ममलेश्वर लोक का सरकारी वीडियो देखकर भड़का आंदोलन:लोग बोले- अफसरों को क्या पता, फुटपाथ पर एक-एक रुपया जुटाते हैं; फिर प्रोजेक्ट रद्द हुआ

ओंकारेश्वर में 120 करोड़ रुपए के ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट पर विवाद के बाद प्रशासन ने मंगलवार को रोक लगा दी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 9 महीने पहले इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी, जिसके लिए बजट में 120 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। पर्यटन विभाग की ओर से जारी एक वीडियो के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, जिसके बाद तीन दिनों तक ओंकारेश्वर बंद रहा। लोगों का कहना था कि इस प्रोजेक्ट के चलते 8 एकड़ जमीन पर बने 400 से ज्यादा मकान, दुकानें, होटल और आश्रम उजड़ जाएंगे। आरोप है कि अधिकारी जमीनी हकीकत से अनजान हैं और भोपाल में बैठकर योजनाएं बना रहे हैं। सिंहस्थ तक इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था, लेकिन विरोध के कारण दो दिनों तक लॉकडाउन जैसे हालात बन गए, जिससे भक्तों को नर्मदा जल से प्यास बुझानी पड़ी। स्थानीय लोगों और संत समाज की नाराजगी के बाद प्रशासन को प्रोजेक्ट रोकने पर मजबूर होना पड़ा। दैनिक भास्कर की टीम ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को समझने और लोगों के विरोध का कारण जानने ममलेश्वर पहुंची। यहां रहवासी, जनप्रतिनिधि से लेकर अफसरों तक से बात की, पढ़िए रिपोर्ट... सबसे पहले ममलेश्वर लोक के बारे में जान लीजिए उज्जैन सिंहस्थ- 2028 के तहत 4.6 हेक्टेयर में 120 करोड़ रुपए की लागत से ममलेश्वर लोक प्रस्तावित किया गया। इसके लिए 3 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण होना था। इसकी डेडलाइन दिसंबर 2027 तक तय की गई। इस लोक के निर्माण के लिए ब्रह्मपुरी घाट रोड से लेकर गजानंद आश्रम, झूलापुल से गोमुख घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर से जूना अखाड़ा का क्षेत्र शामिल किया गया। जानिए, तय डिजाइन के अनुसार कैसा होता लोक लोक बनाने की घोषणा से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ बजट में मंजूरी भोपाल में बनी डिजाइन विधायक भी प्रोजेक्ट से अनजान मध्यस्थता बैठक हुई जानिए, नहीं बनी बात और फिर कैसे शुरू हुआ आंदोलन शाम 7 बजे बंद का एलान, अगले दिन लॉकडाउन जैसे हालात बंद का ऐसा असर, दूसरे दिन शाम होते-होते फैसला टालना पड़ा ओंकारेश्वर बंद का व्यापक असर देखने को मिला। रहवासी से लेकर दुकानदार तक का बंद को पूरा समर्थन मिला। लोगों ने दुकान के शटर तक नहीं उठाए। यहां आने वाले भक्त हर चीज के लिए तरस गए। भूखे-प्यासे घूमते रहे। कई लोग रुकने के मन से यहां पहुंचे थे, लेकिन अचानक प्लान बदलकर दर्शन के बाद वापस लौट गए। ओंकारेश्वर के हालात देखकर दूसरे दिन प्रशासन हरकत में आया। अपर कलेक्टर काशीराम बड़ोले को संतों के साथ ही रहवासियों से चर्चा के लिए ओंकारेश्वर भेजा गया। अपर कलेक्टर ओंकारेश्वर पहुंचे तो लोगों ने दो टूक कह दिया। हमें यह प्रस्ताव मंजूर रहीं। सभी से बात करने के बाद फीडबैक ऊपर भेजा गया। शाम होते-होते ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को निरस्त करने की बात सामने आ गई। इस संबंध में तत्काल लिखित आदेश भी जारी कर दिया गया। फैसले के बाद मनी दीवाली, केक काटकर खुशी जाहिर की वैसे तो ओंकारेश्वर 3 दिन के लिए बंद था, लेकिन दूसरे दिन ही