इंजीनियर ने 8 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की खेती:बालाघाट का किसान 6 एकड़ में उगा रहा सब्जियां, सालाना 6 लाख का मुनाफा
इंजीनियर ने 8 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की खेती:बालाघाट का किसान 6 एकड़ में उगा रहा सब्जियां, सालाना 6 लाख का मुनाफा
बालाघाट के इंजीनियर ने सालाना 8 लाख रुपए पैकेज वाली प्राइवेट नौकरी छोड़कर किसान बनने का निर्णय किया। वह 6 एकड़ जमीन में सब्जियों की पैदावार कर रहा है। इससे सालाना 6 लाख रुपए का मुनाफा भी हो रहा है। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको परसवाड़ा के अरंडिया गांव के रहने वाले विनीत पटेल से मिलवाते हैं। अरंडिया और सेरपार में 50 एकड़ पुश्तैनी जमीन है। खास बात है कि विनीत फर्टिगेशन टेक्नीक का उपयोग कर मिर्च, शिमला मिर्च, कद्दू, करेले, ब्रोकली, बरबटी और लौकी की पैदावार कर रहे हैं। विनीत गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में खेती करते हैं, जिसमें कम लागत में बेहतर मुनाफा मिल रहा है। दादा से प्रभावित होकर शुरू की सब्जियों की खेती
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद विनीत ने रायपुर में प्राइवेट जॉब शुरू की। सबकुछ ठीक चल रहा था। कोरोना काल में सालाना 8 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर गांव आ आए। विनीत के पिता संपत पटेल बताते हैं, ‘शुरुआत से ही पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं। अपने खेत में धान, गेहूं और चना लगाते हैं। हमारे पिताजी अमरतलाल पटेल शौक के लिए सब्जियां उगाया करते थे, जिसे विनीत देखा करता था। संभवत: अपने दादाजी से ही उसे सब्जियों की खेती करने की प्रेरणा मिली। कोरोना काल में जब वह रायपुर से लौटा, तो वह फिर दोबारा लौटकर नहीं गया। इसी दौरान हमने सब्जियों की खेती का प्लान बनाया। इसके लिए सेरपार में 6 एकड़ में फार्म हाउस बनाया गया।’ 3 साल पहले शुरू की खेती
विनीत बताते हैं, ‘2022 में 6 एकड़ जमीन में अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाना शुरू किया। मार्केट से अच्छी क्वालिटी का बीज लेकर आए। कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की भी मदद ली। पहले जमीन तैयार करने के लिए 4 से 5 बार जुताई, गोबर खाद और रासायनिक खाद डाली, दो बार रोटावेटर चलाया गया। इसके बाद धार बनाकर उसकी ड्रेसिंग की। किसी भी सब्जी के लिए पर्याप्त पानी का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया। खेत में 15 से 20 लाख रुपए का यह सिस्टम लगवाया। शुरुआत में एक एकड़ में करीब 3 से 4 लाख रुपए का सालाना खर्च आया। सीजन के मुताबिक एक साल में तीन बार फसल लेने लगे। इससे एक से दो लाख रुपए का प्रति एकड़ फायदा होने लगा। पहले शिमला मिर्च लगाई थी, जिससे अच्छा फायदा हुआ था। इसके बाद मिर्च लगाई। इसके अलावा खीरा, फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, बरबटी, लौकी, कद्दू के साथ अन्य सब्जियां उगा रहे हैं। कोई फसल दो महीने में तैयार हो जाती है, तो किसी को ज्यादा समय लगता है। एक साल में एक एकड़ में तीन बार फसल लेते हैं। इसे स्थानीय बाजार के साथ बालाघाट और बाहर भी भेजते हैं। हर साल एक एकड़ पर एक से दो लाख का प्रॉफिट होता है।’ हाइब्रिड और स्वदेशी बीजों का इस्तेमाल
विनीत पटेल बताते हैं, ‘सब्जी उत्पादन के लिए दोनों तरह के बीजों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें हाइब्रिड और स्वदेशी बीज शामिल हैं। दोनों से ही अच्छा उत्पादन होता है। हालांकि स्वदेशी सब्जियों की स्थानीय स्तर पर ज्यादा डिमांड है। वहीं, हाइब्रिड बीजों से तैयार हुई सब्जियों को मंडियों तक भेजा जाता है। आधुनिक उपकरणों से लैस है फार्म
