भूतड़ी अमावस्या पर आस्था और विश्वास की डुबकी:नकारात्मक विचारों से मुक्ति के लिए स्नान का विधान, कालिया देव स्थान पर लगेगा मेला

भूतड़ी अमावस्या पर आज नर्मदा नदी सहित सभी नदियों में आस्था और विश्वास की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पवित्र नदियों में पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या को देखते हुए सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिन्दू पूजा-पद्धति में अमावस्या से लेकर एकादशी तक अनेक प्रकार के व्रत एवं पूजन का विधान है। लोग विभिन्न धार्मिक स्थलों, तीर्थ स्थानों व पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना करते हैं। भूतड़ी अमावस्या के नाम से कई लोगों को भूतों से जुड़ी अमावस्या होने का भ्रम हो जाता है, लेकिन इसका भूतों से कोई संबंध नहीं है। वास्तव में इसका अर्थ नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाना है। यह नकारात्मक विचार किसी भी रूप में हो सकती हैं। नकारात्मक विचारों से मुक्ति और त्याग के लिए पवित्र नदियों में स्नान का विधान है। जिले में नर्मदा तट पर स्थित आवंलीघाट और ग्राम नादान के पास कालियादेव ऐसे दो पवित्र स्थान है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इछावर तहसील के ग्राम नादान के पास घने जंगलों में कालिया देव स्थान पर विशाल मेला भी लगता है। आंवलीघाट का आध्यात्मिक दृष्टि से खासा धार्मिक महत्व है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से मां नर्मदा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं। यहां पर हत्याहरणी हथेड़ नदी और नर्मदा का संगम स्थल हैं। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास काल के दौरान कुछ समय यहां बिताया था। महाभारत युग में भीम ने मां नर्मदा से विवाह करने के लिए जो चट्टानें नर्मदा नदी में डाली थी, वह आज भी वहीं हैं। रात में यहां कालियादेव मेला लगता है। यह मेला जनजातीय संस्कृति और परंपरा की अनुपम छटा बिखेरता है। आज भी जनजातीय वर्ग के लोग अपनी अमूल्य सांस्कृतिक विरासत संजोए हुए हैं। भूतड़ी अमावस्या पर इस क्षेत्र के जनजातीय समुदाय की महिला, पुरूष, बच्चे बड़ी संख्या में शाम को पहुंचने हैं। सीप नदी में कालियादेव की पूजा अर्चना करते हैं।

भूतड़ी अमावस्या पर आस्था और विश्वास की डुबकी:नकारात्मक विचारों से मुक्ति के लिए स्नान का विधान, कालिया देव स्थान पर लगेगा मेला
भूतड़ी अमावस्या पर आज नर्मदा नदी सहित सभी नदियों में आस्था और विश्वास की डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पवित्र नदियों में पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या को देखते हुए सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिन्दू पूजा-पद्धति में अमावस्या से लेकर एकादशी तक अनेक प्रकार के व्रत एवं पूजन का विधान है। लोग विभिन्न धार्मिक स्थलों, तीर्थ स्थानों व पवित्र नदियों में स्नान और पूजा अर्चना करते हैं। भूतड़ी अमावस्या के नाम से कई लोगों को भूतों से जुड़ी अमावस्या होने का भ्रम हो जाता है, लेकिन इसका भूतों से कोई संबंध नहीं है। वास्तव में इसका अर्थ नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाना है। यह नकारात्मक विचार किसी भी रूप में हो सकती हैं। नकारात्मक विचारों से मुक्ति और त्याग के लिए पवित्र नदियों में स्नान का विधान है। जिले में नर्मदा तट पर स्थित आवंलीघाट और ग्राम नादान के पास कालियादेव ऐसे दो पवित्र स्थान है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इछावर तहसील के ग्राम नादान के पास घने जंगलों में कालिया देव स्थान पर विशाल मेला भी लगता है। आंवलीघाट का आध्यात्मिक दृष्टि से खासा धार्मिक महत्व है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से मां नर्मदा में डुबकी लगाने पहुंचते हैं। यहां पर हत्याहरणी हथेड़ नदी और नर्मदा का संगम स्थल हैं। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास काल के दौरान कुछ समय यहां बिताया था। महाभारत युग में भीम ने मां नर्मदा से विवाह करने के लिए जो चट्टानें नर्मदा नदी में डाली थी, वह आज भी वहीं हैं। रात में यहां कालियादेव मेला लगता है। यह मेला जनजातीय संस्कृति और परंपरा की अनुपम छटा बिखेरता है। आज भी जनजातीय वर्ग के लोग अपनी अमूल्य सांस्कृतिक विरासत संजोए हुए हैं। भूतड़ी अमावस्या पर इस क्षेत्र के जनजातीय समुदाय की महिला, पुरूष, बच्चे बड़ी संख्या में शाम को पहुंचने हैं। सीप नदी में कालियादेव की पूजा अर्चना करते हैं।