मांग पूरी हो गई। अपने पक्ष में आए फैसले को लेकर लोगों ने जश्न मनाया। तीर्थनगरी में दीवाली जैसा माहौल रहा। लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। महिलाओं ने घर-आंगन और छतों पर दीप जलाए। बच्चों ने रांगोली बनाई। बड़ी संख्या में लोग बाबा के दर पर माथा टेकने पहुंचे। कुछ ने केक काटकर खुशी का इजहार किया। महिलाओं ने कहा कि उनके साथ न्याय हुआ है। सरकार से आग्रह किया कि वो अपने फैसले को हमेशा के लिए निरस्त कर दे। एक पुश्तैनी बस्ती को उजाड़ कर पर्यटन के नाम पर कैसे लोक बनाया जा सकता है। पार्षद बोले- जो बैठक में सुना, वही जनता को बताया भास्कर टीम ने उस दिन बैठक में शामिल रहीं ब्रह्मपुरी क्षेत्र की पार्षद चंपा बाई और जेपी चौक क्षेत्र के पार्षद कालूराम केवट से बात की। उन्होंने कहा- हमें तो नगर परिषद और कलेक्टर कार्यालय से फोन आया था कि खंडवा मीटिंग में चलना है। मीटिंग में प्रशासन ने एकतरफा बात की। पार्षदों के जो सुझाव थे, उन पर चर्चा तक नहीं हुई। हम लोगों को इतना कह दिया कि आप दूसरी जगह ढूंढ लो। वहां जो बातें हुईं और जो संकेत मिले। जनता के बीच आकर उन्हें पूरी बात बताई। प्रशासन की जो विस्थापन नीति थी, उससे जनता में आक्रोश था। फिर आगे की रणनीति बनी और सभी लोग ओंकारेश्वर बंद के समर्थन में उतर आए। ममलेश्वर मंदिर के पुजारी बोले- बस्ती को हटाकर विकास जरूरी नहीं टीम ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर ममलेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर अत्रे से बात की। पुजारी भी आमजन के पक्ष में खड़े दिख। बोले- ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को प्रशासन ने कैंसल किया है। आगे क्या होगा, नहीं पता। मंदिर में जो मूल सुविधाएं हैं, वह भक्तों को मिलना चाहिए। ममलेश्वर मंदिर के पास सुलभ शौचालय नहीं है। श्रद्धालु परेशान होते हैं। दूसरा भीषण गर्मी या भीड़ के दौरान श्रद्धालु थोड़ा आराम कर सके, इसके लिए मंदिर में कहीं भी टीनशेड नहीं है। अब उनका दर्द, जिनका सबकुछ उजड़ रहा उन्हें क्या पता, फुटपाथ पर बैठकर एक-एक रुपया जुटाते हैं ब्रह्मपुरी क्षेत्र की सुनीता रावत ने कहा कि प्रशासन ने हमें बहुत प्रताड़ित किया। हमने स्वेच्छा से बंद का आह्वान किया था। हमारी लड़ाई जारी रहती, जब तक कि प्रशासन कोई हल निकालता। हमें दुख है कि दो दिन तक बंद के दौरान दर्शनार्थियों को हमारी ओर से पीड़ा सहना पड़ी, लेकिन हमारी भी पीड़ा नहीं सुनी जा रही थी, इसलिए बंद का आह्वान किया। इस दौरान हमें भी संघर्ष करना पड़ा। एक वक्त का खाना बनाते, वो भी बच जाता था ममलेश्वर मंदिर के पुजारी परिवार से जुड़ी शीतल उपाध्याय कहती हैं कि बहुत समय से मुख्यमंत्री से निवेदन कर रहे थे कि एक प्रोजेक्ट के लिए इतना बड़ा जुल्म तो नहीं होना चाहिए। विस्थापन हमारे लिए एक विकट परेशानी थी। जबसे खबर मिली कि ममलेश्वर लोक तो यहीं बनेगा, सांसद और कलेक्टर ने भी बोल दिया, तब से हमारे यहां एक वक्त का भोजन बन रहा था, वो भी फेंकने में जा रहा था। किसी का मन नहीं लग रहा था। इस चिंता में सो भी नहीं पा रहे थे। संत समाज और पूरे नग

ममलेश्वर लोक का सरकारी वीडियो देखकर भड़का आंदोलन:लोग बोले- अफसरों को क्या पता, फुटपाथ पर एक-एक रुपया जुटाते हैं; फिर प्रोजेक्ट रद्द हुआ
