इंदौर में मौत के बाद बना फिटनेस सर्टिफिकेट:जिला अस्पताल के पूर्व कर्मचारी ने की शिकायत; मां बोली- बेटे का नाम कौन खराब कर रहा

इंदौर के जिला अस्पताल से बने एक मृत युवक के फिटनेस सर्टिफिकेट के मामले में साजिश का एंगल जुड़ गया है। जिस शख्स का फिटनेस सर्टिफिकेट मौत के एक साल बाद बना, उसके परिवार को इसकी जानकारी ही नहीं है। सवाल है कि यह सर्टिफिकेट किसने और क्यों बनवाया? यहीं नहीं, इसके बनने बाद मृत्यु होने का प्रमाण बताकर ऑन रिकॉर्ड शिकायत भी कर दी गई। जांच अब दो एंगल पर आ गई है। पहला डॉक्टर की भूमिका की। उन्होंने मृत शख्स का फिटनेस क्यों और कैसे बनाया? दूसरा मृतक के परिवार ने शिकायत नहीं की तो फिर फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाया किसने और वह मुख्य शिकायतकर्ता तक कैसे पहुंचा? दैनिक भास्कर इस मामले में एक्सीडेंट में 2022 में मृत दीपक नवले के परिवार से मिला जो इंडस्ट्रियल एरिया के पास एक कॉलोनी में रह रहा है। घर में मां-बाप और छोटा भाई मिले। उनका दावा है कि दीपक की मौत के बाद वे कभी जिला अस्पताल नहीं गए। स्लाइड बन रही है........ टाइम लाइन से पूरा घटनाक्रम समझ लीजिए 17 दिसंबर 2022 : रोड एक्सीडेंट में 29 साल के दीपक नवले की मौत 19 दिसंबर 2022 : नगर निगम इंदौर से उसके नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र बना 04 नवंबर 2023 : 11 महीने बाद जिला अस्पताल से उसका फिजिकल फिटनेस जारी 7 मई 2024 : 6 महीने बाद CMHO कार्यालय में डॉक्टर सहित 3 के खिलाफ फर्जीवाड़े की शिकायत जून 2024 : एक्शन नहीं हुआ तो CM हेल्पलाइन पर शिकायत, जांच संभागीय कार्यालय को सौंपी जुलाई 2024 : मामला मीडिया में लीक होने पर दोनों पक्षों के बयान और जांच शुरू ये दो किरदार सामने आए इस पूरे घटनाक्रम के दो किरदार सामने आए हैं। पहला जिला अस्पताल के डॉक्टर सतीश नेमा। इन्हीं पर आरोप है कि इन्होंने दीपक नवले की मौत के बाद फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट बनाया। उनके दो साथियों के नाम का भी जिक्र शिकायत में है। दूसरा, गणेश प्रजापति। यह मुख्य शिकायतकर्ता है। इसने CMHO ऑफिस में नेमा सहित 3 के खिलाफ आवेदन देकर जांच की मांग की थी। इसमें कहा था कि ‘दीपक मर चुका है, इसके बावजूद उसका फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो गया है।’ जब जिलास्तर के अधिकारियों ने मामला दबाया तो संभागीय कार्यालय हरकत में आया। शिकायतकर्ता ने यह तक आरोप लगा दिए कि फर्जी रिकॉर्ड बनाने के अलावा कर्मचारियों ने अस्पताल का महंगा सामान भी चुराया है। जिला अस्पताल का आउट सोर्स कर्मचारी था शिकायतकर्ता शिकायतकर्ता गणेश प्रजापति जिला अस्पताल में ही ओपीडी विभाग में आउट सोर्स कर्मचारी था। ‘दैनिक भास्कर’ ने गणेश से बातचीत की तो कहानी की एक कड़ी खुल गई। उससे पूछा गया कि परिवार को पता ही नहीं है तो आपको दस्तावेज कहां से मिले? परिवार के बजाय आपने शिकायत कराने में दिलचस्पी क्यों दिखाई? गणेश का दावा है कि अस्पताल में रिश्वत और चोरी की शिकायतें मैंने की थीं। तब मुझे OPD पर्ची विभाग से हटा दिया गया। उसने इसमें डॉक्टर नेमा के अलावा कम्पाउंडर नारायण और राहुल की भी भूमिका बताई। हमने फिर उनसे पूछा कि जब परिवार को जानकारी नहीं तो आपके पास ये दोनों कागजात कहां से आए? इस पर वे यही कहते रहे कि जांच पूरी होने के बाद बताऊंगा। हालांकि, यह बात सामने आई है कि मृत्यु प्रमाण पत्र बनने के बाद किसी ने फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाया है, यह आवेदन किसने दिए, यह जांच अभी भी जारी है। मुख्य साजिशकर्ता का नाम अभी भी सामने नहीं आया है। पता चला है कि मृतक दीपक का मृत्यु और उसके बाद जारी हुए फिटनेस सर्टिफिकेट शिकायतकर्ता को ओपीडी में ही पड़े मिले । परिवार बोला- हम तो दूसरी बार अस्पताल ही नहीं गए मृत्यु प्रमाण पत्र पर दर्ज पते के आधार पर भास्कर टीम दीपक नवले के घर पहुंची। उस पर सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया के पास जगन्नाथ नगर का एड्रेस दर्ज था। एड्रेस ढूंढते हुए कॉलोनी के रहवासी से दीपक का घर पूछा तो वह सन्न था। उसने कहा कि ‘अचानक क्या हो गया भाई? अभी 8-10 दिन से रोज कोई उसका पता पूछ रहा है, उसकी मौत तो पहले ही हो गई है।’ एक और रहवासी ने कहा कि ‘दो दिन पहले ही पुलिसवाले और कुछ लोग भी दीपक का पता पूछते हुए आए थे। हमें भी दीपक के नाम से कोई फ्रॉड होने का पता चला है।’ घर पहुंच जाने पर दीपक की मां से मुलाकात हुई। उनके सामने दीपक का नाम लिया तो रुंधे हुए गले से बोलीं- ‘हां, मेरा बड़ा बेटा था। जीते जी तो उसने कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया, उसके जाने के बाद कौन नाम खराब कर रहा है? हमें कोई जानकारी ही नहीं है।’ इसके बाद उन्होंने छोटे बेटे भूषण को बुलवाया और कहा कि इससे बात कर लीजिए। परिवार ने बताया कि दीपक की शादी नहीं हुई थी। अब घर में पिता अनिल, मां गायत्री और छोटा भाई है। पिता अनिल का प्राइवेट कंपनी में जॉब है। दीपक के छोटे भाई भूषण नवले ने कहा कि ‘भैया का फिटनेस प्रमाण पत्र किसने बनवाया, हमें जानकारी नहीं है। उनकी एक्सीडेंट में दो साल पहले मौत हो गई थी। लगभग एक हफ्ते पहले पुलिसवाले घर आए थे। उन्होंने भाई का मृत्यु प्रमाण पत्र हमसे लिया और कहा आपके भाई के नाम से कोई फ्रॉड हुआ है। इससे ज्यादा जानकारी हमें भी नहीं दी गई। लगातार फोन और पूछताछ से परेशान हैं। मोहल्ले वाले भी हमसे पूछते हैं, परेशान हो गए हैं।’ परिवार ने कहा कि ‘परेशान होकर ही वकील से बात की है। फर्जी प्रमाण पत्र किसने बनवाया, इसकी जांच कर लेनी चाहिए। वरना हम भी कोर्ट केस करेंगे। नाम हमारा खराब हो रहा है।’

इंदौर में मौत के बाद बना फिटनेस सर्टिफिकेट:जिला अस्पताल के पूर्व कर्मचारी ने की शिकायत; मां बोली- बेटे का नाम कौन खराब कर रहा
इंदौर के जिला अस्पताल से बने एक मृत युवक के फिटनेस सर्टिफिकेट के मामले में साजिश का एंगल जुड़ गया है। जिस शख्स का फिटनेस सर्टिफिकेट मौत के एक साल बाद बना, उसके परिवार को इसकी जानकारी ही नहीं है। सवाल है कि यह सर्टिफिकेट किसने और क्यों बनवाया? यहीं नहीं, इसके बनने बाद मृत्यु होने का प्रमाण बताकर ऑन रिकॉर्ड शिकायत भी कर दी गई। जांच अब दो एंगल पर आ गई है। पहला डॉक्टर की भूमिका की। उन्होंने मृत शख्स का फिटनेस क्यों और कैसे बनाया? दूसरा मृतक के परिवार ने शिकायत नहीं की तो फिर फिटनेस प्रमाण पत्र बनवाया किसने और वह मुख्य शिकायतकर्ता तक कैसे पहुंचा? दैनिक भास्कर इस मामले में एक्सीडेंट में 2022 में मृत दीपक नवले के परिवार से मिला जो इंडस्ट्रियल एरिया के पास एक कॉलोनी में रह रहा है। घर में मां-बाप और छोटा भाई मिले। उनका दावा है कि दीपक की मौत के बाद वे कभी जिला अस्पताल नहीं गए। स्लाइड बन रही है........ टाइम लाइन से पूरा घटनाक्रम समझ लीजिए 17 दिसंबर 2022 : रोड एक्सीडेंट में 29 साल के दीपक नवले की मौत 19 दिसंबर 2022 : नगर निगम इंदौर से उसके नाम का मृत्यु प्रमाण पत्र बना 04 नवंबर 2023 : 11 महीने बाद जिला अस्पताल से उसका फिजिकल फिटनेस जारी 7 मई 2024 : 6 महीने बाद CMHO कार्यालय में डॉक्टर सहित 3 के खिलाफ फर्जीवाड़े की शिकायत जून 2024 : एक्शन नहीं हुआ तो CM हेल्पलाइन पर शिकायत, जांच संभागीय कार्यालय को सौंपी जुलाई 2024 : मामला मीडिया में लीक होने पर दोनों पक्षों के बयान और जांच शुरू ये दो किरदार सामने आए इस पूरे घटनाक्रम के दो किरदार सामने आए हैं। पहला जिला अस्पताल के डॉक्टर सतीश नेमा। इन्हीं पर आरोप है कि इन्होंने दीपक नवले की मौत के बाद फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट बनाया। उनके दो साथियों के नाम का भी जिक्र शिकायत में है। दूसरा, गणेश प्रजापति। यह मुख्य शिकायतकर्ता है। इसने CMHO ऑफिस में नेमा सहित 3 के खिलाफ आवेदन देकर जांच की मांग की थी। इसमें कहा था कि ‘दीपक मर चुका है, इसके बावजूद उसका फिटनेस सर्टिफिकेट जारी हो गया है।’ जब जिलास्तर के अधिकारियों ने मामला दबाया तो संभागीय कार्यालय हरकत में आया। शिकायतकर्ता ने यह तक आरोप लगा दिए कि फर्जी रिकॉर्ड बनाने के अलावा कर्मचारियों ने अस्पताल का महंगा सामान भी चुराया है। जिला अस्पताल का आउट सोर्स कर्मचारी था शिकायतकर्ता शिकायतकर्ता गणेश प्रजापति जिला अस्पताल में ही ओपीडी विभाग में आउट सोर्स कर्मचारी था। ‘दैनिक भास्कर’ ने गणेश से बातचीत की तो कहानी की एक कड़ी खुल गई। उससे पूछा गया कि परिवार को पता ही नहीं है तो आपको दस्तावेज कहां से मिले? परिवार के बजाय आपने शिकायत कराने में दिलचस्पी क्यों दिखाई? गणेश का दावा है कि अस्पताल में रिश्वत और चोरी की शिकायतें मैंने की थीं। तब मुझे OPD पर्ची विभाग से हटा दिया गया। उसने इसमें डॉक्टर नेमा के अलावा कम्पाउंडर नारायण और राहुल की भी भूमिका बताई। हमने फिर उनसे पूछा कि जब परिवार को जानकारी नहीं तो आपके पास ये दोनों कागजात कहां से आए? इस पर वे यही कहते रहे कि जांच पूरी होने के बाद बताऊंगा। हालांकि, यह बात सामने आई है कि मृत्यु प्रमाण पत्र बनने के बाद किसी ने फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाया है, यह आवेदन किसने दिए, यह जांच अभी भी जारी है। मुख्य साजिशकर्ता का नाम अभी भी सामने नहीं आया है। पता चला है कि मृतक दीपक का मृत्यु और उसके बाद जारी हुए फिटनेस सर्टिफिकेट शिकायतकर्ता को ओपीडी में ही पड़े मिले । परिवार बोला- हम तो दूसरी बार अस्पताल ही नहीं गए मृत्यु प्रमाण पत्र पर दर्ज पते के आधार पर भास्कर टीम दीपक नवले के घर पहुंची। उस पर सांवेर रोड इंडस्ट्रियल एरिया के पास जगन्नाथ नगर का एड्रेस दर्ज था। एड्रेस ढूंढते हुए कॉलोनी के रहवासी से दीपक का घर पूछा तो वह सन्न था। उसने कहा कि ‘अचानक क्या हो गया भाई? अभी 8-10 दिन से रोज कोई उसका पता पूछ रहा है, उसकी मौत तो पहले ही हो गई है।’ एक और रहवासी ने कहा कि ‘दो दिन पहले ही पुलिसवाले और कुछ लोग भी दीपक का पता पूछते हुए आए थे। हमें भी दीपक के नाम से कोई फ्रॉड होने का पता चला है।’ घर पहुंच जाने पर दीपक की मां से मुलाकात हुई। उनके सामने दीपक का नाम लिया तो रुंधे हुए गले से बोलीं- ‘हां, मेरा बड़ा बेटा था। जीते जी तो उसने कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया, उसके जाने के बाद कौन नाम खराब कर रहा है? हमें कोई जानकारी ही नहीं है।’ इसके बाद उन्होंने छोटे बेटे भूषण को बुलवाया और कहा कि इससे बात कर लीजिए। परिवार ने बताया कि दीपक की शादी नहीं हुई थी। अब घर में पिता अनिल, मां गायत्री और छोटा भाई है। पिता अनिल का प्राइवेट कंपनी में जॉब है। दीपक के छोटे भाई भूषण नवले ने कहा कि ‘भैया का फिटनेस प्रमाण पत्र किसने बनवाया, हमें जानकारी नहीं है। उनकी एक्सीडेंट में दो साल पहले मौत हो गई थी। लगभग एक हफ्ते पहले पुलिसवाले घर आए थे। उन्होंने भाई का मृत्यु प्रमाण पत्र हमसे लिया और कहा आपके भाई के नाम से कोई फ्रॉड हुआ है। इससे ज्यादा जानकारी हमें भी नहीं दी गई। लगातार फोन और पूछताछ से परेशान हैं। मोहल्ले वाले भी हमसे पूछते हैं, परेशान हो गए हैं।’ परिवार ने कहा कि ‘परेशान होकर ही वकील से बात की है। फर्जी प्रमाण पत्र किसने बनवाया, इसकी जांच कर लेनी चाहिए। वरना हम भी कोर्ट केस करेंगे। नाम हमारा खराब हो रहा है।’