मालेगांव केस से बरी हुई प्रज्ञा,उमा भारती ने बांटी मिठाई:पूर्व सीएम बोलीं- इस्लामिक आतंकवाद को काउंटर करने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा गया था
सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके के मामले में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सातों आरोपियों को मुंबई की एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले की खबर सुनकर भोपाल में पूर्व सीएम उमा भारती के बंगले पर जमकर आतिशबाजी हुई और मिठाइयां बांटी गईं। उमा की आंखों से छलके आंसू
प्रज्ञा को मालेगांव केस से बरी किए जाने के बाद पूर्व सीएम उमा भारती की आंखों से आंसू छलक पड़े। दैनिक भास्कर से पूर्व सीएम उमा भारती ने बातचीत की। सवाल: 17 साल बाद आए इस फैसले पर आप क्या कहेंगी?
जवाब: इस फैसले से यह साबित हो गया कि हिन्दू समाज और भगवा रंग को कलंकित करने की कितनी बड़ी साजिश थी। मुस्लिम समाज में ये डर पैदा करने की साजिश थी कि मुस्लिम समाज, बहुसंख्यक समाज को आतंकी मानकर भयभीत हो जाए। इस्लामिक आतंकवाद जो पूरी दुनिया में प्रयोग होने लगा था। उसको काउंटर करने के लिए हिन्दू आतंकवाद के शब्द का प्रयोग किया गया। आज की विजय भगवा रंग की हुई है। उनके त्याग और बलिदान की हुई है, जो जीवित रह गए लेकिन, वो गुरु गोविंद सिंह के साहिब जादों की तरह ही यातनाएं झेल रहे थे। जब उनको जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। मैं उन सबका और कोर्ट का अभिनंदन करूंगी। जिन्होंने भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया गया था। जिनकी वजह से इनको यातनाएं झेलनी पड़ीं। मैं कहूंगी, वो देशवासियों से माफी मांगें। सवाल: आप प्रज्ञा ठाकुर से जेल में हुई मुलाकात को लेकर भावुक क्यों हो जातीं हैं? क्या हुआ था?
जवाब: मत पूछिए, मैं उसको देखकर बहुत परेशान हुई थी। लेकिन, वो उल्टा मुझे देखकर परेशान हो गई थी कि मैं क्यों रो रही हूं और वो मुझे चुप करा रही थी। मुझे लगता था कि वो मानसिक स्थिति में बहुत टूटी हुई मिलेगी। और, मैं रो पड़ी उसके सामने। उसने मुझे माला पहनाई, मिठाई खिलाई और नारियल देकर कहा- जाइए, पूरे देश को, हिन्दू समाज को और मेरे गुरु अवधेशानंद जी को बता दीजिए कि प्रज्ञा मर जाएगी लेकिन, भगवा और हिन्दुत्व को कलंकित नहीं होने देगी। सवाल: प्रज्ञा ठाकुर को कुछ बडे़ नेताओं का नाम लेने को कहा गया था? उन्होंने ऐसा आपको बताया था?
जवाब: ये उन्होंने नहीं बताया था। मुझे तो उससे पहले महाराष्ट्र के बहुत सारे पुलिस के अधिकारी बताने आए थे। तब मैं उनसे जेल में मिलने गई थी। सवाल: क्या अब राजनीति की मुख्यधारा में प्रज्ञा ठाकुर की पुनर्स्थापना होना चाहिए?
सवाल: ये फैसला बीजेपी करेगी। मैं नहीं करूंगी। सवाल: ये सब क्यों किया गया?
जवाब: मनमोहन सिंह उस समय प्रधानमंत्री थे। मप्र को छोड़कर अधिकतर राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। इसको इसलिए शुरू किया ताकि, मुस्लिम वोट बैंक को इकट्ठा किया जा सके। और मुस्लिमों को आतंकवादियों की गिरफ्त में डर से धकेला जाए कि बहुसंख्यकों में आतंकवादी शुरू हो गए। तुम्हें जान बचानी है तो तुम लोग इकट्ठे होकर हमारे साथ हो जाओ। ये डर उनके अंदर पैदा करने की कोशिश की गई। उस डर को पैदा करने के लिए घटना चुनी गई। उस घटना में झूठ जोडे़ गए। उसके आधार पर कुछ लोगों को भयानक यातनाएं दी गई और उनसे कहा गया था कि कुछ लोगों के नाम लो। यदि उन्होंने, वो नाम ले लिए होते तो राष्ट्रवादी संगठनों के अधिकतर पदाधिकारी और बीजेपी के अधिकतर नेता जेल में होते और वैसे ही यातनाएं झेल रहे होते। लेकिन, इन लोगों ने अनंत यातनाएं झेलीं, ये केवल जीवित बचे रह गए हैं। मैं इन लोगों को आत्म बलिदानी कहूंगी। आज जब ये लोग बरी हुए हैं तो मैं खुद अपनी आत्मा की अदालत में बरी हुई हूं। सवाल: जो लोग भगवा आतंकवाद कहते थे, अब वे क्या कहेंगे? जवाब: वे देश से माफी मांगें, हिंदुओं से माफी मांगें। और अगर माफी न मांग सको तो गंगा में कूद जाओ, या नर्मदा जी यहीं बगल में हैं, जो मप्र वाले हैं, वे यहीं कूद जाओ।
सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके के मामले में भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सातों आरोपियों को मुंबई की एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट के इस फैसले की खबर सुनकर भोपाल में पूर्व सीएम उमा भारती के बंगले पर जमकर आतिशबाजी हुई और मिठाइयां बांटी गईं। उमा की आंखों से छलके आंसू
प्रज्ञा को मालेगांव केस से बरी किए जाने के बाद पूर्व सीएम उमा भारती की आंखों से आंसू छलक पड़े। दैनिक भास्कर से पूर्व सीएम उमा भारती ने बातचीत की। सवाल: 17 साल बाद आए इस फैसले पर आप क्या कहेंगी?