ओंकारेश्वर में 120 करोड़ रुपए के ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट पर विवाद के बाद प्रशासन ने मंगलवार को रोक लगा दी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 9 महीने पहले इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी, जिसके लिए बजट में 120 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। पर्यटन विभाग की ओर से जारी एक वीडियो के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, जिसके बाद तीन दिनों तक ओंकारेश्वर बंद रहा। लोगों का कहना था कि इस प्रोजेक्ट के चलते 8 एकड़ जमीन पर बने 400 से ज्यादा मकान, दुकानें, होटल और आश्रम उजड़ जाएंगे। आरोप है कि अधिकारी जमीनी हकीकत से अनजान हैं और भोपाल में बैठकर योजनाएं बना रहे हैं। सिंहस्थ तक इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था, लेकिन विरोध के कारण दो दिनों तक लॉकडाउन जैसे हालात बन गए, जिससे भक्तों को नर्मदा जल से प्यास बुझानी पड़ी। स्थानीय लोगों और संत समाज की नाराजगी के बाद प्रशासन को प्रोजेक्ट रोकने पर मजबूर होना पड़ा। दैनिक भास्कर की टीम ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को समझने और लोगों के विरोध का कारण जानने ममलेश्वर पहुंची। यहां रहवासी, जनप्रतिनिधि से लेकर अफसरों तक से बात की, पढ़िए रिपोर्ट... सबसे पहले ममलेश्वर लोक के बारे में जान लीजिए उज्जैन सिंहस्थ- 2028 के तहत 4.6 हेक्टेयर में 120 करोड़ रुपए की लागत से ममलेश्वर लोक प्रस्तावित किया गया। इसके लिए 3 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण होना था। इसकी डेडलाइन दिसंबर 2027 तक तय की गई। इस लोक के निर्माण के लिए ब्रह्मपुरी घाट रोड से लेकर गजानंद आश्रम, झूलापुल से गोमुख घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर से जूना अखाड़ा का क्षेत्र शामिल किया गया। जानिए, तय डिजाइन के अनुसार कैसा होता लोक लोक बनाने की घोषणा से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ बजट में मंजूरी भोपाल में बनी डिजाइन विधायक भी प्रोजेक्ट से अनजान मध्यस्थता बैठक हुई जानिए, नहीं बनी बात और फिर कैसे शुरू हुआ आंदोलन शाम 7 बजे बंद का एलान, अगले दिन लॉकडाउन जैसे हालात बंद का ऐसा असर, दूसरे दिन शाम होते-होते फैसला टालना पड़ा ओंकारेश्वर बंद का व्यापक असर देखने को मिला। रहवासी से लेकर दुकानदार तक का बंद को पूरा समर्थन मिला। लोगों ने दुकान के शटर तक नहीं उठाए। यहां आने वाले भक्त हर चीज के लिए तरस गए। भूखे-प्यासे घूमते रहे। कई लोग रुकने के मन से यहां पहुंचे थे, लेकिन अचानक प्लान बदलकर दर्शन के बाद वापस लौट गए। ओंकारेश्वर के हालात देखकर दूसरे दिन प्रशासन हरकत में आया। अपर कलेक्टर काशीराम बड़ोले को संतों के साथ ही रहवासियों से चर्चा के लिए ओंकारेश्वर भेजा गया। अपर कलेक्टर ओंकारेश्वर पहुंचे तो लोगों ने दो टूक कह दिया। हमें यह प्रस्ताव मंजूर रहीं। सभी से बात करने के बाद फीडबैक ऊपर भेजा गया। शाम होते-होते ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को निरस्त करने की बात सामने आ गई। इस संबंध में तत्काल लिखित आदेश भी जारी कर दिया गया। फैसले के बाद मनी दीवाली, केक काटकर खुशी जाहिर की वैसे तो ओंकारेश्वर 3 दिन के लिए बंद था, लेकिन दूसरे दिन ही मांग पूरी हो गई। अपने पक्ष में आए फैसले को लेकर लोगों ने जश्न मनाया। तीर्थनगरी में दीवाली जैसा माहौल रहा। लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। महिलाओं ने घर-आंगन और छतों पर दीप जलाए। बच्चों ने रांगोली बनाई। बड़ी संख्या में लोग बाबा के दर पर माथा टेकने पहुंचे। कुछ ने केक काटकर खुशी का इजहार किया। महिलाओं ने कहा कि उनके साथ न्याय हुआ है। सरकार से आग्रह किया कि वो अपने फैसले को हमेशा के लिए निरस्त कर दे। एक पुश्तैनी बस्ती को उजाड़ कर पर्यटन के नाम पर कैसे लोक बनाया जा सकता है। पार्षद बोले- जो बैठक में सुना, वही जनता को बताया भास्कर टीम ने उस दिन बैठक में शामिल रहीं ब्रह्मपुरी क्षेत्र की पार्षद चंपा बाई और जेपी चौक क्षेत्र के पार्षद कालूराम केवट से बात की। उन्होंने कहा- हमें तो नगर परिषद और कलेक्टर कार्यालय से फोन आया था कि खंडवा मीटिंग में चलना है। मीटिंग में प्रशासन ने एकतरफा बात की। पार्षदों के जो सुझाव थे, उन पर चर्चा तक नहीं हुई। हम लोगों को इतना कह दिया कि आप दूसरी जगह ढूंढ लो। वहां जो बातें हुईं और जो संकेत मिले। जनता के बीच आकर उन्हें पूरी बात बताई। प्रशासन की जो विस्थापन नीति थी, उससे जनता में आक्रोश था। फिर आगे की रणनीति बनी और सभी लोग ओंकारेश्वर बंद के समर्थन में उतर आए। ममलेश्वर मंदिर के पुजारी बोले- बस्ती को हटाकर विकास जरूरी नहीं टीम ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर ममलेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर अत्रे से बात की। पुजारी भी आमजन के पक्ष में खड़े दिख। बोले- ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को प्रशासन ने कैंसल किया है। आगे क्या होगा, नहीं पता। मंदिर में जो मूल सुविधाएं हैं, वह भक्तों को मिलना चाहिए। ममलेश्वर मंदिर के पास सुलभ शौचालय नहीं है। श्रद्धालु परेशान होते हैं। दूसरा भीषण गर्मी या भीड़ के दौरान श्रद्धालु थोड़ा आराम कर सके, इसके लिए मंदिर में कहीं भी टीनशेड नहीं है। अब उनका दर्द, जिनका सबकुछ उजड़ रहा उन्हें क्या पता, फुटपाथ पर बैठकर एक-एक रुपया जुटाते हैं ब्रह्मपुरी क्षेत्र की सुनीता रावत ने कहा कि प्रशासन ने हमें बहुत प्रताड़ित किया। हमने स्वेच्छा से बंद का आह्वान किया था। हमारी लड़ाई जारी रहती, जब तक कि प्रशासन कोई हल निकालता। हमें दुख है कि दो दिन तक बंद के दौरान दर्शनार्थियों को हमारी ओर से पीड़ा सहना पड़ी, लेकिन हमारी भी पीड़ा नहीं सुनी जा रही थी, इसलिए बंद का आह्वान किया। इस दौरान हमें भी संघर्ष करना पड़ा। एक वक्त का खाना बनाते, वो भी बच जाता था ममलेश्वर मंदिर के पुजारी परिवार से जुड़ी शीतल उपाध्याय कहती हैं कि बहुत समय से मुख्यमंत्री से निवेदन कर रहे थे कि एक प्रोजेक्ट के लिए इतना बड़ा जुल्म तो नहीं होना चाहिए। विस्थापन हमारे लिए एक विकट परेशानी थी। जबसे खबर मिली कि ममलेश्वर लोक तो यहीं बनेगा, सांसद और कलेक्टर ने भी बोल दिया, तब से हमारे यहां एक वक्त का भोजन बन रहा था, वो भी फेंकने में जा रहा था। किसी का मन नहीं लग रहा था। इस चिंता में सो भी नहीं पा रहे थे। संत समाज और पूरे नगर वासियों ने एकजुट होकर इस प्रोजेक्ट का विरोध किया। प्रशासन के पास तो सेवा का कोई इंतजाम ही नहीं है। यात्रियों की सेवा में आगे भी तत्पर रहेंगे। प्रोजेक्ट निरस्त होने की खुशी पूरे नगर में है। घर पर बुलडोजर चलेगा, इसी डिप्रेशन में थे कॉलेज पढ़ने वाली छात्रा वैष्णवी अत्रे ने बताया कि हम लोगों को खाना-पीना कुछ नहीं दिख रहा था। आए दिन बस ममलेश्वर लोक की चिंता सता रही थी। डिप्रेशन में जा रहे थे कि क्या होगा, कहां रहेंगे। यही सोच रहे थे कि घर पर बुलडोजर चलेगा तो इसे कैसे सहन कर पाएंगे, लेकिन चंद दिनों में ही खुशी मिली। यह संतों और नगर वासियों की एकजुटता का ही