विनीत का फार्म हाउस आधुनिक उपकरणों से लैस है। उन्होंने बताया कि कल्टीवेटर से जुताई करते हैं, जिससे मिट्टी पूरी तरह पलट कर भुरभुरी हो जाती है। इससे भूमि में हवा का संचार अच्छे से हो जाता है। ऐसे में पोषक तत्व पौधे को अच्छी तरह से मिल जाता है। वहीं, नमी सरंक्षण के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करते हैं। इसमें प्लास्टिक की पन्नी उपयोग होती है। इससे न सिर्फ नमी संरक्षण होता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण भी बेहतर होता है। फर्टिगेशन पद्धति से देते हैं पानी और उर्वरक
विनीत ने बताया कि हम सिंचाई के लिए फर्टिेगेशन तकनीक इस्तेमाल करते हैं। इसमें सिंचाई के साथ ही उर्वरक दिए जाते हैं। इस तकनीक में यंत्र में ही उर्वरक मिला दिए जाते हैं। ड्रिप इरिगेशन के साथ पौधों को पानी और उर्वरक मिल जाते हैं। साल भर खेती करने से भूमि की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ सकता है। ऐसे में साल में एक बार खेत में गोबर खाद भी डालते हैं, जिससे उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। ये भी पढ़ें... सागर में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती: मल्टीलेयर पद्धति से होगी खेती; इस प्रयोग को पीएम मोदी कर चुके सम्मानित मध्यप्रदेश में किसान अब परंपरागत खेती से नई फसलों पर फोकस करने लगे हैं। सागर के युवा किसान आकाश चौरसिया जिले में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। यह फसल औषधीय लाभ के साथ ही किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है। इससे सालाना ढाई से तीन लाख रुपए तक कमाई होगी। पढ़ें पूरी खबर... बेटे की सलाह पर अदरक की खेती, मुनाफा दोगुना: किसान ने 10 बीघा से की शुरुआत, 500 क्विंटल उत्पादन की उम्मीद परंपरागत फसलों से इतर किसान आजकल कमर्शियल फसल की ओर रुख कर रहे हैं। इस तरह की फसलें उगाकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। अदरक की खेती भी एक ऐसी ही कमर्शियल क्रॉप है, जिसके उत्पादन से लाखों का प्रॉफिट हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर...
बालाघाट के इंजीनियर ने सालाना 8 लाख रुपए पैकेज वाली प्राइवेट नौकरी छोड़कर किसान बनने का निर्णय किया। वह 6 एकड़ जमीन में सब्जियों की पैदावार कर रहा है। इससे सालाना 6 लाख रुपए का मुनाफा भी हो रहा है। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको परसवाड़ा के अरंडिया गांव के रहने वाले विनीत पटेल से मिलवाते हैं। अरंडिया और सेरपार में 50 एकड़ पुश्तैनी जमीन है। खास बात है कि विनीत फर्टिगेशन टेक्नीक का उपयोग कर मिर्च, शिमला मिर्च, कद्दू, करेले, ब्रोकली, बरबटी और लौकी की पैदावार कर रहे हैं। विनीत गर्मी और सर्दी दोनों सीजन में खेती करते हैं, जिसमें कम लागत में बेहतर मुनाफा मिल रहा है। दादा से प्रभावित होकर शुरू की सब्जियों की खेती
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद विनीत ने रायपुर में प्राइवेट जॉब शुरू की। सबकुछ ठीक चल रहा था। कोरोना काल में सालाना 8 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर गांव आ आए। विनीत के पिता संपत पटेल बताते हैं, ‘शुरुआत से ही पारंपरिक खेती करते आ रहे हैं। अपने खेत में धान, गेहूं और चना लगाते हैं। हमारे पिताजी अमरतलाल पटेल शौक के लिए सब्जियां उगाया करते थे, जिसे विनीत देखा करता था। संभवत: अपने दादाजी से ही उसे सब्जियों की खेती करने की प्रेरणा मिली। कोरोना काल में जब वह रायपुर से लौटा, तो वह फिर दोबारा लौटकर नहीं गया। इसी दौरान हमने सब्जियों की खेती का प्लान बनाया। इसके लिए सेरपार में 6 एकड़ में फार्म हाउस बनाया गया।’ 3 साल पहले शुरू की खेती
