हरदा में 36 आंगनवाड़ी भवन जर्जर घोषित:बच्चों की सुरक्षा के लिए किराए के मकान में शिफ्ट किए जा रहे केंद्र
हरदा में 36 आंगनवाड़ी भवन जर्जर घोषित:बच्चों की सुरक्षा के लिए किराए के मकान में शिफ्ट किए जा रहे केंद्र
हरदा जिले में आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। महिला बाल विकास विभाग ने 36 आंगनवाड़ी भवनों को जर्जर घोषित कर दिया है। साथ ही 50 अन्य भवनों की मरम्मत के लिए वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव भेजा है। विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए जर्जर भवनों को तत्काल खाली करने के आदेश दिए हैं। इन केंद्रों को किराए के मकानों में स्थानांतरित किया जा रहा है। जिले में कुल 699 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 37 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। महिला बाल विकास विभाग की प्रभारी जिला अधिकारी सीमा जैन ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता वंदना पाहूजा के अनुसार बारिश में छत से पानी टपकता है। जमीन में दरारें आने से जहरीले कीड़े भी निकलते हैं। मानसून से पहले ही भवनों को खाली किया जा रहा है। गर्मियों में मकान खाली रहते हैं, इसलिए किराए पर लेने में आसानी होती है। स्कूल खुलने के बाद किराए के मकान मिलने में दिक्कत आती है। इसलिए वार्ड के भीतर ही किराए के मकान लिए जा रहे हैं। विभाग के पास यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ साल पहले बने भवन इतनी जल्दी जर्जर कैसे हो गए। यह स्थिति निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है।
हरदा जिले में आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति चिंताजनक हो गई है। महिला बाल विकास विभाग ने 36 आंगनवाड़ी भवनों को जर्जर घोषित कर दिया है। साथ ही 50 अन्य भवनों की मरम्मत के लिए वरिष्ठ कार्यालय को प्रस्ताव भेजा है। विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए जर्जर भवनों को तत्काल खाली करने के आदेश दिए हैं। इन केंद्रों को किराए के मकानों में स्थानांतरित किया जा रहा है। जिले में कुल 699 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 37 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। महिला बाल विकास विभाग की प्रभारी जिला अधिकारी सीमा जैन ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता वंदना पाहूजा के अनुसार बारिश में छत से पानी टपकता है। जमीन में दरारें आने से जहरीले कीड़े भी निकलते हैं। मानसून से पहले ही भवनों को खाली किया जा रहा है। गर्मियों में मकान खाली रहते हैं, इसलिए किराए पर लेने में आसानी होती है। स्कूल खुलने के बाद किराए के मकान मिलने में दिक्कत आती है। इसलिए वार्ड के भीतर ही किराए के मकान लिए जा रहे हैं। विभाग के पास यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ साल पहले बने भवन इतनी जल्दी जर्जर कैसे हो गए। यह स्थिति निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है।