शनि जयंती पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़:नवग्रह शनि मंदिर में कई धार्मिक आयोजन; हवन और भंडारे होंगे
शनि जयंती पर मंगलवार को शहर के कई शनि मंदिरों में धार्मिक आयोजन होंगे। आज शनि जयंती और भौमवती अमावस्या का विशेष संयोग है। देश के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई। सुबह मंदिर के पट खुलने के बाद शनि देव का अभिषेक और श्रृंगार किया गया। दोपहर में भंडारे का आयोजन होगा व रात्रि में महाआरती की जाएगी। शनि जयंती के अवसर पर त्रिवेणी स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में प्रातः पट खुलने के बाद शनि देव का अभिषेक, पूजन, तेल, सिंदूर और अन्य पूजन सामग्री से किया गया। शनि जयंती होने के कारण देश भर से श्रद्धालु इस प्रसिद्ध स्थल पर शनि महाराज के पूजन और दर्शन के लिए रात तक पहुंचते रहेंगे। इसी प्रकार, बम्बाखाना नई पेठ स्थित शनि मंदिर में सुबह 9 बजे से अभिषेक और पूजन के बाद 11 बजे हवन और दोपहर 12 बजे जन्म आरती की जाएगी। मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाएगा। ढाबा रोड स्थित शनि मंदिर में एकादशी से ही भगवान शनि देव के अभिषेक-पूजन का क्रम प्रारंभ हो गया है। चौदस को सुबह से शाम तक महा पूजन किया जाएगा। मंगलवार को सुबह अभिषेक के बाद श्रृंगार होगा और दोपहर में जन्म आरती की जाएगी। यहां भक्तों को दो क्विंटल नुकती का प्रसाद वितरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य शनि मंदिरों में भी धार्मिक आयोजन होंगे। राजा विक्रमादित्य ने की थी प्रतिमाओं की स्थापना धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित प्राचीन शनि मंदिर को लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी विद्यमान हैं, इसीलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां शनिदेव की दो प्रतिमाएं हैं, जिन्हें राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किया गया था-एक सामान्य शनिदेव की प्रतिमा तथा दूसरी ढैया शनि की। जो लोग शनि की ढैया से पीड़ित होते हैं, वे यहां दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
शनि जयंती पर मंगलवार को शहर के कई शनि मंदिरों में धार्मिक आयोजन होंगे। आज शनि जयंती और भौमवती अमावस्या का विशेष संयोग है। देश के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर में सुबह से भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई। सुबह मंदिर के पट खुलने के बाद शनि देव का अभिषेक और श्रृंगार किया गया। दोपहर में भंडारे का आयोजन होगा व रात्रि में महाआरती की जाएगी। शनि जयंती के अवसर पर त्रिवेणी स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में प्रातः पट खुलने के बाद शनि देव का अभिषेक, पूजन, तेल, सिंदूर और अन्य पूजन सामग्री से किया गया। शनि जयंती होने के कारण देश भर से श्रद्धालु इस प्रसिद्ध स्थल पर शनि महाराज के पूजन और दर्शन के लिए रात तक पहुंचते रहेंगे। इसी प्रकार, बम्बाखाना नई पेठ स्थित शनि मंदिर में सुबह 9 बजे से अभिषेक और पूजन के बाद 11 बजे हवन और दोपहर 12 बजे जन्म आरती की जाएगी। मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाएगा। ढाबा रोड स्थित शनि मंदिर में एकादशी से ही भगवान शनि देव के अभिषेक-पूजन का क्रम प्रारंभ हो गया है। चौदस को सुबह से शाम तक महा पूजन किया जाएगा। मंगलवार को सुबह अभिषेक के बाद श्रृंगार होगा और दोपहर में जन्म आरती की जाएगी। यहां भक्तों को दो क्विंटल नुकती का प्रसाद वितरित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य शनि मंदिरों में भी धार्मिक आयोजन होंगे। राजा विक्रमादित्य ने की थी प्रतिमाओं की स्थापना धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित प्राचीन शनि मंदिर को लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां शनि देव के साथ-साथ अन्य नवग्रह भी विद्यमान हैं, इसीलिए इसे नवग्रह मंदिर भी कहा जाता है। यहां शनिदेव की दो प्रतिमाएं हैं, जिन्हें राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित किया गया था-एक सामान्य शनिदेव की प्रतिमा तथा दूसरी ढैया शनि की। जो लोग शनि की ढैया से पीड़ित होते हैं, वे यहां दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।