विनीत बताते हैं, ‘2022 में 6 एकड़ जमीन में अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाना शुरू किया। मार्केट से अच्छी क्वालिटी का बीज लेकर आए। कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की भी मदद ली। पहले जमीन तैयार करने के लिए 4 से 5 बार जुताई, गोबर खाद और रासायनिक खाद डाली, दो बार रोटावेटर चलाया गया। इसके बाद धार बनाकर उसकी ड्रेसिंग की। किसी भी सब्जी के लिए पर्याप्त पानी का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए ड्रिप सिस्टम का उपयोग किया। खेत में 15 से 20 लाख रुपए का यह सिस्टम लगवाया। शुरुआत में एक एकड़ में करीब 3 से 4 लाख रुपए का सालाना खर्च आया। सीजन के मुताबिक एक साल में तीन बार फसल लेने लगे। इससे एक से दो लाख रुपए का प्रति एकड़ फायदा होने लगा। पहले शिमला मिर्च लगाई थी, जिससे अच्छा फायदा हुआ था। इसके बाद मिर्च लगाई। इसके अलावा खीरा, फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, बरबटी, लौकी, कद्दू के साथ अन्य सब्जियां उगा रहे हैं। कोई फसल दो महीने में तैयार हो जाती है, तो किसी को ज्यादा समय लगता है। एक साल में एक एकड़ में तीन बार फसल लेते हैं। इसे स्थानीय बाजार के साथ बालाघाट और बाहर भी भेजते हैं। हर साल एक एकड़ पर एक से दो लाख का प्रॉफिट होता है।’ हाइब्रिड और स्वदेशी बीजों का इस्तेमाल
विनीत पटेल बताते हैं, ‘सब्जी उत्पादन के लिए दोनों तरह के बीजों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें हाइब्रिड और स्वदेशी बीज शामिल हैं। दोनों से ही अच्छा उत्पादन होता है। हालांकि स्वदेशी सब्जियों की स्थानीय स्तर पर ज्यादा डिमांड है। वहीं, हाइब्रिड बीजों से तैयार हुई सब्जियों को मंडियों तक भेजा जाता है। आधुनिक उपकरणों से लैस है फार्म
विनीत का फार्म हाउस आधुनिक उपकरणों से लैस है। उन्होंने बताया कि कल्टीवेटर से जुताई करते हैं, जिससे मिट्टी पूरी तरह पलट कर भुरभुरी हो जाती है। इससे भूमि में हवा का संचार अच्छे से हो जाता है। ऐसे में पोषक तत्व पौधे को अच्छी तरह से मिल जाता है। वहीं, नमी सरंक्षण के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल करते हैं। इसमें प्लास्टिक की पन्नी उपयोग होती है। इससे न सिर्फ नमी संरक्षण होता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण भी बेहतर होता है। फर्टिगेशन पद्धति से देते हैं पानी और उर्वरक
विनीत ने बताया कि हम सिंचाई के लिए फर्टिेगेशन तकनीक इस्तेमाल करते हैं। इसमें सिंचाई के साथ ही उर्वरक दिए जाते हैं। इस तकनीक में यंत्र में ही उर्वरक मिला दिए जाते हैं। ड्रिप इरिगेशन के साथ पौधों को पानी और उर्वरक मिल जाते हैं। साल भर खेती करने से भूमि की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ सकता है। ऐसे में साल में एक बार खेत में गोबर खाद भी डालते हैं, जिससे उनकी भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। ये भी पढ़ें... सागर में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती: मल्टीलेयर पद्धति से होगी खेती; इस प्रयोग को पीएम मोदी कर चुके सम्मानित मध्यप्रदेश में किसान अब परंपरागत खेती से नई फसलों पर फोकस करने लगे हैं। सागर के युवा किसान आकाश चौरसिया जिले में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। यह फसल औषधीय लाभ के साथ ही किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है। इससे सालाना ढाई से तीन लाख रुपए तक कमाई होगी। पढ़ें पूरी खबर... बेटे की सलाह पर अदरक की खेती, मुनाफा दोगुना: किसान ने 10 बीघा से की शुरुआत, 500 क्विंटल उत्पादन की उम्मीद परंपरागत फसलों से इतर किसान आजकल कमर्शियल फसल की ओर रुख कर रहे हैं। इस तरह की फसलें उगाकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। अदरक की खेती भी एक ऐसी ही कमर्शियल क्रॉप है, जिसके उत्पादन से लाखों का प्रॉफिट हो सकता है। पढ़ें पूरी खबर...