सतना से सरभंगा तक 100 km की साइकिल यात्रा:चार साइकिलिस्ट ने पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश; 5 घंटे में पूरी की दूरी
सतना के साइक्लिंग क्लब के चार साइकिलिस्ट ने सरभंगा के बाघों के संरक्षण के लिए सतना से सरभंगा तक 100 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। इनमें प्रभात सिंह बघेल, राहुल यादव, वीरेंद्र सिंह रावल और युवा साइकिलिस्ट सुजीत एमके शामिल हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सरभंगा के घने जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित कराने और वन्यजीवों के संरक्षण की मांग को आवाज देना था। साइकिलिस्ट हिरौंदी होते हुए सरभंगा की ओर बढ़े। इन्होंने बारिश, फिसलन, उबड़-खाबड़ रास्तों और कम दृश्यता जैसी कई चुनौतियों का सामना किया। इन सभी बाधाओं के बावजूद, उन्होंने मात्र 5 घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने हौसले का परिचय दिया। पर्यावरण संरक्षण को समर्पित था अभियान
सरभंगा के जंगल, बाघों की मौजूदगी, पक्षियों की चहचहाहट और बारिश से बने बहते झरनों ने इस यात्रा को यादगार बना दिया। सतना साइक्लिंग क्लब ने इस अभियान को पर्यावरण संरक्षण को समर्पित किया। साथ ही जंगलों की रक्षा और टाइगर रिजर्व की मांग को मजबूती से उठाया। यह यात्रा साहस, प्रतिबद्धता और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन गई है। इन साइकिलिस्टों ने प्रकृति प्रेम और संरक्षण का संदेश भी दिया।
सतना के साइक्लिंग क्लब के चार साइकिलिस्ट ने सरभंगा के बाघों के संरक्षण के लिए सतना से सरभंगा तक 100 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। इनमें प्रभात सिंह बघेल, राहुल यादव, वीरेंद्र सिंह रावल और युवा साइकिलिस्ट सुजीत एमके शामिल हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सरभंगा के घने जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित कराने और वन्यजीवों के संरक्षण की मांग को आवाज देना था। साइकिलिस्ट हिरौंदी होते हुए सरभंगा की ओर बढ़े। इन्होंने बारिश, फिसलन, उबड़-खाबड़ रास्तों और कम दृश्यता जैसी कई चुनौतियों का सामना किया। इन सभी बाधाओं के बावजूद, उन्होंने मात्र 5 घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने हौसले का परिचय दिया। पर्यावरण संरक्षण को समर्पित था अभियान
सरभंगा के जंगल, बाघों की मौजूदगी, पक्षियों की चहचहाहट और बारिश से बने बहते झरनों ने इस यात्रा को यादगार बना दिया। सतना साइक्लिंग क्लब ने इस अभियान को पर्यावरण संरक्षण को समर्पित किया। साथ ही जंगलों की रक्षा और टाइगर रिजर्व की मांग को मजबूती से उठाया। यह यात्रा साहस, प्रतिबद्धता और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक बन गई है। इन साइकिलिस्टों ने प्रकृति प्रेम और संरक्षण का संदेश भी दिया।