जवाब: इस फैसले से यह साबित हो गया कि हिन्दू समाज और भगवा रंग को कलंकित करने की कितनी बड़ी साजिश थी। मुस्लिम समाज में ये डर पैदा करने की साजिश थी कि मुस्लिम समाज, बहुसंख्यक समाज को आतंकी मानकर भयभीत हो जाए। इस्लामिक आतंकवाद जो पूरी दुनिया में प्रयोग होने लगा था। उसको काउंटर करने के लिए हिन्दू आतंकवाद के शब्द का प्रयोग किया गया। आज की विजय भगवा रंग की हुई है। उनके त्याग और बलिदान की हुई है, जो जीवित रह गए लेकिन, वो गुरु गोविंद सिंह के साहिब जादों की तरह ही यातनाएं झेल रहे थे। जब उनको जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था। मैं उन सबका और कोर्ट का अभिनंदन करूंगी। जिन्होंने भगवा आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया गया था। जिनकी वजह से इनको यातनाएं झेलनी पड़ीं। मैं कहूंगी, वो देशवासियों से माफी मांगें। सवाल: आप प्रज्ञा ठाकुर से जेल में हुई मुलाकात को लेकर भावुक क्यों हो जातीं हैं? क्या हुआ था?
जवाब: मत पूछिए, मैं उसको देखकर बहुत परेशान हुई थी। लेकिन, वो उल्टा मुझे देखकर परेशान हो गई थी कि मैं क्यों रो रही हूं और वो मुझे चुप करा रही थी। मुझे लगता था कि वो मानसिक स्थिति में बहुत टूटी हुई मिलेगी। और, मैं रो पड़ी उसके सामने। उसने मुझे माला पहनाई, मिठाई खिलाई और नारियल देकर कहा- जाइए, पूरे देश को, हिन्दू समाज को और मेरे गुरु अवधेशानंद जी को बता दीजिए कि प्रज्ञा मर जाएगी लेकिन, भगवा और हिन्दुत्व को कलंकित नहीं होने देगी। सवाल: प्रज्ञा ठाकुर को कुछ बडे़ नेताओं का नाम लेने को कहा गया था? उन्होंने ऐसा आपको बताया था?
जवाब: ये उन्होंने नहीं बताया था। मुझे तो उससे पहले महाराष्ट्र के बहुत सारे पुलिस के अधिकारी बताने आए थे। तब मैं उनसे जेल में मिलने गई थी। सवाल: क्या अब राजनीति की मुख्यधारा में प्रज्ञा ठाकुर की पुनर्स्थापना होना चाहिए?
सवाल: ये फैसला बीजेपी करेगी। मैं नहीं करूंगी। सवाल: ये सब क्यों किया गया?
जवाब: मनमोहन सिंह उस समय प्रधानमंत्री थे। मप्र को छोड़कर अधिकतर राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। इसको इसलिए शुरू किया ताकि, मुस्लिम वोट बैंक को इकट्ठा किया जा सके। और मुस्लिमों को आतंकवादियों की गिरफ्त में डर से धकेला जाए कि बहुसंख्यकों में आतंकवादी शुरू हो गए। तुम्हें जान बचानी है तो तुम लोग इकट्ठे होकर हमारे साथ हो जाओ। ये डर उनके अंदर पैदा करने की कोशिश की गई। उस डर को पैदा करने के लिए घटना चुनी गई। उस घटना में झूठ जोडे़ गए। उसके आधार पर कुछ लोगों को भयानक यातनाएं दी गई और उनसे कहा गया था कि कुछ लोगों के नाम लो। यदि उन्होंने, वो नाम ले लिए होते तो राष्ट्रवादी संगठनों के अधिकतर पदाधिकारी और बीजेपी के अधिकतर नेता जेल में होते और वैसे ही यातनाएं झेल रहे होते। लेकिन, इन लोगों ने अनंत यातनाएं झेलीं, ये केवल जीवित बचे रह गए हैं। मैं इन लोगों को आत्म बलिदानी कहूंगी। आज जब ये लोग बरी हुए हैं तो मैं खुद अपनी आत्मा की अदालत में बरी हुई हूं। सवाल: जो लोग भगवा आतंकवाद कहते थे, अब वे क्या कहेंगे? जवाब: वे देश से माफी मांगें, हिंदुओं से माफी मांगें। और अगर माफी न मांग सको तो गंगा में कूद जाओ, या नर्मदा जी यहीं बगल में हैं, जो मप्र वाले हैं, वे यहीं कूद जाओ।