहार स्वाभाविक नहीं है और इससे संदेह उत्पन्न होता है, इसलिए इस पहलू की गहराई से जांच की जानी चाहिए। नौवां सवाल: प्रकरण में जब्त मोबाइल की कॉल डिटेल, सीसीटीवी फुटेज, पेनड्राइव विचार योग्य है। दसवां सवाल: अभ्युदय की आत्महत्या का कारण उसका पढ़ाई में कमजोर होना और डिप्रेशन में रहना बताया गया है। पुलिस ने उसकी पांचवी, छठी, सातवीं की अंकसूची जब्त की गई है। मार्कशीट के अनुसार अभ्युदय को पांचवी कक्षा में 89.5 प्रतिशत और लगभग 90 प्रतिशत, छठी कक्षा में 78 प्रतिशत और सातवीं कक्षा 64.7 प्रतिशत नंबर आए हैं। ऐसी स्थिति में यह तथ्य भी विचार योग्य है। खारिजी प्रतिवेदन में अभ्युदय के पढ़ाई में कमजोर होने और उसके बाद आत्महत्या करने के अभिमत में संदेह उत्पन्न करता है। ग्यारहवां सवाल: केस डायरी में बताया गया है कि फ्लैट अंदर से लॉक था। यह भी विचार किया जाना चाहिए कि फ्लैट के दरवाजे का लॉक क्या ऐसा था कि उसको किसी भी दशा में बाहर से बंद ही नहीं किया जा सकता था। इस संबंध में कोई स्पष्ट अभिमत केस डायरी में न होने से संदेह पैदा होता है। बारहवां सवाल: साक्षी राजकुमारी और सोनम के बयानों में यह बताया गया है कि घटना दिनांक को दोनों नीचे काम कर रही थीं। ऊपर के फ्लोर से 2:30 बजे के लगभग धम-धम और पैर पटकने की आवाज आई। अभ्युदय की मौत का समय भी केस डायरी में 2:30 बजे के आसपास ही बताया गया है। ये दोनों परिस्थितियां भी प्रकरण में संदेह पैदा करती हैं। तेरहवां सवाल: शव परीक्षण रिपोर्ट में मृत्यु का कारण एंटीमार्टम स्ट्रैंगुलेशन होना बताया है। मृतक की आंखों में सबकंजक्टायबल हेमरेज पाया जाना भी पीएम रिपोर्ट में बताया गया है, जो कि सामान्यतः स्ट्रैंगुलेशन (गला घोंटने) के केस में पाया जाता है। इस परिस्थिति को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।