परिणाम है। इस खुशी में दीप जलाए, आतिशबाजी भी की। महंत बोले- मुख्यमंत्री ने हमारी भावनाओं को समझा पूरा आंदोलन जोड़ गणपति मंदिर के महंत मंगलदास जी की देख-रेख में हुआ। भास्कर की टीम ने उसने भी बात की। वे बोले- ये बड़ी प्रसन्नता की बात है कि, जो ममलेश्वर लोक बनने जा रहा था, जो हमें पसंद भी नहीं था, उसे निरस्त किया गया है। हम लोग धर्म को मानने वाले हैं। पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा देना नहीं चाहते हैं। कांग्रेस बोली- जनता ने अपनी ताकत बताई कांग्रेस जिलाध्यक्ष उत्तमपाल सिंह पुरनी ने कहा कि संत समाज और ओंकारेश्वर की जनता के कारण सरकार को उसका निर्णय वापस लेना पड़ा। जनता की ताकत क्या होती है, यह ओंकारेश्वर के लोगों ने बता दी। इस निर्णय का श्रेय संत समाज और जनता को जाता है, जिनकी मजबूती के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ गया। बीजेपी उपाध्यक्ष बोले- पहले पुनर्वास नीति बनाना थी भाजपा नेता और जिला उपाध्यक्ष श्याम सिंह मौर्य ने कहा कि तीर्थ नगरी के लोगों की मांग जायज थी। सिंहस्थ के मद्देनजर ममलेश्वर लोक भी जरूरी है, लेकिन प्रशासन ने सिर्फ अपने स्तर पर काम किया। ममलेश्वर लोक की ड्रॉइंग-डिजाइन फाइनल कर दी गई, इसी के पैरलल प्रशासन को एक बेहतर विस्थापन नीति भी बनाना था। अचानक सर्वे शुरू हुआ तो असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। प्रभावितों की सहमति से पहले उन्हें उचित जगह देना थी। नई बसाहट को विकसित करते, फिर ममलेश्वर लोक के निर्माण की नींव रखतें। कुल मिलाकर प्रशासन ने एकपक्षीय काम किया हैं। ममलेश्वर लोक अभी टला, अब आगे क्या? भास्कर टीम ने यह जानने की कोशिश की कि अभी तो लोक बनाने के निर्णय को टाल दिया गया है, लेकिन भविष्य में क्या होगा। इस पर संत और नगर वासियों के बीच पहुंचे अपर कलेक्टर काशीराम बड़ोले से बात की। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस प्रोजेक्ट को रद्द किया जा रहा है। आगे जो भी होगा, उसमें लोगों की सहमति और सुझाव लिए जाएंगे। संतों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी प्रोजेक्ट में विस्थापन न हो। बगैर विस्थापन के कार्य हो। ये खबर भी पढ़ें... ओंकारेश्वर में लॉकडाउन जैसे हालात, होटलों पर ताला 'सरकार को जहां भी ममलेश्वर लोक बनाना है। हम साथ देंगे, लेकिन हम अपनी जन्मभूमि नहीं छोड़ेंगे। रात 3-4 बजे जब सब सो रहे होते हैं, तब प्रशासन अंधेरे में आकर सर्वे करता है। ये कैसा प्रशासन और कैसी सरकार है?'... यह कहना है ओंकारेश्वर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र की सुनीता रावत का। इसी विरोध के साथ ब्रह्मपुरी के स्थानीय लोग धरने पर बैठे हैं। ओंकारेश्वर में अभी लॉकडाउन जैसे हालात बन गए हैं। पढ़ें पूरी खबर... ओंकारेश्वर का ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट निरस्त...लोगों ने आतिशबाजी की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ममलेश्वर लोक को लेकर चल रहे व्यापक विरोध के बाद आखिरकार ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया गया है। खबर सामने आने के बाद लोग आतिशबाजी कर जश्न मना रहे हैं। बता दें कि दैनिक भास्कर ने प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे साधु-संतों और स्थानीय लोगों से बात कर उनकी परेशानी को समझा और उनकी बात आगे पहुंचाई। इसी के बाद प्रोजेक्ट निरस्त करने का फैसला हुआ। पढ़ें पूरी खबर...